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दसवें प्रश्न के उत्तर में जोधपुर के श्री जगदीश पुरोहितने अपना मन्तव्य व्यक्त किया है कि भारत जैसे विस्तृत भूभाग वाले देश में जलवायु परिवर्तन के अनुसार क्षेत्रश: विद्यालय समयावधि में भी परिवर्तन अवश्य करना चाहिये ।
 
दसवें प्रश्न के उत्तर में जोधपुर के श्री जगदीश पुरोहितने अपना मन्तव्य व्यक्त किया है कि भारत जैसे विस्तृत भूभाग वाले देश में जलवायु परिवर्तन के अनुसार क्षेत्रश: विद्यालय समयावधि में भी परिवर्तन अवश्य करना चाहिये ।
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अभिमत - प्रश्नावलली भरकर देने वाले सभी
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अभिमत - प्रश्नावलली भरकर देने वाले सभी महानुभाव विद्यालय के दैनन्दिन शैक्षिक कार्य से जुड़े हुए थे । अतः प्रश्नावली के सभी प्रश्नों से पूर्ण रूपेण  परिचित व अनुभवी थे । अतः सुविधा एवं समायोजन के विचारों से ग्रस्त होने के कारण विद्यालय समय के सम्बन्ध में भारतीय विचार क्या हैं उनका विस्मरण कर गये । ऐसा उनके उत्तरों से लगा ।
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ब्रह्ममुहूरत अध्ययन के लिये उत्तम समय है यह भारतीय चिन्तन है। परन्तु इस समय विद्यालय लगाना सम्भव नहीं, अतः प्रात: ७-३० बजे का समय ज्ञानार्जन के लिए उपयुक्त होते हुए भी विद्यार्थियों को बहुत जल्दी उठना न पड़े, इसलिये प्रातः ९ बजे का समय उचित समझा गया है । दो पारी विद्यालय में दूसरी पारी मध्याह्म १२-३० बजे से चलना, ज्ञानार्जन की दृष्टि से सर्वथा अनुपयोगी समय है। ज्ञानार्जन में भोजनोपरान्त का समय सबसे अधिक बाधक माना जाता है । इस समय विद्यालय चलाने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता । इतना अवश्य समझ में आता है कि यह समय सबके लिए सुविधाजनक अवश्य है, परन्तु केवल सुविधा के लिए बाधक समय रखने में कितनी सुज्ञता है, आप ही विचार करें ।
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महानुभाव विद्यालय के दैनन्दिन शैक्षिक
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विद्यालय में प्रत्येक रविवार को और कहीं कहीं तो शनि रवि दोनों दिन छुट्टी रहती है । इस छुट्टी का प्रयोजन क्या है ? केवल विश्रान्ति । हमारे शास्त्रों ने तो उत्तम अध्ययन के दिन, सामान्य अध्ययन के दिन एवं अनध्ययन के दिनों का गहनता से विचार किया है । प्रतिमास शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, चतुर्दशी तथा अमावस्या एवं पूर्णिमा ये अनध्ययन के दिन माने गये हैं । प्रत्येक मास की दोनों अष्टमी तथा अमावस्या एवं पूर्णिमा को छुट्टी रखने से दोनों हेतु साध्य होते हैं । अध्ययन के अनुकूल दिनों में ज्ञानार्जन करना तथा अनध्ययन के दिनों में विश्राम लेना, इस सूत्र को स्वीकारना अधिक उचित प्रतीत होता है ।
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कार्य से जुड़े हुए थे । अतः प्रश्नावली के सभी प्रश्नों से पूर्ण
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विद्यालय में ज्ञानार्जन का कार्य मुख्य तथा अन्य सब बातें गौण, इसे ध्यान में रखते हुए विद्यालय का समय निर्धारित करना ही भारतीय शिक्षा विचार है ।
 
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way परिचित व अनुभवी थे । अतः सुविधा एवं
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समायोजन के विचारों से ग्रस्त होने के कारण विद्यालय
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समय के सम्बन्ध में भारतीय विचार क्या हैं उनका विस्मरण
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कर गये । ऐसा उनके उत्तरों से लगा ।
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ब्रह्ममुहूरत अध्ययन के लिये उत्तम समय है यह
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भारतीय चिन्तन है। परन्तु इस समय विद्यालय लगाना
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सम्भव नहीं, अतः प्रात: ७-३० बजे का समय ज्ञानार्जन के
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लिए उपयुक्त होते हुए भी विद्यार्थियों को बहुत जल्दी उठना
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न पड़े, इसलिये प्रातः ९ बजे का समय उचित समझा गया
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है । दो पारी विद्यालय में दूसरी पारी मध्याह्म १२-३० बजे
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से चलना, ज्ञानार्जन की दृष्टि से सर्वथा अनुपयोगी समय
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है। ज्ञानार्जन में भोजनोपरान्त का समय सबसे अधिक
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बाधक माना जाता है । इस समय विद्यालय चलाने का कोई
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औचित्य समझ में नहीं आता । इतना अवश्य समझ में
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आता है कि यह समय सबके लिए सुविधाजनक अवश्य है,
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परन्तु केवल सुविधा के लिए बाधक समय रखने में कितनी
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सुज्ञता है, आप ही विचार करें ।
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विद्यालय में प्रत्येक रविवार को और कहीं कहीं तो
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शनि रवि दोनों दिन छुट्टी रहती है । इस छुट्टी का प्रयोजन
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क्या है ? केवल विश्रान्ति । हमारे शास्त्रों ने तो उत्तम
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अध्ययन के दिन, सामान्य अध्ययन के दिन एवं अनध्ययन
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के दिनों का गहनता से विचार किया है । प्रतिमास शुक्ल
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एवं कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, चतुर्दशी तथा
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अमावस्या एवं पूर्णिमा ये अनध्ययन के दिन माने गये हैं ।
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प्रत्येक मास की दोनों अष्टमी तथा अमावस्या एवं पूर्णिमा
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को छुट्टी रखने से दोनों हेतु साध्य होते हैं । अध्ययन के
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अनुकूल दिनों में ज्ञानार्जन करना तथा अनध्ययन के दिनों में
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विश्राम लेना, इस सूत्र को स्वीकारना अधिक उचित प्रतीत
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विद्यालय में ज्ञानार्जन का कार्य मुख्य तथा अन्य सब
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