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=== नेपथ्ययोगाः ॥ Nepathyayoga ===
 
=== नेपथ्ययोगाः ॥ Nepathyayoga ===
वात्स्यायन द्वारा वर्णित चौंसठ कलाओं में से एक महत्त्वपूर्ण कला है- 'नेपथ्ययोग अर्थात् वेशभूषाधारण करने की कला या 'प्रसाधनकला' । यशोधर के अनुसार देश और काल के अनुरूप वस्त्र, माल्य, आभूषणादि से स्वयं को या दूसरों को, शोभा के लिये मण्डित करने की कला नेपथ्ययोग है।
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वात्स्यायन द्वारा वर्णित चौंसठ कलाओं में से एक महत्त्वपूर्ण कला है- नेपथ्ययोग अर्थात् वेशभूषाधारण करने की कला या प्रसाधनकला। यशोधर के अनुसार देश और काल के अनुरूप वस्त्र, माल्य, आभूषणादि से स्वयं को या दूसरों को, शोभा के लिये मण्डित करने की कला नेपथ्ययोग है।
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'नेपथ्य' नाट्यशास्त्र का पारिभाषिक शब्द है, जिसका व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है-नेता का पथ्य (नेः नेता तस्य पथ्यम्), अर्थात वे साधन जो सामाजिक को रसानुभूति की ओर ले जाने वाले अभिनयव्यापार में सहयोगी होते हैं-नेपथ्य हैं । आचार्य भरत के अनुसार 'आहार्य' अभिनय का नाम ही नेपथ्यविधान है। संस्कृत साहित्य में नेपथ्य शब्द का प्रयोग प्रारम्भ में केवल नटों द्वारा धारण की जाने वाली वेशभूषा, मंचसज्जा आदि के लिये हुआ । आद्य नाट्यकार भास ने इसी अभिप्राय से नेपथ्यपालिनी' शब्द का प्रयोग किया है। बाद में जन-जीवन में स्त्री-पुरुष द्वारा धारण की जाने वाली विशिष्ट वेशभूषा को भी नेपथ्य कहा गया। भरत के पश्चात् नेपथ्यकला का सर्वप्रथम सागोपांग वर्णन कालिदास की कृतियों में हुआ है। नेपथ्ययोग कलात्मक ढंग से सुसज्जित होने की कला थी । स्नान के पश्चात् नेपथ्यविधि प्रारम्भ होती थी। इसके निम्नलिखित मुख्य अंग थे (1) केशरचना ( 2 ) अनुलेप या अंगराग ( 3 ) पत्रावलीरचना (4) अलंकारयोग (5) वस्त्रयोग एवं (6) माल्यप्रयोग ।
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नेपथ्य नाट्यशास्त्र का पारिभाषिक शब्द है, जिसका व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है-नेता का पथ्य (नेः नेता तस्य पथ्यम्), अर्थात वे साधन जो सामाजिक को रसानुभूति की ओर ले जाने वाले अभिनयव्यापार में सहयोगी होते हैं-नेपथ्य हैं । आचार्य भरत के अनुसार 'आहार्य' अभिनय का नाम ही नेपथ्यविधान है। संस्कृत साहित्य में नेपथ्य शब्द का प्रयोग प्रारम्भ में केवल नटों द्वारा धारण की जाने वाली वेशभूषा, मंचसज्जा आदि के लिये हुआ । आद्य नाट्यकार भास ने इसी अभिप्राय से नेपथ्यपालिनी' शब्द का प्रयोग किया है। बाद में जन-जीवन में स्त्री-पुरुष द्वारा धारण की जाने वाली विशिष्ट वेशभूषा को भी नेपथ्य कहा गया। भरत के पश्चात् नेपथ्यकला का सर्वप्रथम सागोपांग वर्णन कालिदास की कृतियों में हुआ है। नेपथ्ययोग कलात्मक ढंग से सुसज्जित होने की कला थी । स्नान के पश्चात् नेपथ्यविधि प्रारम्भ होती थी। इसके निम्नलिखित मुख्य अंग थे-
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सुरुचिपूर्ण नेपथ्य सुसंस्कृत अभिरुचि, आभिजात्य और समृद्धि का परिचायक था। नेपथ्यकला की कसौटी ‘वधूनेपथ्य' को माना गया था। इस कला का सम्प्रति 'ब्यूटीपार्लर' द्वारा व्यवसाय के स्वरूप में प्रचलन है।
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* केशरचना।
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* अनुलेप या अंगराग।
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* पत्रावलीरचना।
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* अलंकारयोग।
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* वस्त्रयोग।
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* माल्यप्रयोग।
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=== कर्णपत्रभङ्गाः ॥ Karnapatrabhanga ===
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सुरुचिपूर्ण नेपथ्य सुसंस्कृत अभिरुचि, आभिजात्य और समृद्धि का परिचायक था। नेपथ्यकला की कसौटी <nowiki>''वधूनेपथ्य''</nowiki> को माना गया था। इस कला का सम्प्रति ब्यूटीपार्लर द्वारा व्यवसाय के स्वरूप में प्रचलन है।
है। हाथीदाँत, शंख, आदि से पत्राकृति कर्णाभूषण बनाने की कला कर्णपत्रभंग कही जाती के अनुकरण पर जिस प्रकार कनक-कमल आदि आभूषणों की रचना हुई उसी प्रकार कटावदार तरंगायित पत्रों के अनुकरण पर 'कर्णपत्र' की। भंग का अर्थ है- अंश या टुकड़ा। अतः कर्णपत्रभंग से अभिप्राय है, हाथीदाँत के टुकड़ों से पत्ते के आकार की आभरणरचना जिसकी विशेष संज्ञा 'दन्तपत्र' है। दन्तपत्र को धारण करने के सन्दर्भ अत्यंत प्राचीन काल से ही प्राप्त होते हैं उदाहरण स्वरूप विवाह के अवसर पर पार्वती के मुख को शोभित करने वाला कर्णावसक्त दन्तपत्र दन्तपत्र के प्रति स्त्रियों की अनुरक्ति का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि चन्द्रापीड से मिलने आई कादम्बरी ने अन्य आभूषणों का
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1. आहार्याभिनयो नाम ज्ञेयो नेपथ्यजो विधिः (नाट्यशास्त्र 23 / 2 )
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2. प्रतिमानाटक अंक 1 3. यत् त्वं प्रसाधनगर्वं वहसि तद् दर्शय मालविकायाः शरीरे विवाहनेपथ्यमिति । (मालविका अंक 5) 4. कुमारसंभव 7/23
      
