- विश्वामित्र, मांधाता, कपि, पुरूकुत्स, सत्य, अनुवाहन, अजामीढ़, कक्षीवान, विष्णुवृध्द आदि जाति से क्षत्रिय लोग
- विश्वामित्र, मांधाता, कपि, पुरूकुत्स, सत्य, अनुवाहन, अजामीढ़, कक्षीवान, विष्णुवृध्द आदि जाति से क्षत्रिय लोग
तप से ब्राह्मण बने। .....श्रीमद्भागवत में भी ऐसे कई उदाहरण दिये गये है।
तप से ब्राह्मण बने। .....श्रीमद्भागवत में भी ऐसे कई उदाहरण दिये गये है।
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वर्तमान में भी जो शूद्र माने जाते है, उनके बच्चों की जन्मपत्रीयों को देखें तो दिखाई देगा कि चारों वर्णों के बच्चे उन में है। और जो ब्राह्मण माने जाते है, ऐसे कई ब्राह्मणों के बच्चों की जन्मपत्रीयों के अनुसार उन में ब्राह्मण वर्ण का कोई भी बच्चा नहीं है। तात्पर्य यह है कि पूरा परिवार एक वर्ण का ही हो यह आवश्यक नहीं है। एक ही परिवार में भिन्न वर्ण के लोगों का होना स्वाभाविक है। लेकिन माता पिता से, आनुवांशिकता से आये पूर्वजों के अन्वयागत संस्कार या व्यावसायिक कुशलताओं के संस्कार आनुवांशिक होने से पूरा परिवार होगा उसी जाति का जो उन के पुरखों की थी।
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वर्तमान में भी जो शूद्र माने जाते है, उनके बच्चों की जन्मपत्रीयों को देखें तो दिखाई देगा कि चारों वर्णों के बच्चे उन में है। और जो ब्राह्मण माने जाते है, ऐसे कई ब्राह्मणों के बच्चों की जन्मपत्रीयों के अनुसार उन में ब्राह्मण वर्ण का कोई भी बच्चा नहीं है। तात्पर्य यह है कि पूरा परिवार एक वर्ण का ही हो यह आवश्यक नहीं है। एक ही परिवार में भिन्न वर्ण के लोगों का होना स्वाभाविक है। लेकिन माता पिता से, आनुवांशिकता से आये पूर्वजों के अन्वयागत संस्कार या व्यावसायिक कुशलताओं के संस्कार आनुवांशिक होने से पूरा परिवार होगा उसी जाति का जो उन के पुरखों की थी।