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| सम्प्रति रसायनस्य तपोब्रह्मचर्यध्यानादियुक्तस्यैव महाफलत्वं भवतीति दर्शयन्नाह- तपसेत्यादि| कालयुक्तेन चायुषेति अनियतकालयुक्तेन चायुषेत्यर्थः, नियतकालायुषं प्रति तु न रसायनं फलवदित्युक्तमेव| स्थिता इति दीर्घकालजीविनः| विपर्ययेण तपःप्रभृतिविरहे रसायनस्याफलतामाह- न हीत्यादि||७-८|| | | सम्प्रति रसायनस्य तपोब्रह्मचर्यध्यानादियुक्तस्यैव महाफलत्वं भवतीति दर्शयन्नाह- तपसेत्यादि| कालयुक्तेन चायुषेति अनियतकालयुक्तेन चायुषेत्यर्थः, नियतकालायुषं प्रति तु न रसायनं फलवदित्युक्तमेव| स्थिता इति दीर्घकालजीविनः| विपर्ययेण तपःप्रभृतिविरहे रसायनस्याफलतामाह- न हीत्यादि||७-८|| |
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− | Role in management of various rogas | + | == Role in management of various rogas == |
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| jwara- भक्त्या मातुः पितुश्चैव गुरूणां पूजनेन च||३१३|| | | jwara- भक्त्या मातुः पितुश्चैव गुरूणां पूजनेन च||३१३|| |
| ब्रह्मचर्येण तपसा सत्येन नियमेन च| | | ब्रह्मचर्येण तपसा सत्येन नियमेन च| |
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| सत्येनाचारयोगेन मङ्गल्यैरप्यहिंसया| | | सत्येनाचारयोगेन मङ्गल्यैरप्यहिंसया| |
| वैद्यविप्रार्चनाच्चैव रोगराजो निवर्तते||१८८|| (Cha chi 8) | | वैद्यविप्रार्चनाच्चैव रोगराजो निवर्तते||१८८|| (Cha chi 8) |
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| + | == Punya-ayu vruddhi krut gana == |
| + | दानशीलदयासत्यब्रह्मचर्यकृतज्ञताः| |
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| + | रसायनानि मैत्री च पुण्यायुर्वृद्धिकृद्गणः||१२०|| (A.h.Sha. 3.120) |
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| + | == Benefits ब्रह्मचर्यस्य प्रशंसा == |
| + | धर्म्यं यशस्यमायुष्यं लोकद्वयरसायनम्| |
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| + | अनुमोदामहे ब्रह्मचर्यमेकान्तनिर्मलम्||४|| (A.H.U.40.4) |
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| + | स०-यतो धर्मादनपेतं-धर्म्यं, ब्रह्मचर्यं तदनुमोदामहे| तथा यशस्यादिहेतुः| तथा लोकद्वये-इहलोके परलोके च, रसायनमिव रसायनं, सदोपकारत्वात्| तथा एकान्तेनसर्वथा, निर्मलम्| यतो ब्रह्मचर्यम्| न तु ब्रह्मचर्यवत् स्वदारादि(रे)षु पुत्राद्यर्थमेव निर्मलम्| अतो हेतोस्तदनुमोदामहे| किन्त्वाभ्युदयिकं मार्गमाश्रित्य वाजीकरणोपदेशः| द्विविधो हि मार्गः,-नैःश्रेयसिक आभ्युदयिकश्च| तत्र नैःश्रेयसिकं मार्गं समनुसृत्य ब्रह्मचर्योपदेशश्च कोशकारदृष्टन्तश्च क्लेशनाशकृच्च| आभ्युदयिकं च मार्गमाश्रित्यायमुपदेश इत्यत्राह| |