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| एतादृश जागरण के अनन्तर दैनिक क्रिया कलापों की सूची बद्धता प्रातः स्मरण के बाद ही बिस्तर पर निर्धारित कर लेना चाहिये जिससे हमारे नित्य के कार्य सुचारू रूप से पूर्ण हो सकें।<ref>पं०लालबिहारी मिश्र,नित्यकर्म पूजाप्रकाश,गीताप्रेस गोरखपुर (पृ० १४)।</ref> | | एतादृश जागरण के अनन्तर दैनिक क्रिया कलापों की सूची बद्धता प्रातः स्मरण के बाद ही बिस्तर पर निर्धारित कर लेना चाहिये जिससे हमारे नित्य के कार्य सुचारू रूप से पूर्ण हो सकें।<ref>पं०लालबिहारी मिश्र,नित्यकर्म पूजाप्रकाश,गीताप्रेस गोरखपुर (पृ० १४)।</ref> |
| | | |
| + | ==षण्णवति श्राद्ध== |
| + | {| class="wikitable" |
| + | |+(२०२३ में षण्णवति श्राद्ध सूची) |
| + | !क्रम संख्या |
| + | ! |
| + | !दिनाँक |
| + | !मास/पक्ष/तिथि |
| + | !पर्व |
| + | !पुण्यकाल |
| + | !दानादि विधान |
| + | !ग्रन्थ |
| + | |- |
| + | |१ |
| + | |मन्व० |
| + | |२/०१/२०२३ |
| + | |पौष,शुक्ल,एकादशी |
| + | |धर्मसावर्णी मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२ |
| + | |वैधृति |
| + | |०७/०१/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३ |
| + | |अष्टका |
| + | |१४/०१/२०२३ |
| + | |पौष, कृष्ण, सप्तमी |
| + | |पूर्वेद्युः |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४ |
| + | |अष्टका |
| + | |१५/०१/२०२३ |
| + | |पौष, कृष्ण, अष्टमी |
| + | |अन्वष्टका |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१५/०१/२०२३ |
| + | | |
| + | |मकर संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६ |
| + | |अमा० |
| + | |२१/०१/२०२३ |
| + | | माघ,कृष्ण, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |७ |
| + | | पात |
| + | |२२/०१/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८ |
| + | |मन्व० |
| + | |२७/०१/२०२३ |
| + | |माघ,शुक्ल,सप्तमी |
| + | |ब्रह्मसावर्णी मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |९ |
| + | |वैधृति |
| + | |०१/०२/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |१० |
| + | |अष्टका |
| + | |१२/०२/२०२३ |
| + | |माघ, कृष्ण, सप्तमी |
| + | |पूर्वेद्युः |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |११ |
| + | | अष्टका |
| + | |१३/०२/२०२३ |
| + | | माघ, कृष्ण, अष्टमी |
| + | |अन्वष्टका |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |१२ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१३/०२/२०२३ |
| + | | |
| + | |कुम्भ संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |१३ |
| + | |पात |
| + | |१७/०२/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |१४ |
| + | |अमा० |
| + | |१९/०२/२०२३ |
| + | | फाल्गुन, कृष्ण, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |१५ |
| + | | युगादि |
| + | |१९/०२/२०२३ |
| + | | |
| + | |द्वापर युगादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |१६ |
| + | |वैधृति |
| + | |२६/०२/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |१७ |
| + | |मन्व० |
| + | |०७/०३/२०२३ |
| + | |फाल्गुन,शुक्ल,पूर्णिमा |
| + | | सावर्णी मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |१८ |
| + | |अष्टका |
| + | |१४/०३/२०२३ |
| + | |फाल्गुन,कृष्ण, सप्तमी |
| + | |अष्टका पूर्वेद्युः |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | १९ |
| + | |अष्टका |
| + | |१५/०३/२०२३ |
| + | |फाल्गुन, कृष्ण, अष्टमी |
| + | |अन्वष्टका |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२० |
| + | |पात |
| + | |१५/०३/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२१ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१५/०३/२०२३ |
| + | | |
| + | |मीन संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२२ |
| + | |अमा० |
| + | |२१/०३/२०२३ |
| + | |चैत्र, कृष्ण पक्ष, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | २३ |
| + | |वैधृति |
| + | | २३/०३/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२४ |
| + | |मन्व० |
| + | |२४/०३/२०२३ |
| + | |चैत्र शुक्लपक्ष तृतीया |
| + | |स्वायम्भुव मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२५ |
| + | |मन्व० |
| + | |०६/०४/२०२३ |
| + | |चैत्र शुक्लपक्ष पूर्णिमा |
| + | |स्वारोचिष मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२६ |
| + | |पात |
| + | |०९/०४/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२७ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१४/०४/२०२३ |
| + | | |
| + | | मेष संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२८ |
| + | |वैधृति योग |
| + | |१८/०४/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |२९ |
