कवि अपनी कृति के माध्यम से आदर्शो का प्रकाश विकर्ण कर मानवता को लोक कल्याण के पथ पर प्रशस्त करता है जो कृति केवल मनोरंजन ही कर सकती हैं, दिशा-बोध नहीं कर सकती, क्षणिक भले ही हो जाये। कालजयी कवि वाल्मीकि अपनी सामाजिक रचना रामायण से जन-जन के हृदय में प्रवेश कर गए हैं। वाल्मीकि एक सृजनशील कवि है जिन्होंने आदर्श-मूल्यों को मानव के समक्ष प्रस्तुत कर स्तुत्य कार्य किया है। यह एक निर्विवाद सत्य है कि रामायण में समस्त जीवन मूल्यों को प्रस्तुत किया है। स्वयं वाल्मीकि ने रामायण के लिए इस गर्वोक्ति को कहा था जो सत्यार्थ प्रतीत हो रही है। वाल्मीकि रामायण न केवल भारत में ही अपितु अन्य भी अनेक देशों में प्रसिद्ध हो गई है - <ref>शोधगंगा-श्रीसदन जोशी, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/296058 वाल्मीकि रामायण में जीवन मूल्य], सन् २०१०, शोधकेन्द्र- महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय (पृ० १८)</ref><blockquote>यावत् स्थास्यन्ति गिरयः सरितश्च महीतले। तावद्रामायणकथा लोकेषु प्रचरिष्यन्ति॥</blockquote>अतः प्राचीनतम श्रेष्ठ और विशिष्ट होने के साथ आदिकाव्य रामायण के विषय में ब्रह्मा के द्वारा कही गई उपर्युक्त युक्ति सही ही है। | कवि अपनी कृति के माध्यम से आदर्शो का प्रकाश विकर्ण कर मानवता को लोक कल्याण के पथ पर प्रशस्त करता है जो कृति केवल मनोरंजन ही कर सकती हैं, दिशा-बोध नहीं कर सकती, क्षणिक भले ही हो जाये। कालजयी कवि वाल्मीकि अपनी सामाजिक रचना रामायण से जन-जन के हृदय में प्रवेश कर गए हैं। वाल्मीकि एक सृजनशील कवि है जिन्होंने आदर्श-मूल्यों को मानव के समक्ष प्रस्तुत कर स्तुत्य कार्य किया है। यह एक निर्विवाद सत्य है कि रामायण में समस्त जीवन मूल्यों को प्रस्तुत किया है। स्वयं वाल्मीकि ने रामायण के लिए इस गर्वोक्ति को कहा था जो सत्यार्थ प्रतीत हो रही है। वाल्मीकि रामायण न केवल भारत में ही अपितु अन्य भी अनेक देशों में प्रसिद्ध हो गई है - <ref>शोधगंगा-श्रीसदन जोशी, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/296058 वाल्मीकि रामायण में जीवन मूल्य], सन् २०१०, शोधकेन्द्र- महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय (पृ० १८)</ref><blockquote>यावत् स्थास्यन्ति गिरयः सरितश्च महीतले। तावद्रामायणकथा लोकेषु प्रचरिष्यन्ति॥</blockquote>अतः प्राचीनतम श्रेष्ठ और विशिष्ट होने के साथ आदिकाव्य रामायण के विषय में ब्रह्मा के द्वारा कही गई उपर्युक्त युक्ति सही ही है। |