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==महाभारतकार वेदव्यास==
 
==महाभारतकार वेदव्यास==
पराशर पुत्र वेदव्यास महाभारत के प्रणेता और पुराणों के रचनाकार के रूप में विख्यात हैं। देवीभागवत में उल्लेख है कि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास से पूर्व २८ व्यास थे और प्रथम व्यास स्वयं ब्रह्माजी थे। वेदव्यास जी ने स्वयं महाभारत में स्वजीवन परिचय दिया है - <blockquote>एवं द्वैपायनो यज्ञे सत्यवत्यां पराशरात्। न्यस्तो द्वीपे स यद् बालस्तस्माद् द्वैपायनः स्मृतः॥</blockquote>अर्थात् महर्षि पराशर द्वारा सत्यवती के गर्भ से द्वैपायन व्यास जी का जन्म हुआ। वे बाल्यावस्था में ही यमुना के द्वीप में छोड दिए गये, इसलिये द्वैपायन नाम से प्रसिद्ध हुए।
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पराशर पुत्र वेदव्यास महाभारत के प्रणेता और पुराणों के रचनाकार के रूप में विख्यात हैं। देवीभागवत में उल्लेख है कि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास से पूर्व २८ व्यास थे और प्रथम व्यास स्वयं ब्रह्माजी थे। वेदव्यास जी ने स्वयं महाभारत में स्वजीवन परिचय दिया है - <blockquote>एवं द्वैपायनो यज्ञे सत्यवत्यां पराशरात्। न्यस्तो द्वीपे स यद् बालस्तस्माद् द्वैपायनः स्मृतः॥</blockquote>अर्थात् महर्षि पराशर द्वारा सत्यवती के गर्भ से द्वैपायन व्यास जी का जन्म हुआ। वे बाल्यावस्था में ही यमुना के द्वीप में छोड दिए गये, इसलिये द्वैपायन नाम से प्रसिद्ध हुए।<blockquote>अर्थशास्त्रमिदं प्रोक्तं धर्मशास्त्रमिदं महत्। कामशास्त्रमिदं प्रोक्तं व्यासेनमितबुद्धिना॥ (महा०आदि०२/३८३)<ref>शोधगंगा-प्रीति नेगी, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/383146 महाभारत में कर्तव्यबोध], सन् २०१८, शोधकेन्द्र-हेमवती नंदन बहुगुणा गढवाल, विश्वविद्यालय (पृ० ५०)।</ref></blockquote>वेदव्यास जी ने स्वयं उल्लेख किया है कि इसमें अनेक कथाओं द्वारा धर्मशास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र अनेक विषयों का ज्ञान दिया गया है।
    
==महाभारत में आख्यान==
 
==महाभारत में आख्यान==
 
गणेश जी जैसे-लेखक के होते हुए भी व्यास जी ने तीन वर्ष में महाभारत की रचना पूर्ण की थी - <ref>शोधगंगा-अजय कुमार वर्मा, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/311965 महाभारत के प्रमुख आख्यानों का समीक्षात्मक अध्ययन], सन् २०१०, शोधकेन्द्र-महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (पृ० ८)।</ref><blockquote>त्रिभिर्वर्षैः सदोत्थायी कृष्णद्वैपायनो मुनिः। महाभारतमाख्यानं कृतवानिदमद्भुतम्॥(महा०आदिपर्व- ६२/५२)</blockquote>महाभारत के आरम्भ में ऋषियों ने महाभारत को आख्यानों में सर्वश्रेष्ठ तथा वेदार्थ से भूषित और पवित्र बताया है।
 
गणेश जी जैसे-लेखक के होते हुए भी व्यास जी ने तीन वर्ष में महाभारत की रचना पूर्ण की थी - <ref>शोधगंगा-अजय कुमार वर्मा, [https://shodhganga.inflibnet.ac.in/handle/10603/311965 महाभारत के प्रमुख आख्यानों का समीक्षात्मक अध्ययन], सन् २०१०, शोधकेन्द्र-महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (पृ० ८)।</ref><blockquote>त्रिभिर्वर्षैः सदोत्थायी कृष्णद्वैपायनो मुनिः। महाभारतमाख्यानं कृतवानिदमद्भुतम्॥(महा०आदिपर्व- ६२/५२)</blockquote>महाभारत के आरम्भ में ऋषियों ने महाभारत को आख्यानों में सर्वश्रेष्ठ तथा वेदार्थ से भूषित और पवित्र बताया है।
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== महाभारत का महत्व ==
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==महाभारत का महत्व==
 
