Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "मेहमान" to "अतिथि"
Line 50: Line 50:  
३२. पतिपत्नी सन्तान को जन्म देकर मातापिता बनते हैं वह उनकी संस्कृति की सेवा है और गृहस्थ और गृहिणी अर्थात्‌ गृहस्थाश्रमी बनते हैं वह उनकी समाज की सेवा है ।
 
३२. पतिपत्नी सन्तान को जन्म देकर मातापिता बनते हैं वह उनकी संस्कृति की सेवा है और गृहस्थ और गृहिणी अर्थात्‌ गृहस्थाश्रमी बनते हैं वह उनकी समाज की सेवा है ।
   −
३३. घर में आये मेहमान घर के सभी सदस्यों के मेहमान होते हैं, किसी एक या दो के नहीं । घर के प्रत्येक सदस्य को उसके स्वागत में सहभागी होना चाहिये ।
+
३३. घर में आये अतिथि घर के सभी सदस्यों के अतिथि होते हैं, किसी एक या दो के नहीं । घर के प्रत्येक सदस्य को उसके स्वागत में सहभागी होना चाहिये ।
    
३४. परिवार में त्याग की बहुत महिमा है । सब एकदूसरे के लिये त्याग करते हैं तभी परिवार में सुख आता है । त्याग करना सिखाना चाहिये, त्याग का स्वरूप जानना भी सिखाना चाहिये और दूसरों ने किये हुए त्याग का स्मरण रख उसकी कदर बूझना भी सिखाना चाहिये ।
 
३४. परिवार में त्याग की बहुत महिमा है । सब एकदूसरे के लिये त्याग करते हैं तभी परिवार में सुख आता है । त्याग करना सिखाना चाहिये, त्याग का स्वरूप जानना भी सिखाना चाहिये और दूसरों ने किये हुए त्याग का स्मरण रख उसकी कदर बूझना भी सिखाना चाहिये ।

Navigation menu