धर्म की एक और मान्यताप्राप्त व्याख्या है<ref>वैशेषिक दर्शन (1 1/2)</ref>: <blockquote>यतो अभ्युदय नि:श्रेयस सिध्दि स धर्म:</blockquote>अर्थ: जिस के पालन से इहलोक में अभ्युदय होता है और परलोक में श्रेष्ठ गति प्राप्त होती है । सर्वप्रथम जिस के आचरण से इस जन्म में हर प्रकार की भौतिक उन्नति होती है, अभ्युदय होता है, और दूसरे जिस के कारण अगला जन्म अधिक श्रेष्ठ होता है । मोक्ष की दिशा में, मोक्ष के और समीप ले जाने वाला होता है । ऐसी दोनों बातों की आश्वस्ति जिस व्यवहार में है वह है धर्म ।
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धर्म की एक और मान्यताप्राप्त व्याख्या है<ref>वैशेषिक दर्शन (1.1.2)</ref>: <blockquote>यतो अभ्युदय नि:श्रेयस सिध्दि स धर्म:</blockquote>अर्थ: जिस के पालन से इहलोक में अभ्युदय होता है और परलोक में श्रेष्ठ गति प्राप्त होती है । सर्वप्रथम जिस के आचरण से इस जन्म में हर प्रकार की भौतिक उन्नति होती है, अभ्युदय होता है, और दूसरे जिस के कारण अगला जन्म अधिक श्रेष्ठ होता है । मोक्ष की दिशा में, मोक्ष के और समीप ले जाने वाला होता है । ऐसी दोनों बातों की आश्वस्ति जिस व्यवहार में है वह है धर्म ।