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इसका उत्तर हमें हमारे पूर्वजों के व्यवहार और भारत के इतिहास में मिलता है।   
 
इसका उत्तर हमें हमारे पूर्वजों के व्यवहार और भारत के इतिहास में मिलता है।   
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कहा है:  
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कहा है<ref>मनुस्मृति </ref>: <blockquote>एतद्देश प्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मना: ।</blockquote><blockquote>स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्या सर्व मानवा: ।।</blockquote>अर्थ : इस देश के सपूत ऐसे होंगे जो अपने श्रेष्ठतम व्यवहार से विश्व के लोगों के दिल जीत लेंगे। सम्पूर्ण मानव जाति के सामने अपने त्याग-तपोमय, पौरुषमय श्रेष्ठ जीवन से ऐसे आदर्श निर्माण करेंगे कि लोग सहज ही उनका अनुसरण करेंगे।   
 
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एतद्देश प्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मना: ।  
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स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्या सर्व मानवा: ।।  
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अर्थ : इस देश के सपूत ऐसे होंगे जो अपने श्रेष्ठतम व्यवहार से विश्व के लोगों के दिल जीत लेंगे। सम्पूर्ण मानव जाति के सामने अपने त्याग-तपोमय, पौरुषमय श्रेष्ठ जीवन से ऐसे आदर्श निर्माण करेंगे कि लोग सहज ही उनका अनुसरण करेंगे।   
      
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