महापुराणों का उल्लेख पुराण नाम से किया जाता है और उपपुराणों से भिन्नता दिखाने के लिये इन्हें महापुराण कहा गया है। प्रारंभ में पुराणकथाएँ गाथाओं और राजवंशों के वृत्तांतों के रूप में बिखरी हुई थी। सूत और बन्दी नामक लोग इन कथाओं के ज्ञाता थे। ये तत्कालीन राजाओं के सेवक होते थे और राजवंशों की गाथाओं को संरक्षित रखते थे।<ref>डॉ० दिनकर मराठे, [https://sanskritarticle.com/wp-content/uploads/65-51-Dr.Dinkar.Marathe.pdf पुराण विमर्श], सन २०२३, नेशनल जर्नल ऑफ हिन्दी एण्ड संस्कृत रिसर्च (पृ० २१९)।</ref>