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@राजा तु भ्रातृभिस्सार्धं तथा सर्वैस्सुहृद्गणैः।
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राजा तु भ्रातृभिस्सार्धं तथा सर्वैस्सुहृद्गणैः।
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अशेत तां निशां राजन्दुःखशोकसमाहितः॥@
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अशेत तां निशां राजन्दुःखशोकसमाहितः॥
    
इति श्रीमहाभारते वनपर्वणि अरण्यपर्वणि पौरप्रत्यागमने प्रथमोऽध्यायः॥ 1 ॥
 
इति श्रीमहाभारते वनपर्वणि अरण्यपर्वणि पौरप्रत्यागमने प्रथमोऽध्यायः॥ 1 ॥
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