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दन्तधावन का स्थान शौच के बाद बतलाया गया है।मुखशुद्धिके विना पूजा-पाठ मन्त्र-जप आदि सभी क्रियायें निष्फल हो जाती हैं अतः प्रतिदिन मुख-शुद्ध्यर्थ दन्तधावन अवश्य करना चाहिये ।दन्तधावन करने से दांत स्वच्छ एवं मजबूत होते हैं।मुख से दुर्गन्ध का भी नाश होता है। सनातन धर्म में दन्तधावन हेतु दातौन का प्रयोग बताया गया है।
 
दन्तधावन का स्थान शौच के बाद बतलाया गया है।मुखशुद्धिके विना पूजा-पाठ मन्त्र-जप आदि सभी क्रियायें निष्फल हो जाती हैं अतः प्रतिदिन मुख-शुद्ध्यर्थ दन्तधावन अवश्य करना चाहिये ।दन्तधावन करने से दांत स्वच्छ एवं मजबूत होते हैं।मुख से दुर्गन्ध का भी नाश होता है। सनातन धर्म में दन्तधावन हेतु दातौन का प्रयोग बताया गया है।
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==='''व्यायाम॥ Vyayama'''===
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=== व्यायाम॥ Vyayama ===
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==='''तैलाभ्यंग॥ Tailabhyanga'''===
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=== तैलाभ्यंग॥ Tailabhyanga ===
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==='''क्षौर॥ Kshaura'''===
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=== क्षौर॥ Kshaura ===
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==='''स्नान॥ Snana'''===
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=== स्नान॥ Snana ===
 
प्रात: स्नान का वर्णन किया जा रहा है। इसमें वैज्ञानिक विशेषता यह है कि रात्रि भर चन्द्रामृत से जो चन्द्रमा की किरणें जल में प्रवेश करती हैं, उसके प्रभाव से जल पुष्ट हो जाता है। सूर्योदय होने पर वह सब गुण सूर्य की किरणों द्वारा आकृष्ट हो जाता है; अत: जो व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व स्नान करेगा. वही जल के अमृतमय गणों का लाभ उठा सकेगा।
 
प्रात: स्नान का वर्णन किया जा रहा है। इसमें वैज्ञानिक विशेषता यह है कि रात्रि भर चन्द्रामृत से जो चन्द्रमा की किरणें जल में प्रवेश करती हैं, उसके प्रभाव से जल पुष्ट हो जाता है। सूर्योदय होने पर वह सब गुण सूर्य की किरणों द्वारा आकृष्ट हो जाता है; अत: जो व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व स्नान करेगा. वही जल के अमृतमय गणों का लाभ उठा सकेगा।
  
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