Changes

Jump to navigation Jump to search
m
no edit summary
Line 1: Line 1:  +
{{ToBeEdited}}
 +
 
प्रमुख उपनिषदों के क्रम में ईशावास्योपनिषद् प्रधान एवं अग्रगण्य है। भारतीय परम्परा में उपनिषद्-गणना का जो सामान्य क्रम प्रचलित है, उसमें भी अपने विशेष महत्व के कार्ण इसे प्रथम स्थान पर रखा जाता है। यह उपनिषद् शुक्लयजुर्वेद की काण्वसंहिता और माध्यंदिन-संहिता के अन्तिम चालीसवें अध्याय के रूप में प्राप्त होती है। दोनों में स्वर, पाठ, क्रम और मन्त्रसंख्या की दृष्टि से भेद है। इस समय शुक्लयजुर्वेदीय काण्वसंहिता का चालीसवां अध्याय ही ईशावास्योपनिषद् के नाम से प्रसिद्ध है।
 
प्रमुख उपनिषदों के क्रम में ईशावास्योपनिषद् प्रधान एवं अग्रगण्य है। भारतीय परम्परा में उपनिषद्-गणना का जो सामान्य क्रम प्रचलित है, उसमें भी अपने विशेष महत्व के कार्ण इसे प्रथम स्थान पर रखा जाता है। यह उपनिषद् शुक्लयजुर्वेद की काण्वसंहिता और माध्यंदिन-संहिता के अन्तिम चालीसवें अध्याय के रूप में प्राप्त होती है। दोनों में स्वर, पाठ, क्रम और मन्त्रसंख्या की दृष्टि से भेद है। इस समय शुक्लयजुर्वेदीय काण्वसंहिता का चालीसवां अध्याय ही ईशावास्योपनिषद् के नाम से प्रसिद्ध है।
  
1,239

edits

Navigation menu