− | भारतीय संस्कृतिमें प्रत्येक दैनिक कर्म विधि-विधानसे पूर्ण किया जाता है। भोजन ग्रहण करने हेतु भी शास्त्रों में भोजनविधि का वर्णन किया गया है। शास्त्रोक्त विधिसे भोजन करने पर आयु, तेज, उत्साह, पुष्टि, तुष्टि एवं सुख प्राप्त होता है। | + | भारतीय संस्कृतिमें प्रत्येक दैनिक कर्म विधि-विधानसे पूर्ण किया जाता है। भोजन ग्रहण करने हेतु भी शास्त्रों में भोजनविधि का वर्णन किया गया है। शास्त्रोक्त विधिसे भोजन करने पर आयु, तेज, उत्साह, पुष्टि, तुष्टि एवं सुख प्राप्त होता है। आजकल सहभोज (बफेपार्टी) आदि जो भी प्रचलित हैं वह शास्त्रीय भोजन पद्धति का अनुसरण नहीं करती है। जिसमें स्पर्शदोष, दृष्टिदोष, भोजनस्थल की पवित्रता आदि का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जाता है। जिसके फलस्वरूप अजीर्ण आदि शरीरमें बहुविधरोग होने लगते हैं। |