Line 554: |
Line 554: |
| यह प्रसिद्ध जैन तीर्थ हैं| 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी ने यहाँ दीपावली के दिन निर्वाण प्राप्त किया। जहाँ महावीर स्वामी का शरीरान्त उसके बीचोंबीच संगमरमर का भव्य मन्दिर बना है। इसे जल मन्दिर कहा जाता है। जलमन्दिरमें महावीर स्वामी, गौतम स्वामी और सुधर्मस्वामी के चरण-चिह्न अंकित हैं। यहाँ पर दिगम्बर व शवेताम्बर दो सम्प्रदायों के मन्दिरऔर धर्मशालाएँ हैं।प्रतिवर्ष दीपावली केअवसर पर सम्पूर्ण देश से जैन मतावलम्बी यहाँ एकत्रित होते हैं।इसका प्राचीन नाम अपापा पुरी है। | | यह प्रसिद्ध जैन तीर्थ हैं| 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी ने यहाँ दीपावली के दिन निर्वाण प्राप्त किया। जहाँ महावीर स्वामी का शरीरान्त उसके बीचोंबीच संगमरमर का भव्य मन्दिर बना है। इसे जल मन्दिर कहा जाता है। जलमन्दिरमें महावीर स्वामी, गौतम स्वामी और सुधर्मस्वामी के चरण-चिह्न अंकित हैं। यहाँ पर दिगम्बर व शवेताम्बर दो सम्प्रदायों के मन्दिरऔर धर्मशालाएँ हैं।प्रतिवर्ष दीपावली केअवसर पर सम्पूर्ण देश से जैन मतावलम्बी यहाँ एकत्रित होते हैं।इसका प्राचीन नाम अपापा पुरी है। |
| | | |
− | पहाड़ी (कलेक्ट्रशिक्ट) | + | === पारसनाथ पहाड़ी ( सम्मेदशिखर ) === |
| + | पारसनाथ पहाड़ी 23वें तीर्थकर पारसनाथ जी से सम्बन्धित है। यहाँ उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया था। पारसनाथ पहाड़ी बहुत ही सुरम्य व प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। पहाड़ी परभगवान पारसनाथ का सुन्दर मन्दिर हैं जिसमें पारसनाथ की काले पत्थर की भव्य प्रतिमा स्थापित है। स्थानीय जनता पारस नाथ पहाड़ी को देवी स्थल मानकर श्रद्धा रखती है। इसे सम्मेद शिखर भी कहते हैं। सभी जैन सम्प्रदाय इसे परम पवित्र क्षेत्र मानते हैं। यहाँ परएक अन्य मन्दिर में तीर्थकरों की मूर्तियाँ स्थापित हैं। एक स्थानीय मान्यता के अनुसार इस पर्वत की वन्दना से नरकवास से बचा जा सकता है। |
| | | |
− | पारसनाथ पहाड़ी 23वें तीर्थकर पारसनाथ जी से सम्बन्धित है। यहाँ
| + | === महिषी === |
| + | महिषी मण्डन मिश्र का निवास स्थान है। इसका प्राचीन नाम सहषाँ भी है। यही वह स्थान है जहाँ पर मण्डन मिश्र और जगद्गुरु आदि शंकराचार्य का इतिहास-प्रसिद्ध शास्त्रार्थ हुआ था। मण्डन मिश्र आदि जगद्गुरु के तकों का सामना नहीं कर सके और पराभूत हो शांकराचार्य के शिष्य बन गये। परन्तु मण्डन मिश्र की धर्मपत्नी ने शांकराचार्य से दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित प्रश्न पूछकर उन्हें निरुत्तर कर दिया। तब शांकराचार्य ने उस प्रश्न का उत्तर देने के लिए समय माँगा लिया। तत्पश्चात् एक राजा की मृत देह में प्रवेश कर उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त किया, तभी शांकराचार्य को विजयी माना गया। यह स्थान उत्तर बिहार में नेपाल सीमा के पास स्थित है। |
| | | |
− | उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया था। पारसनाथ पहाड़ी बहुत ही सुरम्य व
| + | === राँची === |
