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===मुंडक उपनिषद्===
 
===मुंडक उपनिषद्===
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मुण्डक उपनिषद् अथर्ववेद की शौनक शाखा में है। इसमें तीन मुण्डक हैं, और एक-एक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं। शौनकादि ने विधिवत् अंगिरा मुनि के पास जाकर प्रश्न किया कि भगवन् ! ऐसी कैन सी वस्तु है जिस एक को जान लेने पर सब कुछ जान लिया जाता है? महर्षि अंगिरा ने परा और अपरा नामक दो विद्याओं का निरूपण किया, जिसमें ऐहिक , अनात्म पदार्थों का (भौतिक पदार्थ)
 
मुण्डक उपनिषद् अथर्ववेद की शौनक शाखा में है। इसमें तीन मुण्डक हैं, और एक-एक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं। शौनकादि ने विधिवत् अंगिरा मुनि के पास जाकर प्रश्न किया कि भगवन् ! ऐसी कैन सी वस्तु है जिस एक को जान लेने पर सब कुछ जान लिया जाता है? महर्षि अंगिरा ने परा और अपरा नामक दो विद्याओं का निरूपण किया, जिसमें ऐहिक , अनात्म पदार्थों का (भौतिक पदार्थ)
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मुण्डकोपनिषद् को मुण्डक भी कहते हैं। मुण्डक शब्द का तात्पर्यार्थ मन का मुण्डन कर अविधा से मुक्त करने वाला ज्ञान है। इसमें तीन मुण्डक (खण्ड विभाजन) हुए हैं।<ref name=":0" />  
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मुण्डकोपनिषद् को मुण्डक भी कहते हैं। मुण्डक शब्द का तात्पर्यार्थ मन का मुण्डन कर अविधा से मुक्त करने वाला ज्ञान है। इसमें तीन मुण्डक (खण्ड विभाजन) हुए हैं।<ref name=":0" />
    
===माण्डूक्य उपनिषद्===
 
===माण्डूक्य उपनिषद्===
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