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| विश्व में हमारी कुप्रतिष्ठा कैसी है इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है... | | विश्व में हमारी कुप्रतिष्ठा कैसी है इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार है... |
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− | # जर्मनी के विश्वविद्यालय के पुस्तकालय से भारतीय विद्यार्थियों को पुस्तक ले जाने का निषेध हुआ था क्योंकि भारतीय विद्यार्थी पुस्तक में से उपयोगी सामग्री की नकल करने के स्थान पर पुस्तक के पन्ने ही फाड लेते थे। यह आरोप झूठा नहीं है यह भारत के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के ग्रन्थालयों के ग्रन्थपाल कहेंगे। | + | #जर्मनी के विश्वविद्यालय के पुस्तकालय से भारतीय विद्यार्थियों को पुस्तक ले जाने का निषेध हुआ था क्योंकि भारतीय विद्यार्थी पुस्तक में से उपयोगी सामग्री की नकल करने के स्थान पर पुस्तक के पन्ने ही फाड लेते थे। यह आरोप झूठा नहीं है यह भारत के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के ग्रन्थालयों के ग्रन्थपाल कहेंगे। |
− | # ऑस्ट्रेलिया में यदि आपका मोबाइल खो जाता है और आप सरकार को बताते हैं तो सरकार बिना पूछताछ किये आपको दूसरा मोबाइल देती है । सरकार अपने नागरिक का विश्वास करती है । कई भारतीय अपना मोबाइल भारत में भेज देते हैं और सरकार से चोरी हो गया कहकर दूसरा लेते हैं। सरकार उन्हें देती भी है । ऐसा दो बार, होने के बाद पूछताछ शुरू होती है ।सरकार का यह विश्वास कितने दिन चलेगा ? तब लांछन किस को लगेगा ? | + | #ऑस्ट्रेलिया में यदि आपका मोबाइल खो जाता है और आप सरकार को बताते हैं तो सरकार बिना पूछताछ किये आपको दूसरा मोबाइल देती है । सरकार अपने नागरिक का विश्वास करती है । कई भारतीय अपना मोबाइल भारत में भेज देते हैं और सरकार से चोरी हो गया कहकर दूसरा लेते हैं। सरकार उन्हें देती भी है । ऐसा दो बार, होने के बाद पूछताछ शुरू होती है ।सरकार का यह विश्वास कितने दिन चलेगा ? तब लांछन किस को लगेगा ? |
− | # विदेश में भी जो चोरी करते हैं और अनीति का आचरण करते हैं वे देश में क्या नहीं करेंगे ? यहाँ भी कानून तोडना, घूस देना और लेना, कस्वोरी करना, परीक्षा में नकल करना, पैसा लेकर मत बेचना, शराबबन्दी होने पर भी शराब बेचना और पीना, गोबधबन्दी होने पर भी गोहत्या करना, मौका मिले तो बिना टिकट यात्रा करना धूमधाम से चल रहा है । खुछ्ठम-खु्ठा चोरी, डकैती, लूट, हत्या आदि की बात तो अलग है, यह तो सारे अनीति के मामले हैं । | + | #विदेश में भी जो चोरी करते हैं और अनीति का आचरण करते हैं वे देश में क्या नहीं करेंगे ? यहाँ भी कानून तोडना, घूस देना और लेना, कस्वोरी करना, परीक्षा में नकल करना, पैसा लेकर मत बेचना, शराबबन्दी होने पर भी शराब बेचना और पीना, गोबधबन्दी होने पर भी गोहत्या करना, मौका मिले तो बिना टिकट यात्रा करना धूमधाम से चल रहा है । खुछ्ठम-खु्ठा चोरी, डकैती, लूट, हत्या आदि की बात तो अलग है, यह तो सारे अनीति के मामले हैं । |
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| यह अनीति समाजविरोधी है, देशविरोधी है, धर्मविरोधी है । भारत की विचारधारा कभी भी इसका समर्थन नहीं करती । भारत की परम्परा इसकी कभी भी दुहाई नहीं देती । यहाँ तो दो शत्रुओं के बीच युद्ध भी धर्म के नियमों का पालन करके होते हैं। निहत्थे शत्रु के साथ लडने के लिये व्यक्ति अपना हथियार छोड देता है क्योंकि एक के हाथ में शस्त्र हो और दूसरे के हाथ में न हो तो शख्रधारी निःशस्त्र के साथ युद्ध करे यह अन्याय है, अधर्म है । | | यह अनीति समाजविरोधी है, देशविरोधी है, धर्मविरोधी है । भारत की विचारधारा कभी भी इसका समर्थन नहीं करती । भारत की परम्परा इसकी कभी भी दुहाई नहीं देती । यहाँ तो दो शत्रुओं के बीच युद्ध भी धर्म के नियमों का पालन करके होते हैं। निहत्थे शत्रु के साथ लडने के लिये व्यक्ति अपना हथियार छोड देता है क्योंकि एक के हाथ में शस्त्र हो और दूसरे के हाथ में न हो तो शख्रधारी निःशस्त्र के साथ युद्ध करे यह अन्याय है, अधर्म है । |
