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इन विद्यालयों ने मिलकर विद्यार्थियों के लिये नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम बनाना चाहिये । ये दस सूत्र इस प्रकार हैं...
 
इन विद्यालयों ने मिलकर विद्यार्थियों के लिये नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम बनाना चाहिये । ये दस सूत्र इस प्रकार हैं...
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# किसी भी परीक्षा में नकल नहीं करना ।
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#किसी भी परीक्षा में नकल नहीं करना ।
# विद्यालय की सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाना ।
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#विद्यालय की सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाना ।
# किसी भी शिक्षक की पीठ के पीछे निन्‍्दा नहीं करना |
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#किसी भी शिक्षक की पीठ के पीछे निन्‍्दा नहीं करना |
# शिक्षक की आज्ञा की अवज्ञा नहीं करना ।
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#शिक्षक की आज्ञा की अवज्ञा नहीं करना ।
# झूठ नहीं बोलना ।
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#झूठ नहीं बोलना ।
# विद्यालय के नियमों का उल्लंघन नहीं करना ।
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#विद्यालय के नियमों का उल्लंघन नहीं करना ।
# ट्यूशन या कोचिंग क्लास में नहीं जाना ।
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#ट्यूशन या कोचिंग क्लास में नहीं जाना ।
# घर से विद्यालय और विद्यालय से घर पैद्ल अथवा बाइसिकल से आनाजाना |
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#घर से विद्यालय और विद्यालय से घर पैद्ल अथवा बाइसिकल से आनाजाना |
# कारखाने में बने कपडे और जूते नहीं पहनना, दर्जी ने और मोची ने बनाये हुए ही पहनना ।
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#कारखाने में बने कपडे और जूते नहीं पहनना, दर्जी ने और मोची ने बनाये हुए ही पहनना ।
# सूती गणवेश पहनना ।
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#सूती गणवेश पहनना ।
    
ये दस सूत्र इनसे अलग भी हो सकते हैं । यहाँ केवल उदाहरण दिये हैं ।
 
ये दस सूत्र इनसे अलग भी हो सकते हैं । यहाँ केवल उदाहरण दिये हैं ।
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कोई कह सकता है कि ये सब अनीति की ही बातें नहीं है, ये तो अध्ययन और सामग्री के उपयोग की भी बातें हैं । इनका सत्य असत्य या नीतिअनीति से क्या सम्बन्ध ?
 
कोई कह सकता है कि ये सब अनीति की ही बातें नहीं है, ये तो अध्ययन और सामग्री के उपयोग की भी बातें हैं । इनका सत्य असत्य या नीतिअनीति से क्या सम्बन्ध ?
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===== अपनी दृष्टि व्यापक बनाना =====
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=====अपनी दृष्टि व्यापक बनाना=====
 
बात प्रथम दृष्टि में तो ठीक लगती है, परन्तु हमें व्यापक दृष्टि से देखना होगा । दृष्टि व्यापक करने से इन
 
बात प्रथम दृष्टि में तो ठीक लगती है, परन्तु हमें व्यापक दृष्टि से देखना होगा । दृष्टि व्यापक करने से इन
 
