<blockquote>धर्मपालजी लिखते हैं<ref>धर्मपाल, ‘भारत का पुनर्बोंध’ पृष्ठ क्र. 14 </ref>, "‘अंग्रेजों के लिये जाति एक बडा प्रश्न था। … इसलिये नहीं कि वे जातिरहित या वर्गव्यवस्था के अभाववाली पद्दति में मानते थे, किन्तु इसलिये कि यह जाति व्यवस्था उन के भारतीय समाज को तोडने के कार्य में विघ्नस्वरूप थी"।</blockquote> | <blockquote>धर्मपालजी लिखते हैं<ref>धर्मपाल, ‘भारत का पुनर्बोंध’ पृष्ठ क्र. 14 </ref>, "‘अंग्रेजों के लिये जाति एक बडा प्रश्न था। … इसलिये नहीं कि वे जातिरहित या वर्गव्यवस्था के अभाववाली पद्दति में मानते थे, किन्तु इसलिये कि यह जाति व्यवस्था उन के भारतीय समाज को तोडने के कार्य में विघ्नस्वरूप थी"।</blockquote> |