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| |प्रातः 3 बजे से 5 बजे तक। | | |प्रातः 3 बजे से 5 बजे तक। |
| |फेफड़ों में प्राण ऊर्जा का प्रवाह सर्वाधिक। | | |फेफड़ों में प्राण ऊर्जा का प्रवाह सर्वाधिक। |
− | | | + | |प्रातः ब्राह्ममुहूर्तमें उठकर खुली हवा में घूमना चाहिये। प्राणायाम तथा श्वसन का व्यायाम करना चाहिये इससे फेफडे स्वस्थ होते हैं। फेफडोंको शुद्ध वायु प्राप्त होती है इसके रक्तमें मिलनेसे हिमोग्लोबीन ऑक्सीकृत होता है, जिससे शरीर स्वस्थ और स्फूर्तिवान् बनेगा। ५ बजे के बाद से फेफडे से प्राण-ऊर्जा बडी आँतमें जाती है। |
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| |2. | | |2. |
| |प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक। | | |प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक। |
| |बड़ी ऑंत में चेतना का विशेष प्रवाह। | | |बड़ी ऑंत में चेतना का विशेष प्रवाह। |
− | | | + | |प्रातः ५ बजे से ७ बजे तक चेतना का विशेष प्रभाव होने से यह अंग अधिक क्रियाशील होता है। इसी कारण मलत्यागके लिये यह सर्वोत्तम समय है, जो व्यक्ति इस समय सोते रहते हैं, मलत्याग नहीं करते ; उन्हें कब्ज रहता है, उनका पेट प्रायः खराब रहता है। इस समय उठकर योगासन तथा व्यायाम करना चाहिये। |
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| |3. | | |3. |
| |प्रातः 7 बजेसे 9 बजे तक। | | |प्रातः 7 बजेसे 9 बजे तक। |
| |आमाशय (स्टमक)-में प्राण ऊर्जाका प्रवाह सर्वाधिक। | | |आमाशय (स्टमक)-में प्राण ऊर्जाका प्रवाह सर्वाधिक। |
− | | | + | |प्रातः ७ बजेसे ९ बजे तक आमाशय (स्टमक)- में प्राण-ऊर्जा का प्रभाव सर्वाधिक होता है। इस समय तक बडी आँत की सफाई हो जाने से पाचन आसानी से होता है। अतः इस समय हमें भोजन करना चाहिये। प्रातः भोजन करने से पाचन अच्छी तरह से होता है और हम पाचन सम्बन्धी रोगों से सहज ही बचे रहते हैं। ९ बजेतक भोजन करने से रक्त-परिसंचरण अच्छा होता है और हम अपने-आपको ऊर्जित महसूस करते हैं। |
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| |4. | | |4. |
| |प्रातः 9 बजेसे 11 बजे तक। | | |प्रातः 9 बजेसे 11 बजे तक। |
| |स्प्लीन(तिल्ली) और पैन्क्रियाजकी सबसे अधिक सक्रियता का समय। | | |स्प्लीन(तिल्ली) और पैन्क्रियाजकी सबसे अधिक सक्रियता का समय। |
− | | | + | |इसी समय हमारे शरीरमें पेन्क्रियाटिक रस तथा इन्सुलिन सबसे ज्यादा बनता है। इन रसों का पाचन में विशेष महत्व है। अतः जो डायबिटीज या किसी पाचनरोग से ग्रस्त हैं, उन्हैं इस समय तक भोजन अवश्य कर लेना चाहिये। |
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| |5. | | |5. |
| |दिनमें 11 बजे से 1 बजे तक। | | |दिनमें 11 बजे से 1 बजे तक। |
| |हृदय में विशेष प्राण ऊर्जा का प्रवाह। | | |हृदय में विशेष प्राण ऊर्जा का प्रवाह। |
− | | | + | |हृदय हमारी संवेदनाओं, करुणा, दया तथा प्रेमका प्रतीक है। अगर इस समय हम भोजन करते हैं तो अधिकतर संवेदनाएँ भोजनके स्वादकी तरफ आकर्षित होती हैं। अतः हृदय प्रकृतिसे मिलनेवाली अपनी प्राणऊर्जा पूर्णरूपसे ग्रहण नहीं कर पाता |
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| |6. | | |6. |
| |दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक। | | |दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक। |
| |छोटी ऑंत में अधिकतम प्राण ऊर्जा का प्रवाह। | | |छोटी ऑंत में अधिकतम प्राण ऊर्जा का प्रवाह। |
