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विद्यालय में मध्यावकाश के भोजन के लिए स्वतंत्र भोजन शाला हो, जहाँ पढ़ना उसी कक्षा में भोजन करना ठीक नहीं है । यह भोजनशाला स्वच्छ, खुली हवा में, गोबर से लिपी हुई हो तो अच्छा है । सब छात्र पंगती में बैठकर भोजन कर सके इतनी पर्याप्त भोजनपड्टी, भोजनमंत्र और गाय के लिए खाना निकालने की व्यवस्था हो सकती है।
 
विद्यालय में मध्यावकाश के भोजन के लिए स्वतंत्र भोजन शाला हो, जहाँ पढ़ना उसी कक्षा में भोजन करना ठीक नहीं है । यह भोजनशाला स्वच्छ, खुली हवा में, गोबर से लिपी हुई हो तो अच्छा है । सब छात्र पंगती में बैठकर भोजन कर सके इतनी पर्याप्त भोजनपड्टी, भोजनमंत्र और गाय के लिए खाना निकालने की व्यवस्था हो सकती है।
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अन्न से शरीर मे बल आता है, प्राण भी बलवान होते
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अन्न से शरीर मे बल आता है, प्राण भी बलवान होते हैं । योग्य आहार से शरीर स्वास्थ्य बना रहता है । चित्त पर संस्कार होते है इसलिए भोजन शुद्ध हो रुचिपूर्ण हो तामसी न हो । भोजन करते समय मन प्रसन्न होना चाहिये ।
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हैं । योग्य आहार से शरीर स्वास्थ्य बना रहता है । चित्त पर
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===== विमर्श =====
 
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संस्कार होते है इसलिए भोजन शुद्ध हो रुचिपूर्ण हो तामसी
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न हो । भोजन करते समय मन प्रसन्न होना चाहिये ।
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अन्नब्रह्म का भाव जगाना
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===== अन्नब्रह्म का भाव जगाना =====
 
विद्यालय मे भोजन करते समय छात्र आसनपट्टी पर
 
विद्यालय मे भोजन करते समय छात्र आसनपट्टी पर
  
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