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| | इस प्रकार से सूर्यसिद्धान्त ग्रन्थ के द्वारा वार क्रम जानने की दो विधियाँ सामने आती हैं- | | इस प्रकार से सूर्यसिद्धान्त ग्रन्थ के द्वारा वार क्रम जानने की दो विधियाँ सामने आती हैं- |
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| − | #ग्रहकक्षाक्रमविधि | + | #ग्रह कक्षा क्रम विधि॥ |
| − | #होरा क्रम विधि | + | #होरा क्रम विधि॥ |
| | '''1. भूकेंद्रिक ग्रहकक्षा क्रम विधि-''' इस ग्रह कक्षा क्रम के आधार पर ही घटी एवं होरा भ्रमण के अनुसार वार क्रम सिद्ध होते हैं। घटी भोग | | '''1. भूकेंद्रिक ग्रहकक्षा क्रम विधि-''' इस ग्रह कक्षा क्रम के आधार पर ही घटी एवं होरा भ्रमण के अनुसार वार क्रम सिद्ध होते हैं। घटी भोग |
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| − | =====वारदोष===== | + | =====वार दोष॥ Vara Dosha ===== |
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| − | ====कालहोरा==== | + | ====काल होरा॥ Kala Hora==== |
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| | |+काल होरा सारिणी | | |+काल होरा सारिणी |
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| − | ==वारों के फल॥== | + | ==वारों के फल॥ Varon ke Phala == |
| | वारों में रवि स्थिर, सोम चर, भौम क्रूर, बुध शुभाशुभ, गुरु लघु, शुक्र मृदु, शनि चर और तीक्ष्ण धर्मवान् हैं। ये वारधर्म शुभाशुभ कर्मों में जानना चाहिये। जैसे- रविवार में स्थिर और शुभकर्म , सोमवार में चर और शुभ, मंगलवार और शनिवार में क्रूर और तीक्ष्ण कर्म, बुधवार में शुभाशुभ मिश्रित सभी कर्म, गुरुवार और शुक्रवार में मृदु कर्मों को करना चाहिये। | | वारों में रवि स्थिर, सोम चर, भौम क्रूर, बुध शुभाशुभ, गुरु लघु, शुक्र मृदु, शनि चर और तीक्ष्ण धर्मवान् हैं। ये वारधर्म शुभाशुभ कर्मों में जानना चाहिये। जैसे- रविवार में स्थिर और शुभकर्म , सोमवार में चर और शुभ, मंगलवार और शनिवार में क्रूर और तीक्ष्ण कर्म, बुधवार में शुभाशुभ मिश्रित सभी कर्म, गुरुवार और शुक्रवार में मृदु कर्मों को करना चाहिये। |
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| | जो ग्रह बलवान् हो उसवार में जो कर्म करेंगे वह सफल होता है। किन्तु जो ग्रह षड्बल हीन है उस वार में बहुत प्रयत्न करने पर भी सफलता नहीं प्राप्त होती है। सोम, बुध, गुरु और शुक्र सभी शुभ कार्यों में शुभ होते हैं। रवि, भौम और शनि क्रूरकर्मों में इष्टसिद्धि देते हैं। | | जो ग्रह बलवान् हो उसवार में जो कर्म करेंगे वह सफल होता है। किन्तु जो ग्रह षड्बल हीन है उस वार में बहुत प्रयत्न करने पर भी सफलता नहीं प्राप्त होती है। सोम, बुध, गुरु और शुक्र सभी शुभ कार्यों में शुभ होते हैं। रवि, भौम और शनि क्रूरकर्मों में इष्टसिद्धि देते हैं। |
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| − | ===वारसंबंधी शुभाशुभ विचार=== | + | ===वारसंबंधी शुभाशुभ विचार॥ Vara Sambandhi shubhashubh vichara=== |
| | <blockquote>गुरुश्चन्द्रो बुधः शुक्रः शुभा वाराः शुभे स्मृताः। क्रूरास्तु क्रूरकृत्येषु ग्राह्या भौमार्कसूर्यजाः॥</blockquote>बुध, गुरु, शुक्र और (शुक्ल पक्ष में) चन्द्र ये शुभ दिन हैं। इनमें शुभ कार्य सिद्ध होता है। रवि, मंगल, शनि ये क्रूर एवं पाप वार हैं। इन दिनों में क्रूर कर्म सिद्ध होता है। | | <blockquote>गुरुश्चन्द्रो बुधः शुक्रः शुभा वाराः शुभे स्मृताः। क्रूरास्तु क्रूरकृत्येषु ग्राह्या भौमार्कसूर्यजाः॥</blockquote>बुध, गुरु, शुक्र और (शुक्ल पक्ष में) चन्द्र ये शुभ दिन हैं। इनमें शुभ कार्य सिद्ध होता है। रवि, मंगल, शनि ये क्रूर एवं पाप वार हैं। इन दिनों में क्रूर कर्म सिद्ध होता है। |
