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| शंखनाद की ध्वनि गले की बीमारियों जैसे कफ अधिक होना, गले में जलन, जीभ के स्वाद में अभिवृत्ति, आवाज में स्पष्टता एवं थाइराइड जैसे रोगों को समूह नष्ट करता है । शंखनाद करने से आवाज स्पष्ट एवं मधुर बनती है । गीत-संगीत से जुड़े लोग अपनी आवाज अच्छी और मधुर बनाने के लिए रोज शंख नाद करते हैं । | | शंखनाद की ध्वनि गले की बीमारियों जैसे कफ अधिक होना, गले में जलन, जीभ के स्वाद में अभिवृत्ति, आवाज में स्पष्टता एवं थाइराइड जैसे रोगों को समूह नष्ट करता है । शंखनाद करने से आवाज स्पष्ट एवं मधुर बनती है । गीत-संगीत से जुड़े लोग अपनी आवाज अच्छी और मधुर बनाने के लिए रोज शंख नाद करते हैं । |
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− | गले के रोगों - सोरश्रोट, श्रोटस्वेब, कल्चर फेरन, गोटीस, विरल, स्ट्रेपटटोकोकल, अपर एरवेब्रायोप्सी, जैसे गले के सभी रोगों के लिए यह एक सरल व सहज उपचार है । शंखनाद से स्वाद में अभिवृद्धि होती है, आवाज स्पष्ट व मधुर बनती है । गले के रोगों के लिए तो यह रामबाण दवा है तथा थाईराइड़ जैसे रोगों को तो जड़ से ही मिटाती है । | + | गले के रोगों - सोरश्रोट, श्रोटस्वेब, कल्चर फेरन, गोटीस, विरल, स्ट्रेपटटोकोकल, अपर एरवेब्रायोप्सी, जैसे गले के सभी रोगों के लिए यह एक सरल व सहज उपचार है । शंखनाद से स्वाद में अभिवृद्धि होती है, आवाज स्पष्ट व मधुर बनती है । गले के रोगों के लिए तो यह रामबाण दवा है तथा थाईराइड़ जैसे रोगों को तो जड़़ से ही मिटाती है । |
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| ==== ५. शंखनाद से फेफड़ों व छाती पर मजबूत असर ==== | | ==== ५. शंखनाद से फेफड़ों व छाती पर मजबूत असर ==== |
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| ('''क) देवी लक्ष्मी का प्रियशंख :''' ऐसा कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी के हाथ में शोभित शंख दाक्षिणावर्ती शंख है। इसका मुख दायीं ओर होता है । सामान्यतया मिलने वाले शंखों का मुख बायीं ओर ही होता है । यह शंख कष्टों का निवारण करता है । घर में सुख- शान्ति और समृद्धि के लिए इस शंख को देवी लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति के समक्ष लालवस्त्र पर रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए । ऐसा करने से घर में देवी लक्ष्मी का वास रहता है और दिनोंदिन उन्नति होती है । | | ('''क) देवी लक्ष्मी का प्रियशंख :''' ऐसा कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी के हाथ में शोभित शंख दाक्षिणावर्ती शंख है। इसका मुख दायीं ओर होता है । सामान्यतया मिलने वाले शंखों का मुख बायीं ओर ही होता है । यह शंख कष्टों का निवारण करता है । घर में सुख- शान्ति और समृद्धि के लिए इस शंख को देवी लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति के समक्ष लालवस्त्र पर रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए । ऐसा करने से घर में देवी लक्ष्मी का वास रहता है और दिनोंदिन उन्नति होती है । |
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− | '''(ख) प्रेम बढ़ाने वाला चमत्कारी शंख''' : प्रेम में आनेवाली मुश्किलें, या जीवनसाथी के साथ विवाद होता हो तो ऐसे लोगों के लिए हीरा शंख लाभदायक होता है । ऐसी मान्यता है कि इस शंख से शुक्र ग्रह से सम्बन्धित दोष दूर हो जाते हैं और प्रेम बढ़ता है । इस शंख को अभिमन्त्रि कर शयन कक्ष में रखने से शुक्रग्रह अनुकूल रहता है। और दाम्पत्यजीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है । | + | '''(ख) प्रेम बढ़ाने वाला चमत्कारी शंख''' : प्रेम में आनेवाली मुश्किलें, या जीवनसाथी के साथ विवाद होता हो तो ऐसे लोगोंं के लिए हीरा शंख लाभदायक होता है । ऐसी मान्यता है कि इस शंख से शुक्र ग्रह से सम्बन्धित दोष दूर हो जाते हैं और प्रेम बढ़ता है । इस शंख को अभिमन्त्रि कर शयन कक्ष में रखने से शुक्रग्रह अनुकूल रहता है। और दाम्पत्यजीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है । |