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| =====नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम===== | | =====नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम===== |
− | इन विद्यालयों ने मिलकर विद्यार्थियों के लिये | + | इन विद्यालयों ने मिलकर विद्यार्थियों के लिये नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम बनाना चाहिये । ये दस सूत्र इस प्रकार हैं... |
− | नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम बनाना चाहिये । ये दस सूत्र | |
− | इस प्रकार हैं... | |
− | १, किसी भी परीक्षा में नकल नहीं करना ।
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− | २. . विद्यालय की सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाना ।
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− | 3. किसी भी शिक्षक की पीठ के पीछे निन््दा नहीं
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− | करना |
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− | शिक्षक की आज्ञा की अवज्ञा नहीं करना ।
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− | झूठ नहीं बोलना ।
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− | विद्यालय के नियमों का उल्लंघन नहीं करना ।
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− | ट्यूशन या कोचिंग क्लास में नहीं जाना ।
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− | घर से विद्यालय और विद्यालय से घर पैद्ल अथवा
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− | बाइसिकल से आनाजाना |
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− | ९... कारखाने में बने कपडे और जूते नहीं पहनना, दर्जी ने
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− | और मोची ने बनाये हुए ही पहनना ।
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− | सूती गणवेश पहनना ।
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− | ये दस सूत्र इनसे अलग भी हो सकते हैं । यहाँ केवल
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− | उदाहरण दिये हैं ।
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− | कोई कह सकता है कि ये सब अनीति की ही बातें
| + | # किसी भी परीक्षा में नकल नहीं करना । |
− | नहीं है, ये तो अध्ययन और सामग्री के उपयोग की भी बातें | + | # विद्यालय की सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाना । |
− | हैं । इनका सत्य असत्य या नीतिअनीति से क्या सम्बन्ध ?
| + | # किसी भी शिक्षक की पीठ के पीछे निन््दा नहीं करना | |
| + | # शिक्षक की आज्ञा की अवज्ञा नहीं करना । |
| + | # झूठ नहीं बोलना । |
| + | # विद्यालय के नियमों का उल्लंघन नहीं करना । |
| + | # ट्यूशन या कोचिंग क्लास में नहीं जाना । |
| + | # घर से विद्यालय और विद्यालय से घर पैद्ल अथवा बाइसिकल से आनाजाना | |
| + | # कारखाने में बने कपडे और जूते नहीं पहनना, दर्जी ने और मोची ने बनाये हुए ही पहनना । |
| + | # सूती गणवेश पहनना । |
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− | S © MS 2६
| + | ये दस सूत्र इनसे अलग भी हो सकते हैं । यहाँ केवल उदाहरण दिये हैं । |
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− | १०.
