# परमात्मा और जीवात्मा दोनों अविनाशी हैं । परमात्मा की सामर्थ्य असीम है । जीवात्मा की सामर्थ्य मर्यादित और अल्प है । जीवात्मा अल्पज्ञान होने से बार बार जन्म लेता है । अपने किये कर्मों से वह उन्नत भी होता है और पतित भी । उन्नत अवस्था की सीमा ब्रह्म प्राप्ति या मोक्ष है । | # परमात्मा और जीवात्मा दोनों अविनाशी हैं । परमात्मा की सामर्थ्य असीम है । जीवात्मा की सामर्थ्य मर्यादित और अल्प है । जीवात्मा अल्पज्ञान होने से बार बार जन्म लेता है । अपने किये कर्मों से वह उन्नत भी होता है और पतित भी । उन्नत अवस्था की सीमा ब्रह्म प्राप्ति या मोक्ष है । |