विजयनगर के महाराज कृष्णदेवराय जी की माता जी का स्वस्थ ख़राब चल रहा था । एक दिन महाराज की माता जी ने महराज को बुलवाया और कहने लगी की मुझे आम बहुत ही प्रिय है। मै ब्राह्मणों को आम दान करना चाहती हूँ। महाराज ने कहा ठीक है माँ मै तैयारियां करवाता हूँ | तैयारी चल ही रही थी की महाराज की माता का निधन हो गया | सभी विधि विधान और परंपरा के साथ माता जी का दाह संस्कार कार्यक्रम किया गया | परन्तु महाराज को आम दान करने की बात लगातार परेशां कर रही थी | ठीक तरह से सो भी नहीं पा रहे थे | | विजयनगर के महाराज कृष्णदेवराय जी की माता जी का स्वस्थ ख़राब चल रहा था । एक दिन महाराज की माता जी ने महराज को बुलवाया और कहने लगी की मुझे आम बहुत ही प्रिय है। मै ब्राह्मणों को आम दान करना चाहती हूँ। महाराज ने कहा ठीक है माँ मै तैयारियां करवाता हूँ | तैयारी चल ही रही थी की महाराज की माता का निधन हो गया | सभी विधि विधान और परंपरा के साथ माता जी का दाह संस्कार कार्यक्रम किया गया | परन्तु महाराज को आम दान करने की बात लगातार परेशां कर रही थी | ठीक तरह से सो भी नहीं पा रहे थे | |