जब दोनों चलते-चलते थक जाते तब बैठ जाते फिर चलने लगे। इसी तरह वे बद्रिकाश्रम के निकट एक शील कुण्ड के पास पहुंचे। वहां पहुंचकर दोनों ने अन्न-जल त्याग दिया। जब उन्हें भूखे-प्यासे सात दिन हो गये तो वहां आकाशवाणी हुई कि तुम लोग अपने प्राण मत त्यागो। यह दु:ख तुम्हें पूर्व जन्म के कारण मिला है। अतएव हे साहूकार! अब तुम अपनी पत्नी से अहोई अष्टमी के दिन जो कार्तिक कृष्ण पक्ष को आती है व्रत रखवाना। इस व्रत के प्रभाव से अहोई से अपने पुत्रों की दीर्घायु मांगना। व्रत के दिन रात्रि को राधाकुण्ड में स्नान करवाना। कार्तिक पक्ष की अष्टमी आने पर चंद्रिका में बड़ी श्रद्धा से अहोई देवी का व्रत धारण किया एवं रात्रि को साहूकार राधा कुण्ड में स्नान करने गया। साहूकार जब स्नान करके घर वापस आ रहा था तो मार्ग में अहोई देवी ने उसे दर्शन दिया एवं बोली-"साहूकार! | जब दोनों चलते-चलते थक जाते तब बैठ जाते फिर चलने लगे। इसी तरह वे बद्रिकाश्रम के निकट एक शील कुण्ड के पास पहुंचे। वहां पहुंचकर दोनों ने अन्न-जल त्याग दिया। जब उन्हें भूखे-प्यासे सात दिन हो गये तो वहां आकाशवाणी हुई कि तुम लोग अपने प्राण मत त्यागो। यह दु:ख तुम्हें पूर्व जन्म के कारण मिला है। अतएव हे साहूकार! अब तुम अपनी पत्नी से अहोई अष्टमी के दिन जो कार्तिक कृष्ण पक्ष को आती है व्रत रखवाना। इस व्रत के प्रभाव से अहोई से अपने पुत्रों की दीर्घायु मांगना। व्रत के दिन रात्रि को राधाकुण्ड में स्नान करवाना। कार्तिक पक्ष की अष्टमी आने पर चंद्रिका में बड़ी श्रद्धा से अहोई देवी का व्रत धारण किया एवं रात्रि को साहूकार राधा कुण्ड में स्नान करने गया। साहूकार जब स्नान करके घर वापस आ रहा था तो मार्ग में अहोई देवी ने उसे दर्शन दिया एवं बोली-"साहूकार! |