| + | | अमा० |
| + | |१९/०४/२०२३ |
| + | |वैशाख, कृष्ण पक्ष, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३० |
| + | |युगादि |
| + | |२२/०४/२०२३ |
| + | | |
| + | |त्रेता युगादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३१ |
| + | |पात |
| + | |०५/०५/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३२ |
| + | |वैधृति |
| + | |१४/०५/२०२३ |
| + | | |
| + | | वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३३ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१५/०५/२०२३ |
| + | | |
| + | |वृषभ संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३४ |
| + | |अमा० |
| + | |१९/०५/२०२३ |
| + | |ज्येष्ठ,कृष्ण पक्ष, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३५ |
| + | |पात |
| + | |३०/०५/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३६ |
| + | |मन्व० |
| + | |०४/०६/२०२३ |
| + | |ज्येष्ठ,शुक्ल पूर्णिमा |
| + | |वैवस्वत मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३७ |
| + | |वैधृति |
| + | |०८/०६/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |३८ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१५/०६/२०२३ |
| + | | |
| + | |मिथुन संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | ३९ |
| + | |अमा० |
| + | | १७/०६/२०२३ |
| + | |आषाढ, कृष्ण पक्ष, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४० |
| + | | पात |
| + | |२५/०६/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४१ |
| + | |मन्व० |
| + | |२८/०६/२०२३ |
| + | |आषाढ, शुक्ल दशमी |
| + | |रैवत मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४२ |
| + | |मन्व० |
| + | |०३/०७/२०२३ |
| + | |आषाढ, शुक्ल, पूर्णिमा |
| + | |चाक्षुष मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४३ |
| + | |वैधृति |
| + | |०४/०७/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४४ |
| + | |अमा० |
| + | |१७/०७/२०२३ |
| + | |श्रावण, कृष्ण पक्ष, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४५ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१७/०७/२०२३ |
| + | | |
| + | | कर्क संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | ४६ |
| + | |पात |
| + | |२०/०७/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४७ |
| + | |वैधृति |
| + | |३०/०७/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४८ |
| + | |पात |
| + | |१४/०८/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्य्तीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |४९ |
| + | |अमा० |
| + | |१५/०८/२०२३ |
| + | |श्रावण, कृष्ण पक्ष(अधिक मास) अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५० |
| + | |संक्रा० |
| + | |१७/०८/२०२३ |
| + | | |
| + | |सिंह संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५१ |
| + | |वैधृति |
| + | |२४/०८/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५२ |
| + | |मन्व० |
| + | | ०७/०९/२०२३ |
| + | |भाद्रपद,कृष्ण, अष्टमी |
| + | |इन्द्रसावर्णि मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५३ |
| + | |पात |
| + | |०८/०९/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५४ |
| + | |मन्व० |
| + | |१४/०९/२०२३ |
| + | |भाद्रपद, कृष्ण, अमावस्या |
| + | |दैवसावर्णि मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५५ |
| + | |अमा० |
| + | |१४/०९/२०२३ |
| + | |भाद्रपद, कृष्ण, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५६ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१७/०९/२०२३ |
| + | | |
| + | |कन्या संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५७ |
| + | |मन्व० |
| + | | १८/०९/२०२३ |
| + | |भाद्रपद,शुक्ल,तृतीया |
| + | |रुद्रसावर्णि मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५८ |
| + | |वैधृति |
| + | |१८/०९/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |५९ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |२९/०९/२०२३ |
| + | |भाद्रपद, शुक्ल, पूर्णिमा |
| + | |पूर्णिमा श्राद्ध |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६० |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |२९/०९/२०२३ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, प्रतिपदा |
| + | |प्रतिपदा श्राद्ध |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६१ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |३०/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण,द्वितीया |
| + | |द्वितीया |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६२ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | | ०१/१०/२०२३ |
