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“गुरुकुल' संज्ञा में दो शब्द हैं और दोनों महत्त्वपूर्ण हैं। एक शब्द हैं गुरु और दूसरा है 'कुल' । भारतीय शिक्षा परंपरा में गुरु" अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, किंबहुना सम्पूर्ण शिक्षातंत्र के केन्द्र स्थान में गुरु ही है । विभिन्‍न शास्त्रग्रंथों में 'गुरु' संज्ञा को विभिन्‍न प्रकार से व्याख्यायित किया गया है । इनमें से तीन सन्दर्भ महत्त्वपूर्ण
 
“गुरुकुल' संज्ञा में दो शब्द हैं और दोनों महत्त्वपूर्ण हैं। एक शब्द हैं गुरु और दूसरा है 'कुल' । भारतीय शिक्षा परंपरा में गुरु" अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, किंबहुना सम्पूर्ण शिक्षातंत्र के केन्द्र स्थान में गुरु ही है । विभिन्‍न शास्त्रग्रंथों में 'गुरु' संज्ञा को विभिन्‍न प्रकार से व्याख्यायित किया गया है । इनमें से तीन सन्दर्भ महत्त्वपूर्ण
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लगते हैं:<blockquote>शान्तो दान्तः कुलीनश्व विनीतः शुद्धवेषवान । शुद्धाचारः सुप्रतिष्ठ: शुचिर्दक्ष: सुबुद्धिमान ।</blockquote><blockquote>अध्यात्म ध्याननिष्ठश्र मन्त्रतन्त्रविशारदः: । निग्रहानुग्रहे शक्‍तो गुरुरित्यमिधीयते ।।</blockquote>तंत्रसार
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लगते हैं{{Citation needed}} :<blockquote>शान्तो दान्तः कुलीनश्व विनीतः शुद्धवेषवान । शुद्धाचारः सुप्रतिष्ठ: शुचिर्दक्ष: सुबुद्धिमान ।</blockquote><blockquote>अध्यात्म ध्याननिष्ठश्र मन्त्रतन्त्रविशारदः: । निग्रहानुग्रहे शक्‍तो गुरुरित्यमिधीयते ।।</blockquote>तंत्रसार
    
Bed, seal al GA करने वाला, कुलीन,
 
Bed, seal al GA करने वाला, कुलीन,

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