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4. आवासीय विद्यालय में शिक्षकों को विद्यालय का अंग बनकर रहना होता है । वर्तमान में शिक्षकों का सम्बन्ध केवल विषयों के अध्यापन से ही होता है परन्तु इसमें परिवर्तन कर उन्हें विद्यार्थियों के शिक्षक बनना चाहिये । विद्यालय की सम्पूर्ण व्यवस्था में सहभागी बनना चाहिये। सामान्य विद्यालय के शिक्षक और आवासीय विद्यालयों के शिक्षकों में बहुत अन्तर होता है।
 
4. आवासीय विद्यालय में शिक्षकों को विद्यालय का अंग बनकर रहना होता है । वर्तमान में शिक्षकों का सम्बन्ध केवल विषयों के अध्यापन से ही होता है परन्तु इसमें परिवर्तन कर उन्हें विद्यार्थियों के शिक्षक बनना चाहिये । विद्यालय की सम्पूर्ण व्यवस्था में सहभागी बनना चाहिये। सामान्य विद्यालय के शिक्षक और आवासीय विद्यालयों के शिक्षकों में बहुत अन्तर होता है।
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5. आवासीय विद्यालय यदि गुरुकुल के अनुसार चलाये जाय तो आज भी शिक्षा में बहुत बडे परिवर्तन की अपेक्षा की जा सकती है। वर्तमान में ऐसा होने में व्यवस्था की नहीं अपितु शिक्षकों की कमी है। शिक्षाक्षेत्र में जीवनशिक्षा यह विषय नहीं रहने के कारण शिक्षकों और विद्यार्थियों का जीवन समरस नहीं हो पाता । उदाहरण के लिये परिसर में ही जिनका निवास है ऐसे शिक्षकों की पत्नियों की विद्यालय की दैनन्दिन गतिविधियों में कोई भूमिका नहीं रहती है। अनेक बार शिक्षक भी विद्यालय परिसर में निवास नहीं चाहते हैं क्योंकि अपना जीवन विद्यार्थियों के मध्य खुली किताब जैसा बन जाय यह उन्हें पसन्द नहीं होता । यदि शिक्षक अपने आपको विद्यार्थियों के समान ही विद्यालय का अंग मानें तभी आवासीय
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5. आवासीय विद्यालय यदि गुरुकुल के अनुसार चलाये जाय तो आज भी शिक्षा में बहुत बडे परिवर्तन की अपेक्षा की जा सकती है। वर्तमान में ऐसा होने में व्यवस्था की नहीं अपितु शिक्षकों की कमी है। शिक्षाक्षेत्र में जीवनशिक्षा यह विषय नहीं रहने के कारण शिक्षकों और विद्यार्थियों का जीवन समरस नहीं हो पाता । उदाहरण के लिये परिसर में ही जिनका निवास है ऐसे शिक्षकों की पत्नियों की विद्यालय की दैनन्दिन गतिविधियों में कोई भूमिका नहीं रहती है। अनेक बार शिक्षक भी विद्यालय परिसर में निवास नहीं चाहते हैं क्योंकि अपना जीवन विद्यार्थियों के मध्य खुली किताब जैसा बन जाय यह उन्हें पसन्द नहीं होता । यदि शिक्षक अपने आपको विद्यार्थियों के समान ही विद्यालय का अंग मानें तभी आवासीय विद्यालय गुरुकुल में परिवर्तित हो सकता है । शिक्षकों के लिये भी वह चौबीस घण्टों का विद्यालय बनना चाहिये । शिक्षकों की पत्नियाँ गृहमाता बननी चाहिये।
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6. व्यवस्थाओं के विषय में भी गुरुकुल के समान अलग ही पद्धति से विचार किया जा सकता है। उदाहरण के लिये एक एक शिक्षक के साथ दस-बीस-पचीस विद्यार्थी रहते हों, वे सब भिन्न भिन्न आयु के भी हों और पूरा चौबीस घण्टों का जीवन एक बड़े परिवार की तरह रहते हों ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है । सारे काम शिक्षक, उनकी पत्नी, विद्यार्थी सब मिलकर करते हों, अध्ययन भी सब कामों में एक काम हो ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है।
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7. आजकल छात्रावासों में विद्यार्थी केवल पढेंगे, खेलेंगे
    
है। सायंकाल खेलने के बाद यदि छः बजे वापस... अधिक प्रचलन हो यह हितकारी है ।
 
है। सायंकाल खेलने के बाद यदि छः बजे वापस... अधिक प्रचलन हो यह हितकारी है ।
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