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सुधार जारि
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यह कृष्ण यजुर्वेद की कठ शाखा से संबद्ध है। इसमें २ अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में ३ खण्ड (वल्ली) हैं। इसमें काव्यात्मक मनोरम शैली में गूढ दार्शनिक तत्त्वों का विवेचन है। अपनी रोचकता के कारण यह सुविख्यात है। इसमें सुप्रसिद्ध यम और नचिकेता (नचिकेतस्)  के संवादरूप से ब्रह्मविद्याका विस्तृत वर्णन है।
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कठोपनिषद् सर्वाधिक स्पष्ट और प्रसिद्ध उपनिषद् है। इसका संबंध कृष्णयजुर्वेद की कठ-शाखा से है। इसके नाम 'कठोपनिषद्' का यही आधार है। इस उपनिषद् को 'काठक' नाम से भी जाना जाता है। अतः इसके प्रणेता कठ ऋषि माने जाते हैं। इसमें काव्यात्मक मनोरम शैली में गूढ दार्शनिक तत्त्वों का विवेचन है। अपनी रोचकता के कारण यह सुविख्यात है। इसमें सुप्रसिद्ध यम और नचिकेता (नचिकेतस्)  के संवादरूप से ब्रह्मविद्याका विस्तृत वर्णन है।
    
==परिचय==
 
==परिचय==
कठोपनिषद् कृष्णयजुर्वेदकी कठशाखाके अन्तर्गत है। इसमें यम और नचिकेताके संवादरूप से ब्रह्मविद्याका बडा विशद वर्णन किया गया है। इसकी वर्णनशैली बडी ही सुबोध और सरल है। श्रीमद्भगवद्गीतामें भी इसके कई मन्त्रोंका कहीं शब्दतः और कहीं अर्थतः उल्लेख है।
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कठोपनिषद् कृष्णयजुर्वेदकी कठशाखाके अन्तर्गत है। इस उपनिषद् में दो अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में तीन-तीन खण्ड (वल्लियाँ) हैं। सम्पूर्ण उपनिषद् में ११९ मन्त्र हैं, जो प्रायः पद्यात्मक ही हैं।  इसमें यम और नचिकेताके संवादरूप से ब्रह्मविद्याका बडा विशद वर्णन किया गया है। इसकी वर्णनशैली बडी ही सुबोध और सरल है। श्रीमद्भगवद्गीतामें भी इसके कई मन्त्रोंका कहीं शब्दतः और कहीं अर्थतः उल्लेख है।
    
इसमें, अन्य उपनिषदोंकी तरह ही तत्त्वज्ञानका गम्भीर विवेचन है वहाँ नचिकेताका चरित्र भी पाठकों के सामने अनुपम आदर्श भी उपस्थित करता है।
 
इसमें, अन्य उपनिषदोंकी तरह ही तत्त्वज्ञानका गम्भीर विवेचन है वहाँ नचिकेताका चरित्र भी पाठकों के सामने अनुपम आदर्श भी उपस्थित करता है।
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==कठ उपनिषद् - वर्ण्य विषय==
 
==कठ उपनिषद् - वर्ण्य विषय==
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कठोपनिषद् में यम और नचिकेता के संवादरूप में आत्मा और परमात्मा के गूढ उच्चज्ञान का विशद और गम्भीर उपदेश दिया गया है। मरने के अनन्तर जीवात्मा की सत्ता रहती है या नहीं?
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इस प्रश्न को, जो प्रतिदिन मनुष्यों के हृदयों में उत्पन्न होता रहता है, यहाँ बहुत ही रोचक रूप में बताया गया है। उपनिषद् का प्रारंभ एक आख्यायिका से होता है। एवं इसमें अन्य विषयों का भी वर्णन प्राप्त होता है -
 
* अतिथि-सत्कार
 
* अतिथि-सत्कार
 
* मंगल - भावना
 
* मंगल - भावना
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==सारांश==
 
==सारांश==
प्रत्येक उपनिषद् का मन्तव्य व्यक्ति का आध्यात्मिक उन्नयन है। कठोपनिषद् नचिकेता और यम के मध्य संवाद-शैली में लिखा होने के कारण अत्यधिक प्रसिद्ध है। उपनिषद् वाजश्रवा के पुत्र नचिकेता की कथा कहता है, जिसने यम द्वारा प्रदत्त शिक्षा ग्रहण की। कथा से आरम्भ कर उपनिषद् गहन दार्शनिक सत्यों को उद्घाटित करता है। यह लौकिक और पारलौकिक जगतों के बारे में सत्य का रहस्योद्घाटन करता है।<ref>बलदेव उपाध्याय, [https://archive.org/details/1.SanskritVangmayaKaBrihatItihasVedas/page/%E0%A5%AA%E0%A5%AD%E0%A5%AB/mode/1up संस्कृत वांग्मय का बृहद्  इतिहास - वेद खण्ड] , सन् १९९६, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ(पृ० ४९४)।</ref>
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प्रत्येक उपनिषद् का मन्तव्य व्यक्ति का आध्यात्मिक उन्नयन है। कठोपनिषद् नचिकेता और यम के मध्य संवाद-शैली में लिखा होने के कारण अत्यधिक प्रसिद्ध है। उपनिषद् वाजश्रवा के पुत्र नचिकेता की कथा कहता है, जिसने यम द्वारा प्रदत्त शिक्षा ग्रहण की। कथा से आरम्भ कर उपनिषद् गहन दार्शनिक सत्यों को उद्घाटित करता है। यह लौकिक और पारलौकिक जगतों के बारे में सत्य का रहस्योद्घाटन करता है।<ref>बलदेव उपाध्याय, [https://archive.org/details/1.SanskritVangmayaKaBrihatItihasVedas/page/%E0%A5%AA%E0%A5%AD%E0%A5%AB/mode/1up संस्कृत वांग्मय का बृहद्  इतिहास - वेद खण्ड] , सन् १९९६, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ(पृ० ४९४)।</ref> कठोपनिषद् आध्यात्मिक उत्कर्ष की प्रेरणा के साथ लौकिक और व्यावहारिक उपदेश देती है। मानवकल्याण के हेतुभूत पाँचों यज्ञों - भूतयज्ञ, पितृयज्ञ, अतिथि यज्ञ, देवयज्ञ और ब्रह्मयज्ञ का संकेत इसमें हुआ है।
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इसकी वर्णन-शैली सुबोध है और भाषा में वैदिक रूपों की झलक है। कभी-कभी भाषा इतिहास-पुराणों की भाषा से मिलती-जुलती सी लगती है। इसके कई मन्त्रों की छाया श्रीमद्भगवदीता में शब्दशः या अर्थशः दिखायी देती है।
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मैत्रायणीय, मुण्डक और श्वेताश्वतर उपनिषदों के कई मन्त्रों से इसके मन्त्रों का साम्य दिखाई देता है।
    
==उद्धरण==
 
==उद्धरण==
 
<references />
 
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