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'''जन्म काल'''
 
'''जन्म काल'''
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वराहमिहिराचार्य जी ने अपने जन्म के संबंध में किसी भी ग्रन्थ में स्पष्ट रूप से कोई संकेत नहीं दिया है। और न ही कोई पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक प्रमाण ही इनके जन्मकाल के संबंध में प्राप्त होता है। किन्तु पंचसिद्धान्तिकाकरण ग्रन्थ के गणित में आरम्भ वर्ष शक 427 ग्रहण किया गया है। उसके अनुसार वराहमिहिर का जन्म काल 505 ईस्वी से 20 वर्ष पूर्व अनुमानतः 485 ईस्वी माना जाता है। चूँकि पंचसिद्धान्तिका उनकी पहली रचना है, और उस समय वराहमिहिर 20 वर्ष के आसन्न तो रहे ही होंगे। अतः यह कथन ठीक लगता है कि कदाचित शक 427 उसके अनुसार ईस्वी 505 ही वराहमिहिर का जन्म शक हो इसी कारण से उस करण ग्रन्थ में यह शक वर्ष लिया गया होगा।
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वराहमिहिराचार्य जी ने अपने जन्म के संबंध में किसी भी ग्रन्थ में स्पष्ट रूप से कोई संकेत नहीं दिया है। और न ही कोई पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक प्रमाण ही इनके जन्मकाल के संबंध में प्राप्त होता है। किन्तु पंचसिद्धान्तिकाकरण ग्रन्थ के गणित में आरम्भ वर्ष शक 427 ग्रहण किया गया है। उसके अनुसार वराहमिहिर का जन्म काल 505 ईस्वी से 20 वर्ष पूर्व अनुमानतः 485 ईस्वी माना जाता है। चूँकि पंचसिद्धान्तिका उनकी पहली रचना है, और उस समय वराहमिहिर 20 वर्ष के आसन्न तो रहे ही होंगे। अतः यह कथन ठीक लगता है कि कदाचित शक 427 उसके अनुसार ईस्वी 505 ही वराहमिहिर का जन्म शक हो इसी कारण से उस करण ग्रन्थ में यह शक वर्ष लिया गया होगा।<ref>अच्युतानन्द झा, वराहमिहिरजी-[https://archive.org/details/brihat-samhita-/%E0%A4%AC%E0%A5%83%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20Brihat%20Samhita%20-1/page/n7/mode/1up बृहत्संहिता], सन् 2014, चौखम्बा विद्याभवन (पृ० 07)।</ref>
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इनके मृत्युकाल के विषय में एक वाक्य प्रचलित है - <blockquote>नवाधिकपञ्चशतसंख्यशाके वराहमिहिराचार्यो दिवं गतः।(भारतीय ज्योतिष)<ref name=":1">शिवनाथ झारखण्डी, [https://archive.org/details/BharatiyaJyotishShivnathJharkhandi/page/n323/mode/1up भारतीय ज्योतिष] , सन् १९५७, राजर्षि पुरुषोत्तम टण्डन हिन्दी भवन, लखनऊ (पृ० २९०)।</ref></blockquote>
 
इनके मृत्युकाल के विषय में एक वाक्य प्रचलित है - <blockquote>नवाधिकपञ्चशतसंख्यशाके वराहमिहिराचार्यो दिवं गतः।(भारतीय ज्योतिष)<ref name=":1">शिवनाथ झारखण्डी, [https://archive.org/details/BharatiyaJyotishShivnathJharkhandi/page/n323/mode/1up भारतीय ज्योतिष] , सन् १९५७, राजर्षि पुरुषोत्तम टण्डन हिन्दी भवन, लखनऊ (पृ० २९०)।</ref></blockquote>
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