− | | | + | |छोटी आँतका मुख्य कार्य पोषक तत्त्वोंका शोषण करना तथा अवशिष्ट पदार्थको आगे बड़ी आँतमें भेजना है। इस समय जहाँतक सम्भव हो भोजन नहीं करना चाहिये। इस समय भोजन करनेसे छोटी आँत अपनी पूर्ण क्षमतासे कार्य नहीं कर पाती, इसी कारण आजकल मानवमें संवेदना, करुणा, दया अपेक्षाकृत कम होती जा रही है। |
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| |7. | | |7. |
| |दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक। | | |दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक। |
| |यूरेनरी ब्लेडर(मूत्राशय) में सर्वाधिक प्राण ऊर्जा का प्रवाह। | | |यूरेनरी ब्लेडर(मूत्राशय) में सर्वाधिक प्राण ऊर्जा का प्रवाह। |
− | | | + | |इस अंगका मुख्य कार्य जल तथा द्रव पदार्थोंका नियन्त्रण करना है। |
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| |8. | | |8. |
| |सायंकाल 5 बजे से 7 बजे तक। | | |सायंकाल 5 बजे से 7 बजे तक। |
| |किडनी में सर्वाधिक ऊर्जा का प्रवाह। | | |किडनी में सर्वाधिक ऊर्जा का प्रवाह। |
− | | | + | |इस समय शामका भोजन कर लेना चाहिये, इससे हम किडनी और कानसे सम्बन्धित रोगसे बचे रहेंगे। |
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| |9. | | |9. |
| |सायं 7 बजे से 9 बजे तक। | | |सायं 7 बजे से 9 बजे तक। |
| |मस्तिष्कमें सर्वाधिक ऊर्जा का प्रवाह। | | |मस्तिष्कमें सर्वाधिक ऊर्जा का प्रवाह। |
− | | | + | |इस समय विद्यार्थी पाठ याद करे तो उन्हें अपना पाठ जल्दी याद होगा। |
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| |10. | | |10. |
| |रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक। | | |रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक। |
| |स्पाइनल कार्डमें सर्वाधिक ऊर्जाका प्रवाह। | | |स्पाइनल कार्डमें सर्वाधिक ऊर्जाका प्रवाह। |
− | | | + | |इस समय हमें सो जाना चाहिये। जिससे हमारे स्पाइनको पूर्णतः विश्राम मिले। |
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| |11. | | |11. |
| |रात्रि 11 बजे से 1 बजे तक। | | |रात्रि 11 बजे से 1 बजे तक। |
| |गालब्लेडरमें अधिकतम ऊर्जा का प्रवाह। | | |गालब्लेडरमें अधिकतम ऊर्जा का प्रवाह। |
− | | | + | |इसका मुख्य कार्य पित्तका संचय एवं मानसिक गतिविधियोंपर नियन्त्रण करना है, यदि हम इस समय जागते हैं तो पित्त तथा नेत्रसे सम्बन्धित रोग होते हैं। |
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| |12. | | |12. |
| |रात्रि 1 बजे से 3 बजे तक। | | |रात्रि 1 बजे से 3 बजे तक। |
| |लीवरमें सर्वाधिक ऊर्जा का प्रवाह। | | |लीवरमें सर्वाधिक ऊर्जा का प्रवाह। |
− | | | + | |लीवर हमारे शरीरका मुख्य अंग है। इस समय पूर्ण विश्राम करना चाहिये। यह गहरी निद्राका समय है, इस समय बाहरका वातावरण भी शान्त हो, तभी ये अंग प्रकृतिसे प्राप्त विशेष ऊर्जाको ग्रहण कर सकते हैं। यदि आप देर राततक जगते हैं तो पित्तसम्बन्धी विकार होता है, नेत्रोंपर बुरा प्रभाव पड़ता है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है तथा व्यक्ति जिद्दी हो जाते हैं। यदि किसी कारण देर राततक जगना पड़े तो हर १ घण्टेके बाद १ गिलास पानी पीते रहना चाहिये। |
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| + | लीवरसे प्राण-ऊर्जा वापस फेफड़ोंमें चली जाती है। इस तरह प्राण-ऊर्जा चौबीस घण्टे अनवरत रूपसे चलती रहती है। आजकल व्यक्तिका जीवन प्रकृतिके विपरीत हो रहा है। सूर्योदय एवं सूर्यास्तका समय उनकी दिनचर्याके अनुरूप नहीं होता। इसलिये रोग बढ़ रहे हैं। यदि हम प्रकृतिके नियमोंका पालन करें तो हम निरोग रहेंगे और १०० वर्षतक रोगमुक्त होकर जियेंगे। |
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