बातों को भी सूची में समाविष्ट करने का तात्पर्य ध्यान में आयेगा |
 
बातों को भी सूची में समाविष्ट करने का तात्पर्य ध्यान में आयेगा |
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* इस कार्यक्रम को अपने अपने विद्यालयों में निश्चितता पूर्वक लागू करना चाहिये । कडाई से लागू करने से प्रारम्भ होगा परन्तु धीरे धीरे विद्यार्थियों और अभिभावकों को समझाकर सहमत बनाना चाहिये । सबको इन बातों के लिये अपने विद्यालय पर गर्व हो ऐसी स्थिति आनी चाहिये ।
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*इस कार्यक्रम को अपने अपने विद्यालयों में निश्चितता पूर्वक लागू करना चाहिये । कडाई से लागू करने से प्रारम्भ होगा परन्तु धीरे धीरे विद्यार्थियों और अभिभावकों को समझाकर सहमत बनाना चाहिये । सबको इन बातों के लिये अपने विद्यालय पर गर्व हो ऐसी स्थिति आनी चाहिये ।
* धीरे धीरे इन विद्यालयों की प्रतिष्ठा समाज में बनने लगे इस बात की और ध्यान देना चाहिये । सज्जनों को चाहिये कि वे इन्हें समाज में प्रतिष्ठा दिलने का काम करे ।
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*धीरे धीरे इन विद्यालयों की प्रतिष्ठा समाज में बनने लगे इस बात की और ध्यान देना चाहिये । सज्जनों को चाहिये कि वे इन्हें समाज में प्रतिष्ठा दिलने का काम करे ।
* अब इन विद्यालयों का सामर्थ्य केवल संचालकों और शिक्षकों तक सीमित नहीं है । विद्यार्थी और उनके परिवार भी इनके साथ जुडे हैं ।
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*अब इन विद्यालयों का सामर्थ्य केवल संचालकों और शिक्षकों तक सीमित नहीं है । विद्यार्थी और उनके परिवार भी इनके साथ जुडे हैं ।
* अब इन विद्यालयों ने आसपास के विद्यालयों को बदलने का. अभियान छेडना होगा । विद्यार्थी विद्यार्थियों को, शिक्षक शिक्षकों को और संचालक संचालकों को परिवर्तित करने का काम करें ।
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*अब इन विद्यालयों ने आसपास के विद्यालयों को बदलने का. अभियान छेडना होगा । विद्यार्थी विद्यार्थियों को, शिक्षक शिक्षकों को और संचालक संचालकों को परिवर्तित करने का काम करें ।
* अब धमचिार्यों को भी इस अभियान में जुड़ने हेतु समझाना चाहिये । सन्त, महन्त, आचार्य, कथाकार, सत्संगी सार्वजनिक कार्यक्रमों में नीतिमत्ता के इन दस सूत्रों के पालन का आग्रह करें, अपने अनुयायियों से प्रतिज्ञा करवायें ।
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*अब धमचिार्यों को भी इस अभियान में जुड़ने हेतु समझाना चाहिये । सन्त, महन्त, आचार्य, कथाकार, सत्संगी सार्वजनिक कार्यक्रमों में नीतिमत्ता के इन दस सूत्रों के पालन का आग्रह करें, अपने अनुयायियों से प्रतिज्ञा करवायें ।
* कुछ दम्भी और भोंदू अवश्य होंगे, तथापि इसका परिणाम अवश्य होगा |
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*कुछ दम्भी और भोंदू अवश्य होंगे, तथापि इसका परिणाम अवश्य होगा |
* नीतिमत्ता की परीक्षा करना भूलना नहीं चाहिये, नहीं तो दम्भ फैलेगा । इन सूत्रों का क्रियान्वयन सरल है ऐसा तो नहीं है ।
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*नीतिमत्ता की परीक्षा करना भूलना नहीं चाहिये, नहीं तो दम्भ फैलेगा । इन सूत्रों का क्रियान्वयन सरल है ऐसा तो नहीं है ।
    
