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| ० उपपद-समास | | ० उपपद-समास |
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− | ० समासान्ताः
| + | == समासान्ताः == |
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| + | === समासान्ताः (५-४-६८ to ५-४-१६८) === |
| + | There are some प्रत्ययऽ that are defined as समासान्त, as the name says it comes at the end of the समास and does NOT impact the meaning, only transformational change. |
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| + | Eg : |
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| + | परमः राजा => परमराजन् + टच् => परमराज => परमराजः |
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| + | ऋचः अर्धम् => अर्ध+ऋच् => अर्धर्च् + अ => अर्धर्च => अर्धर्चः |
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| + | जलस्य पन्थाः => जलपथिन् + अ => जलपथ => जलपथः |
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| + | === ऋक्पूर्ब्धू: पथामानक्षे === |
| + | When ऋच् पुर् अप् धुर् पथिन् becomes the उत्तरपद then अ will be the समासान्त-प्रत्ययः except when the meaning of समस्तपद is अक्ष (axis of the wheel) |
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| + | Eg : |
| + | |
| + | ऋचः अर्धम् => अर्ध+ऋच् => अर्धर्च् + अ => अर्धर्च => अर्धर्चः |
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| + | विष्णोः पूः => विष्णुपुर् अ => विष्णुपुरम् |
| + | |
| + | द्वयोः गतः आपः यस्मिन् तत् => द्वि अप् अ => द्वीपम् |
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| + | राज्ञः धूः => राजन् धुर् अ => राजधुरा |
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| + | जलस्य पन्थाः => जलपथिन् + अ => जलपथ => जलपथः |
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| + | === राजाहःसखिभ्यश्टच् (५-४-९१) === |
| + | When राजन् अहन् सखि becomes the उत्तरपद then टच् will be the समासान्त-प्रत्ययः in case of तत्पुरुषसमास. |
| + | |
| + | Eg : |
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| + | परमः राजा => परम+राजन् + टच् => परमराज => परमराजः |
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| + | उत्तमं अहः => उत्तम अहन् +टच् => उत्तमाह => उत्तमाहः |
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| + | कृष्णस्य सखा => कृष्ण सखि टच् => कृष्णसख => कृष्णसखः |
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| + | === उरःप्रभृतिभ्यः कप् (५-४-९१) === |
| + | When उरस्। सर्पिस्। उपानः। पुमान् । अनङ्वान् । नौः। पयः । लक्ष्मीः। दधि। मधु। शालि। अर्थान् नञः अनर्थकः । becomes the उत्तरपद then कप् will be the समासान्त-प्रत्ययः in case of बहुब्रीहि-समास. |
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| + | Eg : |
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| + | व्यूढम् उरः यस्य सः व्यूढोरस् कप् => व्यूढोरस्क => व्यूढोरस्कः |
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| + | नास्ति अर्थः यस्य सः अनर्थ कप् => अनर्थक => अनर्थकः |
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| + | प्रियं सर्पिः यस्य सः प्रियसर्पिस् कप् => प्रियसर्पिष्कः |
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| + | === शेषाद्विभाषा (५-४-१५४) === |
| + | Wherever there is no mention of समासान्त-प्रत्यय for बहुब्रीहि then कप् will come optionally. |
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| + | Eg : |
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| + | बह्व्यः वीणाः यस्य बहुवीणः /बहुवीणकः । |
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| + | बहवः पुत्राः यस्य सः बहुपुत्रः/ बहुपुत्रकः । |
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| + | प्रियः पन्थाः यस्य सः प्रियपथः । |
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