इस प्रस्तुति में [[Dharmik Dinacharya (धार्मिक दिनचर्या)|दिनचर्या का धार्मिक]] तथा [[Dinacharya (दिनचर्या)|आयुर्वेदीय]] दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है। चौबीस घण्टे के भीतर मनुष्य को कैसे रहना चाहिए। भारतीय मनीषियों ने प्रातः काल उठने से लेकर रात्रि शयन पर्यंत की समग्र दिनचर्या को शास्त्रों में मुख्यतया निम्नभागों में विभजित किया जो कि इस प्रकार हैं -
+
+
* ब्राह्म मुहूर्त- Brahma Muhurta - Scientific Aspects (ब्राह्ममुहूर्त का वैज्ञानिक अंश)
+
* शौच विधि-
+
* बलवर्धक चर्या -
+
* आहार विधि -
+
* रात्रिचर्या -
+
+
दिनचर्या के धार्मिक एवं आयुर्वेदीय अंशों को प्रस्तुत व्याख्यान में प्रस्तुत किया गया है। दिनचर्या के बारे में जानने के लिये इस व्याख्यान को अवश्य सुनें एवं और अधिक जानकारी के लिये दिनचर्या से संबन्धित निम्न लेखों को पढ सकते है- Brahma Muhurta - Scientific Aspects (ब्राह्ममुहूर्त का वैज्ञानिक अंश), Vyayama_(व्यायामम्), Snana_vidhi(स्नान_विधि), Puja_And_Yoga_(पूजा_एवं_योग), Sandhyopasana - Scientific Aspects (सन्ध्योपासन का वैज्ञानिक अंश),