Changes

Jump to navigation Jump to search
सुधार जारी
Line 26: Line 26:     
== पौरोहित्य एवं कर्मकाण्ड ==
 
== पौरोहित्य एवं कर्मकाण्ड ==
वेदों में मंत्रों की संख्या एक लक्ष अर्थात एक लाख है - <blockquote>लक्षं तु वेदाश्चत्वारः लक्षं भारतमेव च। (चरणव्यूह ५/१)</blockquote>वेदों के एक लक्ष मन्त्रों में कर्मकाण्ड के ८० हजार मन्त्र, उपासनाकाण्ड के १६ हजार मन्त्र और ज्ञानकाण्ड के ४ हजार मन्त्र हैं। इनमें सबसे अधिक मन्त्र कर्मकाण्ड में हैं। वेदों में कर्मकाण्ड के जितने मन्त्र हैं, उतने अन्य किसी विषय के नहीं हैं।
+
वेदों में मंत्रों की संख्या एक लक्ष अर्थात एक लाख है - <blockquote>लक्षं तु वेदाश्चत्वारः लक्षं भारतमेव च। (चरणव्यूह ५/१)</blockquote>वेदों के एक लक्ष मन्त्रों में कर्मकाण्ड के ८० हजार मन्त्र, उपासनाकाण्ड के १६ हजार मन्त्र और ज्ञानकाण्ड के ४ हजार मन्त्र हैं। इनमें सबसे अधिक मन्त्र कर्मकाण्ड में हैं। वेदों में कर्मकाण्ड के जितने मन्त्र हैं, उतने अन्य किसी विषय के नहीं हैं। कर्मकाण्ड के मूलभूत शास्त्रीय वचनों एवं प्रक्रिया अनुशीलन के आधार पर कर्मकाण्ड (पौरोहित्य) के बहुत भेद हैं। उन शास्त्रीय ग्रन्थों के आधार पर मूल पाँच प्रकार के देखे जाते हैं, जो कि इस प्रकार हैं - <ref>डॉ० विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी, [https://archive.org/details/BharatiyaKarmaKandaSvarupadhyayanamDr.VindhyesvariPrasadaTripathi भारतीय कर्मकाण्डस्वरूपाध्ययनम्] , सन 1980, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी (पृ० 37)।</ref>
 +
 
 +
# श्रौतकर्मकाण्ड विधा
 +
# स्मार्तकर्मकाण्ड विधा
 +
# पौराणकर्मकाण्ड विधा
 +
# तान्त्रिककर्मकाण्ड विधा
 +
# मिश्रकर्मकाण्ड विधा
    
== सारांश ==
 
== सारांश ==
922

edits

Navigation menu