महाभारत में धर्मराज युधिष्ठिर की सत्यनिष्ठा, कर्णकी दानशीलता एवं उदारता, अर्जुन का युद्ध कौशल आदि अनेक अवर्णनीय गुणोंसे युक्त वीरोंका वर्णन है और इन वीरोंका चरित्र पठनीय एवं मननीय है। अतः महाभारत ग्रन्थ का अध्ययन अवश्य करना चाहिये यह अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रन्थ है।
 
महाभारत में धर्मराज युधिष्ठिर की सत्यनिष्ठा, कर्णकी दानशीलता एवं उदारता, अर्जुन का युद्ध कौशल आदि अनेक अवर्णनीय गुणोंसे युक्त वीरोंका वर्णन है और इन वीरोंका चरित्र पठनीय एवं मननीय है। अतः महाभारत ग्रन्थ का अध्ययन अवश्य करना चाहिये यह अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रन्थ है।
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*अर्जुन द्वारा अर्धचन्द्राकार व्यूह की रचना
 
*अर्जुन द्वारा अर्धचन्द्राकार व्यूह की रचना
 
*भीष्मार्जुन युद्ध
 
*भीष्मार्जुन युद्ध
* चतुर्थ दिवसीय युद्ध - दोनों सेनाओं का व्यूह निर्माण और धृष्टद्युम्न एवं भीमसेन का कौरव सेना के साथ युद्ध
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*चतुर्थ दिवसीय युद्ध - दोनों सेनाओं का व्यूह निर्माण और धृष्टद्युम्न एवं भीमसेन का कौरव सेना के साथ युद्ध
*घटोत्कच-भगदत्त युद्ध
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* घटोत्कच-भगदत्त युद्ध
 
*पंचम दिवसीय युद्ध - कौरवों का मकर व्यूह और पांडवों का श्येन व्यूह
 
*पंचम दिवसीय युद्ध - कौरवों का मकर व्यूह और पांडवों का श्येन व्यूह
 
*भीमसेन और भीष्म का युद्ध
 
*भीमसेन और भीष्म का युद्ध
 
*विराट और भीष्म का युद्ध
 
*विराट और भीष्म का युद्ध
* अश्वत्थामा-अर्जुन का युद्ध
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*अश्वत्थामा-अर्जुन का युद्ध
*दुर्योधन-भीमसेन का युद्ध
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* दुर्योधन-भीमसेन का युद्ध
 
*अभिमन्यु और लक्ष्मण का युद्ध
 
*अभिमन्यु और लक्ष्मण का युद्ध
 
*सात्यकि और भूरिश्रवा का युद्ध
 
*सात्यकि और भूरिश्रवा का युद्ध
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*भीमसेन का कौरव योद्धाओं के साथ युद्ध
 
*भीमसेन का कौरव योद्धाओं के साथ युद्ध
 
*धृष्टद्युम्न का कौरव पक्षीय योद्धाओं के साथ युद्ध
 
*धृष्टद्युम्न का कौरव पक्षीय योद्धाओं के साथ युद्ध
* भीमसेन द्वारा दुर्योधन की पराजय
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*भीमसेन द्वारा दुर्योधन की पराजय
 
*अभिमन्यु का कौरव पक्षीय योद्धाओं के साथ युद्ध
 
*अभिमन्यु का कौरव पक्षीय योद्धाओं के साथ युद्ध
 
*सप्त दिवसीय युद्ध -
 
*सप्त दिवसीय युद्ध -
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|+महाभारत की प्रगति के तीन चरण
 
|+महाभारत की प्रगति के तीन चरण
 
!ग्रन्थ नाम
 
!ग्रन्थ नाम
! कर्ता
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!कर्ता
 
!श्लोक संख्या
 
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!वक्ता-श्रोता
 
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|जय
 
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|व्यास-वैशम्पायन
 
|व्यास-वैशम्पायन
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|महाभारत
 
|महाभारत
|सौति
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|१ लाख
 
|१ लाख
 
|सौति-शौनक आदि
 
|सौति-शौनक आदि
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