योग्य ढंग से प्रयास करने से मनुष्य नरोत्तम बन सकता है और आगे देवत्व या परमात्मपद भी पा सकता है। यह मान्यता केवल हिंदू या भारतीय चिंतन की मान्यता है। अन्य समाजों ने तो मानव प्रेषित भी नही बन सकता ऐसा आग्रहपूर्वक कहा है। फल की कामना किये बिना यदि कोई विहित कर्म करता जाए तो वह परमात्मपद प्राप्त करता है ऐसा भगवद्गीता में कहा है। इस के लिये मार्गदर्शन भी किया है। | योग्य ढंग से प्रयास करने से मनुष्य नरोत्तम बन सकता है और आगे देवत्व या परमात्मपद भी पा सकता है। यह मान्यता केवल हिंदू या भारतीय चिंतन की मान्यता है। अन्य समाजों ने तो मानव प्रेषित भी नही बन सकता ऐसा आग्रहपूर्वक कहा है। फल की कामना किये बिना यदि कोई विहित कर्म करता जाए तो वह परमात्मपद प्राप्त करता है ऐसा भगवद्गीता में कहा है। इस के लिये मार्गदर्शन भी किया है। |