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# श्रेष्ठ परम्पराओं का निर्माण करना। और आग्रहपूर्वक निर्वहन करना।  
 
# श्रेष्ठ परम्पराओं का निर्माण करना। और आग्रहपूर्वक निर्वहन करना।  
 
# तत्वज्ञान कितना भी श्रेष्ठ होवे दुर्बल के तत्वज्ञान को कोइ नहीं पूछता। इसलिए विश्व की ज्ञान और सामरिक सामर्थ्य की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में अपना विकास करना। ऐसा होने से ही लोग हामारा अनुसरण करने की इच्छा और प्रयास करेंगे। आपद्धर्म के रूप में ही अपनी सामरिक शक्ति का उपयोग करना। वाचनीय साहित्य  देशिक शास्त्र  चिरंतन हिन्दू जीवन दृष्टि, प्रकाशक भारतीय विचार साधना, पुणे  
 
# तत्वज्ञान कितना भी श्रेष्ठ होवे दुर्बल के तत्वज्ञान को कोइ नहीं पूछता। इसलिए विश्व की ज्ञान और सामरिक सामर्थ्य की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में अपना विकास करना। ऐसा होने से ही लोग हामारा अनुसरण करने की इच्छा और प्रयास करेंगे। आपद्धर्म के रूप में ही अपनी सामरिक शक्ति का उपयोग करना। वाचनीय साहित्य  देशिक शास्त्र  चिरंतन हिन्दू जीवन दृष्टि, प्रकाशक भारतीय विचार साधना, पुणे  
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अन्य स्रोत:
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[[Category:Bhartiya Jeevan Pratiman (भारतीय जीवन (प्रतिमान)]]
 
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