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# भारत अब भी भारत है, इस का एकमात्र कारण है कि भारत में हिन्दू समाज अब भी बहुसंख्या में है। लगभग ३०० वर्षों के मुस्लिम और १९० वर्षों के अंग्रेजी शासन के उपरांत भी हिन्दू समाज अब भी बहुसंख्या में है, इस का एक  कारण है, हिन्दू समाज की जाति व्यवस्था।  
 
# भारत अब भी भारत है, इस का एकमात्र कारण है कि भारत में हिन्दू समाज अब भी बहुसंख्या में है। लगभग ३०० वर्षों के मुस्लिम और १९० वर्षों के अंग्रेजी शासन के उपरांत भी हिन्दू समाज अब भी बहुसंख्या में है, इस का एक  कारण है, हिन्दू समाज की जाति व्यवस्था।  
 
<blockquote>धर्मपालजी लिखते हैं<ref>धर्मपाल, ‘भारत का पुनर्बोंध’ पृष्ठ क्र. 14 </ref>, "‘अंग्रेजों के लिये जाति एक  बडा प्रश्न था। … इसलिये नहीं कि वे जातिरहित या वर्गव्यवस्था के अभाववाली पद्दति में मानते थे, किन्तु इसलिये कि यह जाति व्यवस्था उन के भारतीय समाज को तोडने के कार्य में विघ्नस्वरूप थी"।</blockquote>
 
<blockquote>धर्मपालजी लिखते हैं<ref>धर्मपाल, ‘भारत का पुनर्बोंध’ पृष्ठ क्र. 14 </ref>, "‘अंग्रेजों के लिये जाति एक  बडा प्रश्न था। … इसलिये नहीं कि वे जातिरहित या वर्गव्यवस्था के अभाववाली पद्दति में मानते थे, किन्तु इसलिये कि यह जाति व्यवस्था उन के भारतीय समाज को तोडने के कार्य में विघ्नस्वरूप थी"।</blockquote>
   
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<li>भारत के अलावा अन्य किसी भी देश में जब मुस्लिम शासन रहा उसने २५-५० वर्षों में स्थानीय समाज को पूरा का पूरा मुसलमान बना दिया था । ५०० वर्षों के मुस्लिम शासन के उपरांत भी हिन्दू समाज अब भी बहुसंख्या में है। हिन्दू समाज की जाति व्यवस्था इस का मुख्य कारण है। जाति व्यवस्था के ढेर सारे लाभ हैं । काल के प्रवाह में जाति व्यवस्था में दोष भी निर्माण हुए हैं। उन्हें दूर करना ही होगा। इस के ढेर सारे लाभ दुर्लक्षित नहीं किये जा सकते
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<li>भारत के अलावा अन्य किसी भी देश में जब मुस्लिम शासन रहा उसने २५-५० वर्षों में स्थानीय समाज को पूरा का पूरा मुसलमान बना दिया था । ५०० वर्षों के मुस्लिम शासन के उपरांत भी हिन्दू समाज अब भी बहुसंख्या में है। हिन्दू समाज की जाति व्यवस्था इस का मुख्य कारण है। जाति व्यवस्था के ढेर सारे लाभ हैं । काल के प्रवाह में जाति व्यवस्था में दोष भी निर्माण हुए हैं। उन्हें दूर करना ही होगा। इस के ढेर सारे लाभ दुर्लक्षित नहीं किये जा सकते।
<blockquote>धर्मपालजी लिखते हैं<ref>धर्मपाल ‘भारत का पुनर्बोंध’ पृष्ठ क्र. 14</ref> ‘आज के जातिप्रथा के विरूध्द आक्रोश के मूल में अंग्रेजी शासन ही है’*</blockquote>
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<blockquote>धर्मपालजी लिखते हैं<ref>धर्मपाल ‘भारत का पुनर्बोंध’ पृष्ठ क्र. 14</ref> ‘आज के जातिप्रथा के विरूध्द आक्रोश के मूल में अंग्रेजी शासन ही है’।*</blockquote>
 
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