− | | + | हजारीबाग के पठारी व पर्वतीय प्रदेश में स्थित यह आधुनिकऔद्योगिक हुआ, वहाँ एक प्राचीन मन्दिर बना हुआ है। समीप ही एक सरोवर और नगर है। इसे बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी होने का भी श्रेय प्राप्त है। रॉची समुद्रतल से लगभग 700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। रॉची के चारों ओर प्राकृतिक छटा बिखरी पड़ी है। इसके पास में एक पहाड़ी पर स्थित शिव मन्दिर रॉची के सौन्दर्य को भव्यता प्रदान करता हैं। बिहार के सुन्दरतम प्राकृतिक जल-प्रपात रॉची के समीपवर्ती प्रदेश में पड़ते हैं। इनमें सुवर्ण रेखा नदी पर 107 मीटर ऊँचा हुण्डु, प्रपात तथा इसकी सहायक नदी परजोन्हा प्रपात प्रमुख हैं। रॉची बिहार का औद्योगिक नगर है।जहाँ यंत्र-निर्माण तथा खनिजों से सम्बन्धित उद्योगों का विकास हुआ है| झारखण्ड प्रदेश बनाने के उपरान्त अब रॉची उसकी राजधानी है। |
− | प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। पहाड़ी परभगवान पारसनाथ का सुन्दर
| |
− | | |
− | मन्दिर हैं जिसमें पारसनाथ की काले पत्थर की भव्य प्रतिमा स्थापित है।
| |
− | | |
− | स्थानीय जनता पारस नाथ पहाड़ी को देवी स्थल मानकरश्रद्धा रखती है।
| |
− | | |
− | इसे सम्मेद शिखर भी कहते हैं। सभी जैन सम्प्रदाय इसे परम पवित्र क्षेत्र
| |
− | | |
− | मानते हैं। यहाँ परएक अन्य मन्दिर में तीर्थकरों की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
| |
− | | |
− | एक स्थानीय मान्यता के अनुसारइस पर्वत की वन्दना से नरकवास से
| |
− | | |
− | बचा जा सकता है।
| |
− | | |
− | महिषी मण्डन मिश्र का निवासस्थान है। इसका प्राचीन नाम सहषाँ भी
| |
− | | |
− | है। यही वह स्थान है जहाँ पर मण्डन मिश्र और जगद्गुरु आदि
| |
− | | |
− | शंकराचार्य का इतिहास-प्रसिद्ध शास्त्रार्थ हुआ था। मण्डन मिश्र आदि
| |
− | | |
− | जगद्गुरु के तकों का सामना नहीं कर सके और पराभूत हो शांकराचार्य
| |
− | | |
− | के शिष्य बन गये। परन्तु मण्डन मिश्र की धर्मपत्नी ने शांकराचार्य से
| |
− | | |
− | दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित प्रश्न पूछकर उन्हें निरुत्तर कर दिया। तब
| |
− | | |
− | शांकराचार्य ने उस प्रश्न का उत्तर देने के लिए समय माँगा लिया।
| |
− | | |
− | तत्पश्चात् एक राजा की मृत देह में प्रवेश कर उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर
| |
− | | |
− | प्राप्त किया, तभी शांकराचार्य को विजयी माना गया। यह स्थान उत्तर
| |
− | | |
− | बिहार में नेपाल सीमा के पास स्थित है।
| |
− | | |
− | हजारीबाग के पठारी व पर्वतीयप्रदेश मेंस्थित यह आधुनिकऔद्योगिक हुआ, वहाँ एक प्राचीन मन्दिर बना हुआ है। समीप ही एक सरोवर और <sub>नगर है। इसे बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी होने का भी श्रेय प्राप्त है।</sub> | |
− | | |
− | 66 पुण्यभूमेभारत
| |
− | | |
− | रॉची समुद्रतल से लगभग 700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। रॉची के | |
− | | |
− | चारों ओर प्राकृतिक छटा बिखरी पड़ी है। इसके पास में एक पहाड़ी पर | |
− | | |
− | स्थित शिव मन्दिर रॉची के सौन्दर्य को भव्यता प्रदान करता हैं। बिहार के | |
− | | |
− | सुन्दरतम प्राकृतिक जल-प्रपात रॉची के समीपवर्ती प्रदेश में पड़ते हैं। | |
− | | |
− | इनमें सुवर्ण रेखा नदी पर 107 मीटर ऊँचा हुण्डु, प्रपात तथा इसकी | |
− | | |
− | सहायक नदी परजोन्हा प्रपात प्रमुख हैं। रॉची बिहार का औद्योगिक नगर | |
− | | |
− | है।जहाँ यंत्र-निर्माण तथा खनिजों से सम्बन्धित उद्योगों का विकास हुआ | |
− | | |
− | है| झारखण्ड प्रदेश बनाने के उपरान्त अब रॉची उसकी राजधानी है। | |
| | | |
| जमशेदपुर (टाटा काट) | | जमशेदपुर (टाटा काट) |