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| '''(ग.) गरीबी दूर करनेवाला विष्णु शंख :''' इस शंख की आकृति अर्द्धचन्द्राकार होने के कारण से चन्द्रशंख भी कहते हैं । जिसके पास यह शंख होता है वह कभी गरीब नहीं होता । इस व्यक्ति की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं । | | '''(ग.) गरीबी दूर करनेवाला विष्णु शंख :''' इस शंख की आकृति अर्द्धचन्द्राकार होने के कारण से चन्द्रशंख भी कहते हैं । जिसके पास यह शंख होता है वह कभी गरीब नहीं होता । इस व्यक्ति की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं । |
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| (झ) दक्षिणावर्ती शंख : यह शंख है तो दुर्लभ परन्तु अत्यन्त चमत्कारिक है । इसके स्थापन एवं पूजन से घर में सुख-शान्ति व धन-समद्धि में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है । | | (झ) दक्षिणावर्ती शंख : यह शंख है तो दुर्लभ परन्तु अत्यन्त चमत्कारिक है । इसके स्थापन एवं पूजन से घर में सुख-शान्ति व धन-समद्धि में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है । |
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− | (अ) विष्णु शंख : घर के मंदिर में इस शंख की स्थापना एवं प्रतिदिन पूजन से घर के लोगों की मनोदशा में सुधार, गृह-कलह से मुक्ति एवं रोगों से रक्षा होती है । | + | (अ) विष्णु शंख : घर के मंदिर में इस शंख की स्थापना एवं प्रतिदिन पूजन से घर के लोगोंं की मनोदशा में सुधार, गृह-कलह से मुक्ति एवं रोगों से रक्षा होती है । |
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| (ट) नीलकंठ शंख : साँप, बिच्छु या अन्य किसी जहरीले जन्तु के काटने पर इस शंख में गौमुत्र भरकर उसे काटे हुए स्थान पर लगाने से जहर शीघ्रता से उतर जाता है । | | (ट) नीलकंठ शंख : साँप, बिच्छु या अन्य किसी जहरीले जन्तु के काटने पर इस शंख में गौमुत्र भरकर उसे काटे हुए स्थान पर लगाने से जहर शीघ्रता से उतर जाता है । |
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| . पाश्चात्य शिक्षा से प्रभावित-शिक्षित वर्ग आज भी धार्मिक ज्ञान को अवैज्ञानिक और अन्धविश्वास से भरा मानकर उसे नकारता है । | | . पाश्चात्य शिक्षा से प्रभावित-शिक्षित वर्ग आज भी धार्मिक ज्ञान को अवैज्ञानिक और अन्धविश्वास से भरा मानकर उसे नकारता है । |
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− | . हमारे देश में जीवन से जुड़ी प्रत्येक बात को धर्म व अध्यात्म से जोड़कर कहा गया है । धर्म एवं विज्ञान में विरोधाभास नहीं है । फिर भी आज धार्मिक बातों को विज्ञान सम्मत नहीं माना जाता है । | + | . हमारे देश में जीवन से जुड़ी प्रत्येक बात को धर्म व अध्यात्म से जोड़कर कहा गया है । धर्म एवं विज्ञान में विरोधाभास नहीं है । तथापि आज धार्मिक बातों को विज्ञान सम्मत नहीं माना जाता है । |
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| . चिकित्सा के क्षेत्र में भी एलोपैथी ही सर्वमान्य बनी हुई है। आयुर्वेद की उपेक्षा की गई, आज भी चिकित्साविभाग के सम्पूर्ण बजट का मात्र ४ प्रतिशत बजट आुयर्वेद् एवं अन्य पैशियों को मिलता है । | | . चिकित्सा के क्षेत्र में भी एलोपैथी ही सर्वमान्य बनी हुई है। आयुर्वेद की उपेक्षा की गई, आज भी चिकित्साविभाग के सम्पूर्ण बजट का मात्र ४ प्रतिशत बजट आुयर्वेद् एवं अन्य पैशियों को मिलता है । |
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| . उपर्युक्त लेख “शंख विज्ञान' भी एसा ही विषय है । आप इसे किस दृष्टि से देखेंगे, यह आप पर निर्भर है । | | . उपर्युक्त लेख “शंख विज्ञान' भी एसा ही विषय है । आप इसे किस दृष्टि से देखेंगे, यह आप पर निर्भर है । |
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− | . हमारा सुधी पाठकों से विनम्र निवेदन है कि यदि आपकी धार्मिक संस्कृति, धार्मिक शास्त्रों एवं धार्मिक चिकित्सा पद्धति में श्रद्धा और विश्वास है तो इस लेख को आयुर्वेद से जुड़े लोगों को पढ़ायें तथा उन्हें शंख विज्ञान' पर अध्ययन - अनुसंधान करने के लिए प्रेरित करें । यही कृतिशील देशभक्ति है । | + | . हमारा सुधी पाठकों से विनम्र निवेदन है कि यदि आपकी धार्मिक संस्कृति, धार्मिक शास्त्रों एवं धार्मिक चिकित्सा पद्धति में श्रद्धा और विश्वास है तो इस लेख को आयुर्वेद से जुड़े लोगोंं को पढ़ायें तथा उन्हें शंख विज्ञान' पर अध्ययन - अनुसंधान करने के लिए प्रेरित करें । यही कृतिशील देशभक्ति है । |