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इस विधि से वर्षा ज्ञान के लिये निम्न तथ्यों का समय-समय पर निरीक्षण करते रहने से वृष्टिज्ञान की महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है।
 
इस विधि से वर्षा ज्ञान के लिये निम्न तथ्यों का समय-समय पर निरीक्षण करते रहने से वृष्टिज्ञान की महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है।
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वातावरणीय परिवर्तन के सामान्य निरीक्षण द्वारा वर्षा का पूर्वानुमान किया जा सकता है।
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# '''वातावरणीय परिवर्तन''' - तापमान, वायुदाब एवं वायु दिशा, आर्द्रता आदि वातावरणीय परिवर्तन के सामान्य निरीक्षण निरीक्षण द्वारा वर्षा का पूर्वानुमान किया जा सकता है।
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# '''जैविक हलचल -''' वातावरण में कोई भी परिवर्तन होने पर जीवजन्तुओं के व्यवहार में परिवर्तन होने लगता है। पशु पक्षी अपने व्यवहार से मौसम परिवर्तन एवं वर्षा आदि का पूर्वानुमान हमें प्रदान करते हैं।पशु, पक्षी, कीट, पतंग, पेड पौधे, मछलियाँ आदि जैविक प्राणियों के व्यवहार से परिवर्तन का निरीक्षण करने पर हमें वर्षा का ज्ञान हो जाता है। उदाहरण के लिये जैसे-  गर्मियों के मौसम में अधिक आर्द्रता(उमस) होने पर चिडियाँ मिट्टी को खोद कर उसमें लोटने लगती है जो घटना शीघ्र ही वर्षा होने की सूचना प्रदान करती हैं।
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# '''रासायनिक परिवर्तन -''' वातावरण में अनुभव होने वाले रासायनिक परिवर्तन भी वर्षा होने की सूचना हमें दे देते हैं।
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# '''भौतिक परिवर्तन -'''
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# '''आकाशीय परिवर्तन -'''
    
==मानव जीवन में वृष्टि का प्रभाव==
 
==मानव जीवन में वृष्टि का प्रभाव==
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