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एक दिन
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विजयनगर के महाराज कृष्णदेवराय जी की माता जी का स्वस्थ ख़राब चल रहा था । एक दिन महाराज की माता जी ने महराज को बुलवाया और कहने लगी की मुझे आम बहुत ही प्रिय है। मै ब्राह्मणों को आम दान करना चाहती हूँ। महाराज ने कहा ठीक है माँ मै तैयारियां करवाता हूँ | तैयारी चल ही रही थी की महाराज की माता का निधन हो गया | सभी विधि विधान और परंपरा के साथ माता जी का दाह संस्कार कार्यक्रम किया गया | परन्तु महाराज को आम दान करने की बात लगातार परेशां कर रही थी | ठीक तरह से सो भी नहीं पा रहे थे |
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महाराज ने नगर के कुछ ब्राह्मणों को बुलवाया और उनके समक्ष माता जी के आखिरी इच्छा की बात बताई और उसका निवारण पूछा | सभी ब्राह्मण आपस में विचार विमर्श करने लगे | ब्राह्मणों को लगा की अब अच्छा समय है महाराज से कुछ धन कमाने का | ब्राह्मणों ने कहा महाराज इसका उपाय एक ही है आप अपनी माताजी के लिए एक भो का आयोजन करे और भोज में  आये ब्राह्मणों को सोने आम दर स्वरुप भेट करे ब्राह्मणों को दान करने से आपकी माता की इच्छा पूरी हो जाएगी और आपकी माता जी की आत्मा को शांति मिलेगी | महाराज ने कहा अच्छी बात है महाराज ने भोज का आयोजन करने का आदेश दे दिया |
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