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वर्तमानमें मनुष्यकी बढ़ती हुई भोगवादी कुप्रवृत्तिके कारण आचार-विचार का उत्तरोत्तर ह्रास हो रहा है एवं स्वेच्छाचारकी कुत्सित मनोवृत्ति भी उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है, जिसका दुष्परिणाम  संसार के समस्त प्राणियों को  भोगना पड़ रहा है। ऐसी भयावह परिस्थितिमें मानव के लिये स्वस्थ दिशा बोध प्रदान करनेके लिये आचार-विचार का ज्ञान और उसके अनुसार आचरण  करना यह पथ-प्रदर्शक होगा।
 
वर्तमानमें मनुष्यकी बढ़ती हुई भोगवादी कुप्रवृत्तिके कारण आचार-विचार का उत्तरोत्तर ह्रास हो रहा है एवं स्वेच्छाचारकी कुत्सित मनोवृत्ति भी उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है, जिसका दुष्परिणाम  संसार के समस्त प्राणियों को  भोगना पड़ रहा है। ऐसी भयावह परिस्थितिमें मानव के लिये स्वस्थ दिशा बोध प्रदान करनेके लिये आचार-विचार का ज्ञान और उसके अनुसार आचरण  करना यह पथ-प्रदर्शक होगा।
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== ज्योतिषशास्त्र में दिग् देश काल की अवधारणा ==
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ज्योतिषशास्त्रमें देश की अवधारणा और उसके भेदों का वर्णन है। इसमें देश और भूमि का विश्लेषण। ग्रामवास में नराकृति, नाम राशि के अनुसार ग्रामवास का शुभ विचार, विधि तथा निषेध, अक्षांश, देशान्तर आदि का परिचय प्राप्त होगा। एवं दिक् परिचय, दिक् साधन की प्राचीन विधियाँ, दिक् साधन की आधुनिक विधियाँ और इन दोनों विधियों के अन्तर का ज्ञान यहाँ प्राप्त करेंगे।
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ज्योतिष शास्त्रमें काल की अवधारणा और इसके भेदों का वर्णन भी किया गया है।
    
== Achar ke bhed ==
 
== Achar ke bhed ==
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