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== परिचयः || Introduction ==
 
== परिचयः || Introduction ==
अयनचलन के विचार के लिये अत्यन्त उपयोगी करीब ३४०० वर्ष प्राचीन आलेख, जो भूमण्डल के अन्य देशों के ज्योतिषवाग्मय में सर्वथा अनुपलब्ध है, इस ग्रन्थ में उपलब्ध होने से कालगणना पद्धति के विषय में इस ग्रन्थ का लौकिक महत्त्व भी विलक्षण और अद्वितीय है। भारतवर्ष का नवीन इतिहास नाम के ग्रन्थ में  डा० ईश्वरी प्रसाद जी ने लिखा है-
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अयनचलन के विचार के लिये अत्यन्त उपयोगी करीब ३४०० वर्ष प्राचीन आलेख, जो भूमण्डल के अन्य देशों के ज्योतिषवाग्मय में सर्वथा अनुपलब्ध है, इस ग्रन्थ में उपलब्ध होने से कालगणना पद्धति के विषय में इस ग्रन्थ का लौकिक महत्त्व भी विलक्षण और अद्वितीय है। भारतवर्ष का नवीन इतिहास नाम के ग्रन्थ में  डा० ईश्वरी प्रसाद जी ने लिखा है-<blockquote>ईसा के पूर्व द्वितीय शताब्दी के आसपास ज्योतिषशास्त्र की अनेक बातें भारतीयों ने यूरोप से सीखीं। वे रोम और यूनान को ज्योतिषशास्त्र का घर समझते थे। ज्योतिष के अनेक यूनानी ग्रन्थों का अनुवाद संस्कृत में किया गया एवं भारतीय पञ्चागों का भी यूनानियों की सलाह से संशोधन हुआ। </blockquote>कुन्दन लाल शर्मा ने वैदिक वाग्मय का बृहद इतिहास नामके ग्रन्थ के षष्ठ खण्ड में लिखा है- <blockquote>यद्यपि भारतीय ज्योतिषियों ने वेदांग ज्योतिष के सिद्धान्त का परित्याग प्रथम ईसवी शती के आरंभ में  करके यूनानी सिद्धान्त को स्वीकार करके अपनी गणना पद्धति में परिवर्तन तथा संशोधन कर लिया था तो भी वैदिक ब्राह्मणों में वर्तमान वेदवेदाग ग्रन्थों के नित्य ब्रह्मयज्ञ की परम्परा के बल से ३४०० वर्ष पुराना वेदागज्योतिष ग्रन्थ उपलब्ध है। अब भी वैदिकब्राह्मण ब्रह्मयज्ञ में लगधप्रोक्त वेदाङ ज्योतिष ग्रन्थ पढा जाता है। </blockquote>अतः ज्योतिषीय ग्रन्थों में पाश्चात्य संस्कृति का सम्मेलन होने पर भी वेदांग ज्योतिष कण्ठस्थीकरण परम्परा वशात् मूलभूत सिद्धान्तों का ही प्रयोग दृष्टिगोचर होता आ रहा है। जैसा कि कहा गया है कि-
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ईसा के पूर्व द्वितीय शताब्दी के आसपास ज्योतिषशास्त्र की अनेक बातें भारतीयों ने यूरोप से सीखीं। वे रोम और यूनान को ज्योतिषशास्त्र का घर समझते थे। ज्योतिष के अनेक यूनानी ग्रन्थों का अनुवाद संस्कृत में किया गया एवं भारतीय पञ्चागों का भी यूनानियों की सलाह से संशोधन हुआ। कुन्दन लाल शर्मा ने वैदिक वाग्मय का बृहद इतिहास नामके ग्रन्थ के षष्ठ खण्ड में लिखा है- यद्यपि भारतीय ज्योतिषियों ने वेदांग ज्योतिष के सिद्धान्त का परित्याग प्रथम ईसवी शती के आरंभ में  करके यूनानी सिद्धान्त को स्वीकार करके अपनी गणना पद्धति में परिवर्तन तथा संशोधन कर लिया था तो भी वैदिक ब्राह्मणों में वर्तमान वेदवेदाग ग्रन्थों के नित्य ब्रह्मयज्ञ की परम्परा के बल से ३४०० वर्ष पुराना वेदागज्योतिष ग्रन्थ उपलब्ध है। अब भी वैदिकब्राह्मण ब्रह्मयज्ञ में लगधप्रोक्त वेदाङ ज्योतिष ग्रन्थ पढा जाता है।
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== रचनाकार॥ Author ==
    
== वेदाङ्गज्योतिष की परिभाषा॥ Definition of Vedanga Jyotisha ==
 
== वेदाङ्गज्योतिष की परिभाषा॥ Definition of Vedanga Jyotisha ==
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उपर्युक्त ये विषय प्रतिपादित हैं। श्रौतस्मार्तधर्म कृत्यों में इन की ही अपेक्षा होने से इस वेदाङ्गज्योतिष ग्रन्थ में इन विषयों का ही मुख्यतया प्रतिपादन किया गया है।
 
उपर्युक्त ये विषय प्रतिपादित हैं। श्रौतस्मार्तधर्म कृत्यों में इन की ही अपेक्षा होने से इस वेदाङ्गज्योतिष ग्रन्थ में इन विषयों का ही मुख्यतया प्रतिपादन किया गया है।
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== वेदाङ्गज्योतिष की उपयोगिता ==
    
== वेदाङ्गज्योतिष का काल निर्धारण॥ Time Determination of Vedang Jyotish ==
 
== वेदाङ्गज्योतिष का काल निर्धारण॥ Time Determination of Vedang Jyotish ==
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== उद्धरण॥ References ==
 
== उद्धरण॥ References ==
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<references />
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[[Category:Jyotisha]]
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[[Category:Vedangas]]
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