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नीति शास्त्र वह शास्त्र है जिसमें मनुष्य के कर्तव्य और अकर्तव्य का विचार किया जाता है। नीति-शास्त्र नैतिकता के माप-दण्ड का निर्धारण करता है। नीतिशास्त्र एक नैतिक दर्शन है। नीति का अर्थ सही मार्ग की ओर ले जाना है, नीति का सही रूप में पालन करने से व्यक्ति एवं समाज दोनों का कल्याण होता है।  
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भारतीय ज्ञान परंपरा में नीतिशास्त्र भारतीय दार्शनिक और सामाजिक विचारधारा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो नैतिकता, राजनीति, समाज, और व्यक्तिगत आचरण के सिद्धांतों का अध्ययन और प्रस्तुति करता है। यह शास्त्र सदियों से भारतीय समाज में नैतिकता और सामाजिक न्याय के आदर्शों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। नीति शास्त्र वह शास्त्र है जिसमें मनुष्य के कर्तव्य और अकर्तव्य का विचार किया जाना, नैतिकता के माप-दण्ड का निर्धारण करने के साथ ही नीतिशास्त्र को नैतिक दर्शन भी कहा जाता है। नीति का अर्थ सही मार्ग की ओर ले जाना है, नीति का सही रूप में पालन करने से व्यक्ति एवं समाज दोनों का कल्याण होता है।  प्राचीन नीतिशास्त्र के प्रमुख ग्रंथों में [[Vidura Niti (विदुर नीति)|विदुर नीति]], चाणक्य नीति, [[Panchatantra (पंचतंत्र)|पंचतंत्र]] और [[Hitopadesha (हितोपदेश)|हितोपदेश]] शामिल हैं। इन ग्रंथों ने समाज को नैतिकता, [[Dharma (धर्मः)|धर्म]], और न्याय के सिद्धांतों के आधार पर सही आचरण और निर्णय लेने का मार्ग दिखाया है।  
    
==परिचय==
 
==परिचय==
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*वक्रोक्ति-अन्योक्ति और प्रहेलिका आदि के रूप में
 
*वक्रोक्ति-अन्योक्ति और प्रहेलिका आदि के रूप में
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प्रभु सम्मित वाक्य के द्वारा तथा कहीं पर कान्ता सम्मित उपदेश वाक्य के द्वारा तदरूप मार्गों पर चलने का निर्देश दिया गया है। इन्हीं नीति वचनों के अनुपालन से मनुष्य पुरुषार्थों की प्राप्ति में सिद्ध और सफल हो जाता है।  
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प्रभु सम्मित वाक्य के द्वारा तथा कहीं पर कान्ता सम्मित उपदेश वाक्य के द्वारा तदरूप मार्गों पर चलने का निर्देश दिया गया है। इन्हीं नीति वचनों के अनुपालन से मनुष्य पुरुषार्थों की प्राप्ति में सिद्ध और सफल हो जाता है। भगवद्गीतामें श्रीकृष्ण जी कहते हैं - <blockquote>नीतिरस्मि जिगीषताम् ॥ (भगवद्गीता 10-38)<ref>[https://sa.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0%E0%A4%AE%E0%A5%8D:%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%B5%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE.pdf/%E0%A5%A9%E0%A5%A8%E0%A5%AC श्रीमद्भगवद्गीता], अध्याय-10, श्लोक-38।</ref></blockquote>विजयकी इच्छा रखनेवालों के लिये मैं नीतिस्वरूप हूँ।
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==परिभाषा==
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नीतिका तात्पर्य है- जिसके द्वारा जाना जाय अर्थ समझा जाय वह नीति है - <ref>कल्याण पत्रिका, [https://ia601505.us.archive.org/35/items/in.ernet.dli.2015.404141/2015.404141.Neetisaar-.pdf नीतिसार अंक-धर्म और नीति], गीताप्रेस गोरखपुर (पृ० 126)।</ref><blockquote>नीयन्ते उन्नीयन्ते अर्थाः अनया इति नीतिः।</blockquote>शुक्रनीति ग्रन्थमें नीतिकी परिभाषा करते हुए लिखा है - <blockquote>सर्वोपजीवको लोकस्थितिकृन्नीतिशास्त्रकम्। धर्मार्थकाममूलो हि स्मृतो मोक्षप्रदो यतः॥</blockquote>नीतिशास्त्र सभीकी जीविकाका साधन है तथा वह लोककी स्थिति सुरक्षित करनेवाला और धर्म अर्थ तथा कामका मूल एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है।
    
==नीतिशास्त्र एवं अन्य विद्याएं==
 
==नीतिशास्त्र एवं अन्य विद्याएं==
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*नीति शतक
 
*नीति शतक
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== नीतिशास्त्र का महत्व ==
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==नीतिशास्त्र का महत्व==
संसार की अपनी मर्यादामें स्थिति राज्यशासनके अधीन है, वह शासन नियमोंके अनुसार होता है उसको राजनीति कहते हैं, उस नीतिके अनुसार व्यवहार करनेसे राजाको इस लोकमें यश और परलोकमें आनन्द प्राप्त होता है। राजनैतिक क्षेत्रमें स्थित लोग नीतिशास्त्र के अध्ययन से - <ref>पं० ज्वालाप्रसाद मिश्र जी, कामन्दकीयनीतिसारः, अध्याय-भूमिका, श्रीवेंकटेश्वर प्रेस-मुम्बई (पृ० 2)।</ref>
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संसार की अपनी मर्यादामें स्थिति राज्यशासनके अधीन है, वह शासन नियमोंके अनुसार होता है उसको राजनीति कहते हैं, उस नीतिके अनुसार व्यवहार करनेसे राजाको इस लोकमें यश और परलोकमें आनन्द प्राप्त होता है। राजनैतिक क्षेत्रमें स्थित लोग नीतिशास्त्र के अध्ययन से - <ref>पं० ज्वालाप्रसाद मिश्र जी, [https://ia601409.us.archive.org/35/items/in.ernet.dli.2015.553879/2015.553879.Kamnadkiya-Nitisar.pdf कामन्दकीयनीतिसारः], अध्याय-भूमिका, श्रीवेंकटेश्वर प्रेस-मुम्बई (पृ० 2)।</ref>
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* धर्म पूर्वक प्रजापालन
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*धर्म पूर्वक प्रजापालन
* कोषवृद्धि
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*कोषवृद्धि
* सदाचरण और धर्मप्रचार
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*सदाचरण और धर्मप्रचार
    
राजकुमारों के कृत्य, राजाप्रजा का सम्बंध आदि अनेक विषयों का ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
 
राजकुमारों के कृत्य, राजाप्रजा का सम्बंध आदि अनेक विषयों का ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
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==निष्कर्ष==
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नीतिशास्त्र भारतीय दार्शनिक और सामाजिक विचारधारा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो नैतिकता, राजनीति, समाज, और व्यक्तिगत आचरण के सिद्धांतों का अध्ययन और प्रस्तुति करता है। यह शास्त्र सदियों से भारतीय समाज में नैतिकता और सामाजिक न्याय के आदर्शों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। प्राचीन नीतिशास्त्र के प्रमुख ग्रंथों में विदुर नीति, चाणक्य नीति, पंचतंत्र और हितोपदेश शामिल हैं। इन ग्रंथों ने समाज को नैतिकता, धर्म, और न्याय के सिद्धांतों के आधार पर सही आचरण और निर्णय लेने का मार्ग दिखाया है।
    
==उद्धरण==
 
==उद्धरण==
 
<references />
 
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[[Category:Hindi Articles]]
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