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| यह वृद्धा मुझे गुंडा मान बैठी थी । मैं उसे मार कर लूट लुंगा ऐसा उसे लगता था। उसने मुझे पोस्ट ओफ़िस पहुँचने तक लगातार हत्या तथा पीटाई के भय से उसके जैसी वृद्धाओं को कैसा एकाकी जीवन जीना पडता है यह समझाया । एक सप्ताह पूर्व ही उसकी एक समवयस्क पडोसन की पिटाई कर कोई उसकी पर्स उठा ले गया था । | | यह वृद्धा मुझे गुंडा मान बैठी थी । मैं उसे मार कर लूट लुंगा ऐसा उसे लगता था। उसने मुझे पोस्ट ओफ़िस पहुँचने तक लगातार हत्या तथा पीटाई के भय से उसके जैसी वृद्धाओं को कैसा एकाकी जीवन जीना पडता है यह समझाया । एक सप्ताह पूर्व ही उसकी एक समवयस्क पडोसन की पिटाई कर कोई उसकी पर्स उठा ले गया था । |
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− | 'मैं भी हमेशा घण्टी बजने पर बड़ी सावधानी से दरवाजा खोलती हूँ। | + | 'मैं भी सदा घण्टी बजने पर बड़ी सावधानी से दरवाजा खोलती हूँ। |
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| मुझे याद आया की यहाँ तो पोस्टमेन भी नीचे सबके नाम लिखी पेटी में ही डाक डालता है। दूधवाला भी दरवाजे पर बॉटल रख कर चला जाता है। कभी कभी बॉटल दूसरे दिन भी वहाँ पड़ी मिली तो पुलिस को जानकारी देता है, दरवाजा तोड कर अंदर जाने पर पुलिस को सडी हुई लाश मिलती है। उस एकाकी जीवन के अंतिम क्षण भी ऐसे भयावह होते हैं। | | मुझे याद आया की यहाँ तो पोस्टमेन भी नीचे सबके नाम लिखी पेटी में ही डाक डालता है। दूधवाला भी दरवाजे पर बॉटल रख कर चला जाता है। कभी कभी बॉटल दूसरे दिन भी वहाँ पड़ी मिली तो पुलिस को जानकारी देता है, दरवाजा तोड कर अंदर जाने पर पुलिस को सडी हुई लाश मिलती है। उस एकाकी जीवन के अंतिम क्षण भी ऐसे भयावह होते हैं। |
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| 'पूरा पानी पॉल्युटेड है। दुषित है, एक घूंट भी पीनेलायक नहीं है। 'मेरे अमेरिकन मित्र ने कहा। | | 'पूरा पानी पॉल्युटेड है। दुषित है, एक घूंट भी पीनेलायक नहीं है। 'मेरे अमेरिकन मित्र ने कहा। |
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− | यहाँ सब ऐसा ही है। मेरी ऑफिस में काम करनेवाले मित्र की माताजी का देहावसान हुआ। हमेशा की तरह ऑफिस में हम व्यावसायिक चर्चा कर रहे थे । मैं ने बडे संकोच से कहा, 'माताजी दिवंगत हो गई, बहुत बुरी खबर है, तुम फ्युनरल में कब जाओगे ?' उसकी माँ निकटस्थ उपनगर में रहती थी। 'मैं क्यों फ्युनरल में जाउंगा ? मैंने फ्यूनरल कंपनी को फोन कर दिया है। वे लोग सब संभाल लेंगे। 'यह उसका उत्तर था। | + | यहाँ सब ऐसा ही है। मेरी ऑफिस में काम करनेवाले मित्र की माताजी का देहावसान हुआ। सदा की तरह ऑफिस में हम व्यावसायिक चर्चा कर रहे थे । मैं ने बडे संकोच से कहा, 'माताजी दिवंगत हो गई, बहुत बुरी खबर है, तुम फ्युनरल में कब जाओगे ?' उसकी माँ निकटस्थ उपनगर में रहती थी। 'मैं क्यों फ्युनरल में जाउंगा ? मैंने फ्यूनरल कंपनी को फोन कर दिया है। वे लोग सब संभाल लेंगे। 'यह उसका उत्तर था। |
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| और इस देश में 'मधर्स डे' बहुत उत्साह से मनाया जाता है। मुझे अमेरिका की पोस्टऑफिस का पता तो मिल गया पर खुद अमेरिका का पता नहीं मिला । वास्तव में तो खुद अमेरिकन्स भी अपना पता खो बैठे हैं। | | और इस देश में 'मधर्स डे' बहुत उत्साह से मनाया जाता है। मुझे अमेरिका की पोस्टऑफिस का पता तो मिल गया पर खुद अमेरिका का पता नहीं मिला । वास्तव में तो खुद अमेरिकन्स भी अपना पता खो बैठे हैं। |