| | '''वास्तु के पर्यायवाची शब्द-''' आय, गृहभूः, गृहार्हभूमिः, वास्तु, वेश्मभूमिः और सदनभूमिः आदि शास्त्रों में वास्तु के पर्यायवाचक शब्द कहे गये हैं।<ref>डॉ० सुरकान्त झा, ज्योतिर्विज्ञानशब्दकोषः, सन् २००९, वाराणसीः चौखम्बा कृष्णदास अकादमी, मुहूर्त्तादिसर्ग, (पृ०१३७)।</ref>इसी प्रकार शब्दरत्नावली में वास्तु के लिये वाटिका एवं गृहपोतक शब्द प्रयुक्त हुये हैं। | | '''वास्तु के पर्यायवाची शब्द-''' आय, गृहभूः, गृहार्हभूमिः, वास्तु, वेश्मभूमिः और सदनभूमिः आदि शास्त्रों में वास्तु के पर्यायवाचक शब्द कहे गये हैं।<ref>डॉ० सुरकान्त झा, ज्योतिर्विज्ञानशब्दकोषः, सन् २००९, वाराणसीः चौखम्बा कृष्णदास अकादमी, मुहूर्त्तादिसर्ग, (पृ०१३७)।</ref>इसी प्रकार शब्दरत्नावली में वास्तु के लिये वाटिका एवं गृहपोतक शब्द प्रयुक्त हुये हैं। |
| | + | शुक्राचार्य जी ने शास्त्र और कला पर विस्तार से प्रकाश डाला है। उनके अनुसार वाणी द्वारा जो व्यक्त होती है वह विद्या है और मूक भी जिसे व्यक्त कर सकता है वह कला है। संस्कृत साहित्य में ६४ आभ्यन्तर और ६४ बाह्य कलाएं बतायी गयी हैं।<ref>शोध गंगा - ऋचा पाण्डेय, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/588927 वैदिक वास्तु एवं सैंधव वास्तुकला एक अध्ययन], सन २००७, शोध केन्द्र - लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ (पृ० १४)।</ref> |