साथ ही इन दस सूत्रों में ही सारी नीतिमत्ता का समावेश हो
 
साथ ही इन दस सूत्रों में ही सारी नीतिमत्ता का समावेश हो
जाता है ऐसा भी नहीं है । यह बडा व्यापक विषय है,
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जाता है ऐसा भी नहीं है । यह बडा व्यापक विषय है, सर्वत्र इसका प्रभाव है परन्तु इसे हटाना तो पड़ेगा ही। विघ्न बहुत आयेंगे । इन विघ्नों का स्वरूप कुछ इस प्रकार हो सकता है
सर्वत्र इसका प्रभाव है परन्तु इसे हटाना तो पड़ेगा ही।
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विघ्न बहुत आयेंगे । इन विघ्नों का स्वरूप कुछ इस प्रकार
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हो सकता है
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१, विद्यालयों के संचालकों और शिक्षकों की टोली में
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# विद्यालयों के संचालकों और शिक्षकों की टोली में ही अनीतिमान तत्त्वों की घूसखोरी हो सकती है । यह घूसखोरी अधिक नीतिमान के स्वांग में भी हो सकती है ।
ही अनीतिमान तत्त्वों की घूसखोरी हो सकती है ।
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# नीति की राह पर चलने वालों को लालच, भय, आरोप आदि के रूप में अवरोध निर्माण किये जा सकते हैं ।
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# अनीति के आरोप और स्वार्थी तत्त्वों की ओर से दृण्डात्मक कारवाई तक की जा सकती है ।
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# विद्यार्थी और अभिभावकों को विद्यालय के विरोधी बनाया जा सकता है ।
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* राजीनति के क्षेत्र के लोगों की ओर से जाँच, आरोप, दण्ड आदि के माध्यम से परेशानी निर्माण की जा सकती है ।
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* इन अवरोधों से भयभीत हुए बिना यदि विद्यालय डटे रहते हैं तो वे अपने अभियान में यशस्वी हो सकते हैं । लोग भी इन्हें मान्यता देने लगते हैं ।
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विश्व में भारतीय ज्ञान की प्रतिष्ठा है । अमरिका में डॉक्टर, इन्जिनियर, संगणक निष्णात, वैज्ञानिक आदि बडी संख्या में भारतीय हैं । विश्व में भारतीय परिवार संकल्पना
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we घूसखोरी अधिक नीतिमान के
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स्वांग में भी हो सकती है ।
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2. नीति की राह पर चलने वालों को लालच, भय,
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आरोप आदि के रूप में अवरोध निर्माण किये जा
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सकते हैं ।
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3. अनीति के आरोप और स्वार्थी तत्त्वों की ओर से
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दृण्डात्मक कारवाई तक की जा सकती है ।
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विद्यार्थी और अभिभावकों को विद्यालय के विरोधी
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बनाया जा सकता है ।
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०... राजीनति के क्षेत्र के लोगों की ओर से जाँच, आरोप,
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दण्ड आदि के माध्यम से परेशानी निर्माण की जा
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सकती है ।
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०. इन अवरोधों से भयभीत हुए बिना यदि विद्यालय se
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रहते हैं तो वे अपने अभियान में यशस्वी हो सकते
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हैं । लोग भी इन्हें मान्यता देने लगते हैं ।
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विश्व में भारतीय ज्ञान की प्रतिष्ठा है । अमरिका में
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डॉक्टर, इन्जिनियर, संगणक निष्णात, वैज्ञानिक आदि बडी
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संख्या में भारतीय हैं । विश्व में भारतीय परिवार संकल्पना
   
की प्रतिष्ठा है । भारत की कामगीरी की प्रतिष्ठा है । परन्तु
 
की प्रतिष्ठा है । भारत की कामगीरी की प्रतिष्ठा है । परन्तु
 
अनीतिमान लोगों के रूप में अप्रतिष्ठा भी है ।
 
अनीतिमान लोगों के रूप में अप्रतिष्ठा भी है ।
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स्वच्छता के विषय में अप्रतिष्ठा
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===== स्वच्छता के विषय में अप्रतिष्ठा =====
 
   
दूसरी अआप्रतिष्ठा है स्वच्छता के विषय में । विदेश
 
दूसरी अआप्रतिष्ठा है स्वच्छता के विषय में । विदेश
 
जाकर आये हुए भारतीय वहाँ की स्वच्छता की प्रशंसा करते
 
जाकर आये हुए भारतीय वहाँ की स्वच्छता की प्रशंसा करते
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