| + | कोई कह सकता है कि ये सब अनीति की ही बातें नहीं है, ये तो अध्ययन और सामग्री के उपयोग की भी बातें हैं । इनका सत्य असत्य या नीतिअनीति से क्या सम्बन्ध ? |
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− | अपनी दृष्टि व्यापक बनाना | + | ===== अपनी दृष्टि व्यापक बनाना ===== |
| + | बात प्रथम दृष्टि में तो ठीक लगती है, परन्तु हमें व्यापक दृष्टि से देखना होगा । दृष्टि व्यापक करने से इन |
| + | बातों को भी सूची में समाविष्ट करने का तात्पर्य ध्यान में आयेगा | |
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− | बात प्रथम दृष्टि में तो ठीक लगती है, परन्तु हमें
| + | * इस कार्यक्रम को अपने अपने विद्यालयों में निश्चितता पूर्वक लागू करना चाहिये । कडाई से लागू करने से प्रारम्भ होगा परन्तु धीरे धीरे विद्यार्थियों और अभिभावकों को समझाकर सहमत बनाना चाहिये । सबको इन बातों के लिये अपने विद्यालय पर गर्व हो ऐसी स्थिति आनी चाहिये । |
− | व्यापक दृष्टि से देखना होगा । दृष्टि व्यापक करने से इन
| + | * धीरे धीरे इन विद्यालयों की प्रतिष्ठा समाज में बनने लगे इस बात की और ध्यान देना चाहिये । सज्जनों को चाहिये कि वे इन्हें समाज में प्रतिष्ठा दिलने का काम करे । |
− | बातों को भी सूची में समाविष्ट करने का तात्पर्य ध्यान में
| + | * अब इन विद्यालयों का सामर्थ्य केवल संचालकों और शिक्षकों तक सीमित नहीं है । विद्यार्थी और उनके परिवार भी इनके साथ जुडे हैं । |
− | आयेगा |
| + | * अब इन विद्यालयों ने आसपास के विद्यालयों को बदलने का. अभियान छेडना होगा । विद्यार्थी विद्यार्थियों को, शिक्षक शिक्षकों को और संचालक संचालकों को परिवर्तित करने का काम करें । |
− | | + | * अब धमचिार्यों को भी इस अभियान में जुड़ने हेतु समझाना चाहिये । सन्त, महन्त, आचार्य, कथाकार, सत्संगी सार्वजनिक कार्यक्रमों में नीतिमत्ता के इन दस सूत्रों के पालन का आग्रह करें, अपने अनुयायियों से प्रतिज्ञा करवायें । |
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| + | * कुछ दम्भी और भोंदू अवश्य होंगे, तथापि इसका परिणाम अवश्य होगा | |
− | | + | * नीतिमत्ता की परीक्षा करना भूलना नहीं चाहिये, नहीं तो दम्भ फैलेगा । इन सूत्रों का क्रियान्वयन सरल है ऐसा तो नहीं है । |
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− | कडाई से लागू करने से प्रारम्भ होगा परन्तु धीरे धीरे | |
− | विद्यार्थियों और अभिभावकों को समझाकर सहमत | |
− | बनाना चाहिये । सबको इन बातों के लिये अपने | |
− | विद्यालय पर गर्व हो ऐसी स्थिति आनी चाहिये । | |
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− | e धीरे धीरे इन विद्यालयों की प्रतिष्ठा समाज में बनने
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− | लगे इस बात की और ध्यान देना चाहिये । सज्जनों | |
− | को चाहिये कि वे इन्हें समाज में प्रतिष्ठा दिलने का | |
− | काम करे । | |
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− | ०. अब इन विद्यालयों का सामर्थ्य केवल संचालकों
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− | और शिक्षकों तक सीमित नहीं है । विद्यार्थी और | |
− | उनके परिवार भी इनके साथ जुडे हैं । | |
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− | ०. अब इन विद्यालयों ने आसपास के विद्यालयों को
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− | बदलने का. अभियान छेडना होगा । विद्यार्थी | |
− | विद्यार्थियों को, शिक्षक शिक्षकों को और संचालक | |
− | संचालकों को परिवर्तित करने का काम करें । | |
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− | e अब धमचिार्यों को भी इस अभियान में जुड़ने हेतु
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− | समझाना चाहिये । सन्त, महन्त, आचार्य, कथाकार, | |
− | सत्संगी सार्वजनिक कार्यक्रमों में नीतिमत्ता के इन दस | |
− | सूत्रों के पालन का आग्रह करें, अपने अनुयायियों से | |
− | प्रतिज्ञा करवायें । | |
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− | © कुछ दम्भी और भोंदू अवश्य होंगे, तथापि इसका
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− | परिणाम अवश्य होगा | | |
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− | ०... नीतिमत्ता की परीक्षा करना भूलना नहीं चाहिये, नहीं
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− | तो दम्भ फैलेगा । | |
− | इन सूत्रों का क्रियान्वयन सरल है ऐसा तो नहीं है । | |
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| साथ ही इन दस सूत्रों में ही सारी नीतिमत्ता का समावेश हो | | साथ ही इन दस सूत्रों में ही सारी नीतिमत्ता का समावेश हो |