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| − | === वारों में तैललेपन === | + | === वारों में तैललेपन॥ Varon mein Taila lepana === |
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| | रविवार में तैललेपन करने से रोग, सोमवार में कान्तिकी वृद्धि, भौमवारमें व्याधि, बुधवारमें सौभाग्यवृद्धि, गुरुवार और शुक्रवारमें सौभाग्यहानि, शनिवार में धनसम्पत्ति की वृद्धि होती है।<blockquote>अभ्यक्तो भानुवारे यः स नरः क्लेशवान्भवेत्। ऋक्षेशे कान्तिभाग्भौमे व्याधिः सौभाग्यमिन्दुजे॥जीवे नैःस्वं सिते हानिर्मन्दे सर्वसमृद्धयः॥(ना०सं० श्लो०१५७/१५७)</blockquote> | | रविवार में तैललेपन करने से रोग, सोमवार में कान्तिकी वृद्धि, भौमवारमें व्याधि, बुधवारमें सौभाग्यवृद्धि, गुरुवार और शुक्रवारमें सौभाग्यहानि, शनिवार में धनसम्पत्ति की वृद्धि होती है।<blockquote>अभ्यक्तो भानुवारे यः स नरः क्लेशवान्भवेत्। ऋक्षेशे कान्तिभाग्भौमे व्याधिः सौभाग्यमिन्दुजे॥जीवे नैःस्वं सिते हानिर्मन्दे सर्वसमृद्धयः॥(ना०सं० श्लो०१५७/१५७)</blockquote> |
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| − | ===तैलाभ्यंग में वारदोष परिहार=== | + | ===तैलाभ्यंग में वारदोष परिहार॥ Tailabhyanga mein Varadosh parihara=== |
| | पकाया हुआ तेल, सरसों का तेल, पुष्पवासित(सुगंधित) तेल और किसी भी द्रव्य के संयोग से बना तेल निषिद्ध दिनों में भी लगाया जा सकता है-<blockquote>मन्त्रितं क्वथितं तैलं सार्षपं पुष्पवासितम्। द्रव्यान्तरयुतं वापि नैव दुष्येत् कदाचन॥</blockquote>यदि उपर्युक्त तेल का अभाव हो एवं आवश्यक कार्य के लिये तेललेपन(अभ्यंग आदि) करना भी हो तो रवि के दिन पुष्प के साथ तेल लगाना चाहिये। गुरु के दिन दूर्वा, मंगल के दिन मिट्टी, शुक्र के दिन गोबर मिलाने से दोष नहीं होता है- <blockquote>रवौ पुष्पं गुरौ दूर्वा मृत्तिका कुजवासरे। भार्गवे गोमयं दद्यात् तैलदोषस्य शान्तये॥</blockquote> | | पकाया हुआ तेल, सरसों का तेल, पुष्पवासित(सुगंधित) तेल और किसी भी द्रव्य के संयोग से बना तेल निषिद्ध दिनों में भी लगाया जा सकता है-<blockquote>मन्त्रितं क्वथितं तैलं सार्षपं पुष्पवासितम्। द्रव्यान्तरयुतं वापि नैव दुष्येत् कदाचन॥</blockquote>यदि उपर्युक्त तेल का अभाव हो एवं आवश्यक कार्य के लिये तेललेपन(अभ्यंग आदि) करना भी हो तो रवि के दिन पुष्प के साथ तेल लगाना चाहिये। गुरु के दिन दूर्वा, मंगल के दिन मिट्टी, शुक्र के दिन गोबर मिलाने से दोष नहीं होता है- <blockquote>रवौ पुष्पं गुरौ दूर्वा मृत्तिका कुजवासरे। भार्गवे गोमयं दद्यात् तैलदोषस्य शान्तये॥</blockquote> |
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| − | ===वारों में विहित कर्म=== | + | ===वारों में विहित कर्म॥ Varon mein Vihita Karma === |
| | रविवार-राजाभिषेकोत्सवयानसेवागोवह्निमन्त्रौषधिशस्त्रकर्म। सुवर्णताम्रेर्णिकचर्मकाष्ठसंग्रामपण्यादि रवौ विदध्यात् ॥ | | रविवार-राजाभिषेकोत्सवयानसेवागोवह्निमन्त्रौषधिशस्त्रकर्म। सुवर्णताम्रेर्णिकचर्मकाष्ठसंग्रामपण्यादि रवौ विदध्यात् ॥ |
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