| + | |आश्विन, कृष्ण,तृतीया |
| + | |तृतीया |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६३ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |०२/१०/२०२३ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, चतुर्थी |
| + | |चतुर्थी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६४ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |०२/१०/२०२३ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, चतुर्थी(भरणी) |
| + | |महाभरणी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६५ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |०३/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण,पञ्चमी |
| + | |पञ्चमी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६६ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |०४/ |
| + | | आश्विन, कृष्ण, षष्ठी |
| + | |षष्ठी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६७ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |०५/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, सप्तमी |
| + | |सप्तमी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६८ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |०६/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, अष्टमी |
| + | |अष्टमी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |६९ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |०७/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, नवमी |
| + | |नवमी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | ७० |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |०८/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, दशमी |
| + | |दशमी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |७१ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |०९/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, एकादशी |
| + | |एकादशी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |७२ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |१०/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, मघा श्राद्ध |
| + | |मघा श्राद्ध |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |७३ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |११/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, द्वादशी |
| + | |द्वादशी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |७४ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |१२/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, त्रयोदशी |
| + | |त्रयोदशी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |७५ |
| + | | पितृ पक्ष |
| + | |१३/ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, चतुर्दशी |
| + | |चतुर्दशी |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |७६ |
| + | |पितृ पक्ष |
| + | |१४ |
| + | |आश्विन, कृष्ण, सर्वपितृ अमावस्या |
| + | |अमावस्या |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |७७ |
| + | |वैधृति |
| + | |१४/१०/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |७८ |
| + | |पात |
| + | |०४/१०/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |7९ |
| + | |युगादि |
| + | |१२/१०/२०२३ |
| + | | |
| + | |कलियुग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८० |
| + | |अमा० |
| + | |१४/१०/२०२३ |
| + | | आश्विन, कृष्ण पक्ष, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८१ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१८/१०/२०२३ |
| + | | |
| + | |तुला संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८२ |
| + | |मन्व० |
| + | |२३/१०/२०२३ |
| + | |आश्विन,शुक्ल,नवमी |
| + | |दक्षसावर्णि मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८३ |
| + | |पात |
| + | |२९/१०/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८४ |
| + | |वैधृति |
| + | |०८/११/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८५ |
| + | |अमा० |
| + | |१३/११/२०२३ |
| + | |कार्तिक, कृष्ण पक्ष, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८६ |
| + | | संक्रा० |
| + | | १७/११/२०२३ |
| + | | |
| + | |वृश्चिक संक्रान्ति |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८७ |
| + | |युगादि |
| + | |२१/११/२०२३ |
| + | | |
| + | |सत युगादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८८ |
| + | |मन्व० |
| + | |२४/११/२०२३ |
| + | |कार्तिक,शुक्ल द्वादशी |
| + | |तामस मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |८९ |
| + | |पात |
