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# धर्मव्यवस्था : धर्मव्यवस्था भी एक मोटी मोटी व्यवस्था होती है। राष्ट्रीय धर्ममंडल, जनपदीय या/और तीर्थक्षेत्रीय धर्ममंडल, ग्राम/नगर/महानगर धर्ममंडल ऐसा इसका सामान्य स्वरूप होगा।
 
# धर्मव्यवस्था : धर्मव्यवस्था भी एक मोटी मोटी व्यवस्था होती है। राष्ट्रीय धर्ममंडल, जनपदीय या/और तीर्थक्षेत्रीय धर्ममंडल, ग्राम/नगर/महानगर धर्ममंडल ऐसा इसका सामान्य स्वरूप होगा।
 
# शासन व्यवस्था
 
# शासन व्यवस्था
# समृद्धि व्यवस्था का ढाँचा : वैसे तो कठोरता से बाँधी हुई कोई भी व्यवस्था किसी भी समाज के लिये अच्छी नहीं होती। इसलिये समृद्धि व्यवस्था का मोटा मोटा ढाँचा ही बताया जा सकता है।  
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# समृद्धि व्यवस्था का ढाँचा {{Image Needed}} : वैसे तो कठोरता से बाँधी हुई कोई भी व्यवस्था किसी भी समाज के लिये अच्छी नहीं होती। इसलिये समृद्धि व्यवस्था का मोटा मोटा ढाँचा ही बताया जा सकता है।  
 
# किसी भी विशेष कौशल विधा में शोध और अनुसंधान की अलग से व्यवस्था की जा सकती है। लेकिन वह अनिवार्य तो नहीं है। वह तो उस कौशल विधा के जानकार व्यक्तिश: अपने स्तर पर करते ही रहनेवाले हैं। लेकिन व्यवस्था का अर्थ है चराचर के हित में ऐसी अध्ययन और अनुसंधान की, स्वाध्याय की भावना समाज में व्याप्त होने से है। प्राचीन काल से गुरूकुलों में समावर्तन के समय दिये गये उपदेश/आदेश ‘स्वाध्यायान् मा प्रमद:’ का यही अर्थ होता है।
 
# किसी भी विशेष कौशल विधा में शोध और अनुसंधान की अलग से व्यवस्था की जा सकती है। लेकिन वह अनिवार्य तो नहीं है। वह तो उस कौशल विधा के जानकार व्यक्तिश: अपने स्तर पर करते ही रहनेवाले हैं। लेकिन व्यवस्था का अर्थ है चराचर के हित में ऐसी अध्ययन और अनुसंधान की, स्वाध्याय की भावना समाज में व्याप्त होने से है। प्राचीन काल से गुरूकुलों में समावर्तन के समय दिये गये उपदेश/आदेश ‘स्वाध्यायान् मा प्रमद:’ का यही अर्थ होता है।
 
[[Category:Bhartiya Jeevan Pratiman (भारतीय जीवन (प्रतिमान)]]
 
[[Category:Bhartiya Jeevan Pratiman (भारतीय जीवन (प्रतिमान)]]
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