स्मृतिसागर नामक ग्रन्थ में मुहूर्त की प्रशंसा करते हुए कहा गया है कि काल की स्थिर आत्मा मुहूर्त ही है, इसलिये समस्त मंगलकार्य मुहूर्त में ही करने चाहिये। अतः यहाँ कुछ आवश्यक मुहूर्तों की चर्चा की जा रही है। संस्कारों की दृष्टि से तो सभी संस्कार शुभ मुहूर्त में करने चाहिये किन्तु संस्कारों में दो संस्कार- उपनयन एवं विवाह सर्वश्रेष्ठ हैं। इन्हैं अवश्य ही शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिये। | स्मृतिसागर नामक ग्रन्थ में मुहूर्त की प्रशंसा करते हुए कहा गया है कि काल की स्थिर आत्मा मुहूर्त ही है, इसलिये समस्त मंगलकार्य मुहूर्त में ही करने चाहिये। अतः यहाँ कुछ आवश्यक मुहूर्तों की चर्चा की जा रही है। संस्कारों की दृष्टि से तो सभी संस्कार शुभ मुहूर्त में करने चाहिये किन्तु संस्कारों में दो संस्कार- उपनयन एवं विवाह सर्वश्रेष्ठ हैं। इन्हैं अवश्य ही शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिये। |