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== पृथ्वी पर संसाधन ==
 
== पृथ्वी पर संसाधन ==
हम अपने आस-पास अनेक प्रकार की वस्तुएं देखते हैं। प्रकृति में जो कुछ भी है वह किसी न किसी रूप में मनुष्य के लिए उपयोगी हे। इन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इनमें से कुछ वस्तुएं अथवा जीव-जन्तु ऐसे हैं जो मानव के लिए वर्तमान में उपयोगी हैं, जैसे कि मिट्टी, गोबर, लकडी, जल, पेड आदि। परन्तु कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जो वर्तमान में मनुष्य के लिए उपयोगी नहीं हैं, जैसे कि मक्खी, मच्छर आदि। प्रकृति में जो संसाधन वर्तमान में मनुष्य के लिए उपयोगी नहीं हैं उसे असंसाधन कहते हैं। यहाँ यह बात विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य है कि प्रकृति में आज जो असंसाधन है वह भविष्य में संसाधन में परिवर्तित हो सकता है। उदाहरण के लिए आदि-मानव के लिए धातुएं असंसाधन थीं, जबकि वे प्रकृति में तब भी उपलब्ध थीं। आदि-मानव उन्हें प्राप्त करना तथा उपयोग में लाना नहीं जानता था, परन्तु आज के मानव के लिए धातुएं बहुत महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं। इसलिए हमें सारे प्राकृतिक संसाधनों को बचाकर रखना चाहिए।  
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+हम अपने आस-पास अनेक प्रकार की वस्तुएं देखते हैं। प्रकृति में जो कुछ भी है वह किसी न किसी रूप में मनुष्य के लिए उपयोगी हे। इन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इनमें से कुछ वस्तुएं अथवा जीव-जन्तु ऐसे हैं जो मानव के लिए वर्तमान में उपयोगी हैं, जैसे कि मिट्टी, गोबर, लकडी, जल, पेड आदि। परन्तु कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जो वर्तमान में मनुष्य के लिए उपयोगी नहीं हैं, जैसे कि मक्खी, मच्छर आदि। प्रकृति में जो संसाधन वर्तमान में मनुष्य के लिए उपयोगी नहीं हैं उसे असंसाधन कहते हैं। यहाँ यह बात विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य है कि प्रकृति में आज जो असंसाधन है वह भविष्य में संसाधन में परिवर्तित हो सकता है। उदाहरण के लिए आदि-मानव के लिए धातुएं असंसाधन थीं, जबकि वे प्रकृति में तब भी उपलब्ध थीं। आदि-मानव उन्हें प्राप्त करना तथा उपयोग में लाना नहीं जानता था, परन्तु आज के मानव के लिए धातुएं बहुत महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं। इसलिए हमें सारे प्राकृतिक संसाधनों को बचाकर रखना चाहिए।  
    
हमारी प्राचीन ज्ञान परम्परा में पृथ्वी के संरक्षण के लिए बहुत जोर दिया गया है। वेदों में कहा गया है कि-“माता भूमिः पुत्रोऽहँपृचिव्याः” अर्थात्‌ यह धरती हमारी माता है, माता के समान पोषक है  और में पुत्र के समान इसका रक्षक हूँ।
 
हमारी प्राचीन ज्ञान परम्परा में पृथ्वी के संरक्षण के लिए बहुत जोर दिया गया है। वेदों में कहा गया है कि-“माता भूमिः पुत्रोऽहँपृचिव्याः” अर्थात्‌ यह धरती हमारी माता है, माता के समान पोषक है  और में पुत्र के समान इसका रक्षक हूँ।
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अर्थात्‌ हे भूमि! मैं तेरा जो भी भाग खोदूँ वह जल्दी ही पुनः सही हो जाए। हे खोजने योग्य धरती! में कभी भी आपके मर्मस्थल को हानि नहीं पहुँचाऊ और न ही आपके हृदय को दुखी करूँ।
 
अर्थात्‌ हे भूमि! मैं तेरा जो भी भाग खोदूँ वह जल्दी ही पुनः सही हो जाए। हे खोजने योग्य धरती! में कभी भी आपके मर्मस्थल को हानि नहीं पहुँचाऊ और न ही आपके हृदय को दुखी करूँ।
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[[File:22.jpg|thumb|नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन]]
    
=== नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन ===
 
=== नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन ===
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चित्र 3.1 नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन
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हमारी पृथ्वी पर जो संसाधन एक बार समाप्त होने के बाद प्रकृति में पुनः उत्पन्न होने के लिए बहुत लम्बा समय यानी लाखों से करोड़ों वर्षो तक का समय ले लेते हैं वह अनीवकरणीय प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं, जैसे कि पेट्रोल, कोयला, मिट्टी का तेल, केरोसिन आदि।
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हमारी पृथ्वी पर जो संसाधन एक बार समाप्त होने के बाद प्रकृति में पुनः उत्पन्न होने के लिए बहुत लम्बा समय यानी लाखों से करोड़ों वर्षो तक का समय ले लेते हैं वह अनीवकरणीय प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं, जैसे कि पेट्रोल, कोयला, मिट्टी का तेल, केरोसिन आदि।
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[[File:33.jpg|left|thumb|अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन]]
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चित्र 3.1 अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन
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कुछ नवीकरणीय संसाधन इतनी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं कि शायद हमें उनकी कभी कमी न हो। ऑक्सीजन एक नवीकरणीय संसाधन है , क्योंकि पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा रोज ताजा ऑक्सीजन वातावरण में जोडते हैं। ठीक इसी प्रकार लकड़ी हमें पेड़ों से प्राप्त होती रहती हे। नया पेड कुछ ही वर्षो में पूर्णरूप से विकसित हो सकता है। अतः लकड़ी एक नवीकरणीय संसाधन हे। लेकिन बहुत से संसाधन यदि बहुत अधिक मात्रा में उपयोग किये जाएं तो समाप्त हो सकते हैं। उदाहरण के लिए-कोयला। कोयले के बनने की प्रक्रिया में लकडी धरती की गहराइयों में लाखों वर्षो तक दबी रहती हे। इसलिए एक बार इसके समाप्त होने पर मानव को यह निकट भविष्य में पुनः उपलब्ध नहीं हो सकता। अतः लकडी एक नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है | जबकि कोयला एक अनवीकरणीय संसाधन हे।
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कुछ नवीकरणीय संसाधन इतनी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं कि शायद हमें उनकी कभी कमी न हो। ऑक्सीजन एक नवीकरणीय संसाधन है , क्योंकि पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा रोज ताजा ऑक्सीजन वातावरण में जोडते हैं। ठीक इसी प्रकार लकड़ी हमें पेड़ों से प्राप्त होती रहती हे। नया पेड कुछ ही वर्षो में पूर्णरूप से विकसित हो सकता है। अतः लकड़ी एक नवीकरणीय संसाधन हे। लेकिन बहुत से संसाधन यदि बहुत अधिक मात्रा में उपयोग किये जाएं तो समाप्त हो सकते हैं। उदाहरण के लिए-कोयला। कोयले के बनने की प्रक्रिया में लकडी धरती की गहराइयों में लाखों वर्षो तक दबी रहती हे। इसलिए एक बार इसके समाप्त होने पर मानव को यह निकट भविष्य में पुनः उपलब्ध नहीं हो सकता। अतः लकडी एक नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है | जबकि कोयला एक अनवीकरणीय संसाधन हे।
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[[File:44.jpg|thumb|जैव तथा अजेव प्राकृति संसाधन]]
    
=== जैव तथा अजैव प्राकृतिक संसाधन ===
 
=== जैव तथा अजैव प्राकृतिक संसाधन ===
 
पृथ्वी के वे प्राकृतिक संसाधन, जिनमें जीवन होता है, जैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे कि पेड़-पौधे, मानव, जानवर आदि। तथा वे प्राकृतिक संसाधन जिनमें जीवन नहीं होता है, अजेव प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं, जेसे कि लकडी, मिट्टी, हवा आदि।
 
पृथ्वी के वे प्राकृतिक संसाधन, जिनमें जीवन होता है, जैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे कि पेड़-पौधे, मानव, जानवर आदि। तथा वे प्राकृतिक संसाधन जिनमें जीवन नहीं होता है, अजेव प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं, जेसे कि लकडी, मिट्टी, हवा आदि।
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चित्र 3.3 जैव तथा अजेव प्राकृति संसाधन
 
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