| + | |२४/११/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |९० |
| + | |मन्व० |
| + | |२७/११/२०२३ |
| + | |कार्तिक, शुक्ल पूर्णिमा |
| + | |उत्तम मन्वादि |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |९१ |
| + | |वैधृति |
| + | |०३/१२/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |९२ |
| + | |अष्टका पूर्वेद्युः |
| + | |०४/१२/२०२३ |
| + | |मार्गशीर्ष, कृष्ण, सप्तमी |
| + | |अष्टका पूर्वेद्युः |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |९३ |
| + | |अन्वष्टका |
| + | |०५/१२/२०२३ |
| + | |मार्गशीर्ष, कृष्ण, अष्टमी |
| + | |अन्वष्टका |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |९४ |
| + | | अमा |
| + | |१२/१२/२०२३ |
| + | |मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, अमावस्या |
| + | |दर्श |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |९५ |
| + | |संक्रा० |
| + | |१६/१२/२०२३ |
| + | | |
| + | |धनु |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |९६ |
| + | |पात |
| + | |१९/१२/२०२३ |
| + | | |
| + | |व्यतीपात योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | |९७ |
| + | |वैधृति |
| + | |२८/१२/२०२३ |
| + | | |
| + | |वैधृति योग |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |} |
| + | ===अन्य श्राद्ध योग्यानि महाफलप्रदानि श्राद्ध दिवसानि=== |
| + | ==श्राद्ध के फल== |
| + | उत्तम संतान की प्राप्ति, आरोग्य ऐश्वर्य और आयुर्दाय का रक्षण, संतान की अभिवृद्धि, वेद अभिवृद्धि, सम्पत् प्राप्ति, श्रद्धा, बहु दान शीलत्व स्वभाव्््् |
| + | ===अशक्तस्य प्रत्यम्नायम् (श्राद्धस्पिय तर्पण, त)=== |
| + | तिल तर्पण, गोग्रास |
| + | |
| + | ==अनन्तपुण्य संपादकं पञ्चाङ्गम्== |
| + | मास, तिथि, वार नक्षत्र और योग के संयोग से जो-जो प्रत्येक अलभ्य योग उत्पन्न होते हैं उनके आचरण के प्रभाव से अर्थ और धर्म पुरुषार्थ प्रद होते हैं। जैसे जिस किसी का भी धन अर्जन के लिये पुण्य आवश्यक होता है। प्रत्येक व्यक्ति का संकल्पपूर्ति के लिये पुण्य संपादन बहुत आवश्यक है। जिस प्रकार संसार में किसी भी कार्य की सिद्धि के लिये धन की आवश्यकता होती है। |
| + | {| class="wikitable" |
| + | |+(अलभ्य योग) |
| + | !क्रम संख्या |
| + | !दिनाँक |
| + | !मास/पक्ष |
| + | !तिथि |
| + | !व्रत |
| + | !व्रत विधान |
| + | !फल |
| + | !तिथि निर्णय |
| + | !ग्रन्थ |
| + | |- |
| + | | |
| + | |०१/०२/२०२२ |
| + | |माघ/शुक्ल |
| + | |एकादशी |
| + | |भीम एकादशी/भीष्म एकादशी/ जय एकादशी/भीष्म पञ्चक व्रत आरंभ/ तिल पद्म व्रत |
| + | | |
| + | |संतति अभिवृध्दि भीष्म/ भीम एका० २४ एकादशी व्रत फल प्राप्ति/ |
| + | | |
| + | |(काञ्ची कामकोटी पीठ पञ्चाग) |
| + | |- |
| + | | |
| + | |०२/०२/२०२२ |
| + | | |
| + | |द्वादशी |
| + | |भीष्म/भीम/वराह/षट्तिल द्वादशी/तिलपद्म व्रत/ प्रदोष/ |
| + | |उपवास/तिल स्नान/ तिल विष्णु पूजन/ तिल नैवेद्य/ तिल तेल दीपदान/ तिल से होम/तिअ दान/तिल भक्षण |
| + | |द्रष्टव्य |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |माघ शुक्ल द्वादशी पुनर्वसु योग |
| + | |स्नान, दान, जप, होम |
| + | |विषेश फल |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | |
| + | |०३/०२/२०२२ |
| + | | |
| + | |त्रयोदशी |
| + | |वराह कल्पादि/ प्रदोष |
| + | |स्नान, दान, जप, होम,श्रद्ध |
| + | |अक्षय/कोटी गुणित |
| + | |षण्णवति |
| + | | |
| + | |- |
| + | | |
| + | |०३/०२/२०२२ |
| + | | |
| + | |त्रयोदशी |
| + | |दिनत्रय व्रत |
| + | |माघ शुक्ल (त्रयोदशी,चतुर्दशी,पूर्णिमा) को स्नान,दान,पूजादि |
| + | |आयु,आरोग्य,सम्पत्ति,रूप, मनोरथ सफलता, माघगंगा स्नान वषत् (प्रतिदिन सुवर्ण दान फल प्राप्ति) |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | |
| + | |०४/०२/२०२२ |
| + | | |
| + | |पूर्णिमा |
| + | | माघ पूर्णिमा |
| + | |समुद्र स्नान,तीर्थ स्नान, तिलपात्र,कम्बल अजिन रक्तवस्त्र आदि दानम(स्नान,दान, जप पूजा होमादिक ) प्रयाग में विशेष |
| + | |अधिक पुण्यप्रद |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |चन्द्रार्क योग(भानुवार पूर्णिमा तिथि वशात) |
| + | |स्नान,दान,जप होमादि |
| + | |विशेष पुण्यप्रद |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | |
| + | |०६/०२/२०२२ |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | |
| + | | |
| + | |फाल्गुन, कृष्ण, च |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |- |
| + | | |
| + | |फाल्गुन,कृष्ण, अष्टमी |
| + | | |
| + | |जानकी व्रत |
| + | | |
| + | |सर्व अभीष्ट सिद्धि्् |
| + | | |
| + | | |
| + | | |
| + | |} |
| == शौचाचार == | | == शौचाचार == |
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