=== कर्णपत्रभङ्गाः ॥ Karnapatrabhanga ===
 
=== कर्णपत्रभङ्गाः ॥ Karnapatrabhanga ===
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हाथीदाँत, शंख, आदि से पत्राकृति कर्णाभूषण बनाने की कला कर्णपत्रभंग कही जाती के अनुकरण पर जिस प्रकार कनक-कमल आदि आभूषणों की रचना हुई उसी प्रकार कटावदार तरंगायित पत्रों के अनुकरण पर 'कर्णपत्र' की। भंग का अर्थ है- अंश या टुकड़ा। अतः कर्णपत्रभंग से अभिप्राय है, हाथीदाँत के टुकड़ों से पत्ते के आकार की आभरणरचना जिसकी विशेष संज्ञा 'दन्तपत्र' है। दन्तपत्र को धारण करने के सन्दर्भ अत्यंत प्राचीन काल से ही प्राप्त होते हैं उदाहरण स्वरूप विवाह के अवसर पर पार्वती के मुख को शोभित करने वाला कर्णावसक्त दन्तपत्र दन्तपत्र के प्रति स्त्रियों की अनुरक्ति का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि चन्द्रापीड से मिलने आई कादम्बरी ने अन्य आभूषणों का प्रयोग किया था।
    
=== गन्धयुक्तिः ॥ Gandhayukti ===
 
=== गन्धयुक्तिः ॥ Gandhayukti ===
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=== नाटिकाख्यायिकादर्शनम्  ॥ Natika Akhyayika darshana ===
 
=== नाटिकाख्यायिकादर्शनम्  ॥ Natika Akhyayika darshana ===
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=== काव्यसमस्यापूरणम् ॥ Kavya samasya purana ===
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=== पट्टिकावेत्रवाणविकल्पाः ॥ Pattikavetravana vikalpa ===
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=== तर्कूकर्माणि ॥ Tarkukarma ===
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=== तक्षणम् ॥ Takshana ===
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=== वास्तुविद्या ॥ Vastuvidya ===
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=== रूप्यरत्नपरीक्षा  ॥ Roopya ratna pariksha ===
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=== धातुवादः  ॥ Dhatuvada ===
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=== मणिरागज्ञानम्  ॥ Maniraga jnana ===
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=== आकरज्ञानम् ॥ Akara jnana ===
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=== वृक्षायुर्वेदयोगाः ॥ Vrkshayurveda yoga ===
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=== मेषकुक्कुटलावकयुद्धविधिः ॥ Mesha kukkutalavaka yuddhavidhi ===
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=== शुकसारिकाप्रलापनम्  ॥ Shuka sarika pralapana ===
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=== उत्सादनम्  ॥ Utsadana ===
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=== केशमार्जनकौशलम्  ॥ Keshamarjana kaushala ===
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=== अक्षरमुष्टिकाकथनम् ॥ Aksharamushtika kathana ===
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=== म्लेच्छितकविकल्पाः॥ Mlecchitaka vikalpa ===
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=== देशभाषाज्ञानम्  ॥ Deshabhasha jnana ===
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=== पुष्पशकटिकानिमित्तज्ञानम् ॥ Pushpashakatika nimitta jnana ===
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=== यन्त्रमातृका ॥ Yantramatrka ===
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=== धारणमातृका ॥ Dharanamatrka ===
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=== सम्पाट्यम् ॥ Sampatya ===
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=== मानसीकाव्यक्रिया ॥ Manasikavya kriya ===
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=== क्रियाविकल्पाः ॥ Kriyavikalpa ===
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=== छलितकयोगाः ॥ Chalitayoga ===
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=== अभिधानकोषच्छन्दोज्ञानम् ॥ Abhidhanakosh chanda jnana ===
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=== वस्त्रगोपनानि ॥ Vastragopana ===
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=== द्यूतविशेषः ॥ Dyutavishesha ===
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=== आकर्षणक्रीडा ॥ Akarshana kreeda ===
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=== बालकक्रीडनकानि ॥ Balaka kreedanaka ===
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=== वैनायिकीनां विद्यानां ज्ञानम् ॥ Vainaayiki vidya jnana ===
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=== वैजयिकीनां विद्यानां ज्ञानम् ॥ Vaijayiki vidya jnana ===
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=== वैतालिकीनां विद्यानां ज्ञानम्  ॥ Vaitaliki vidya jnana ===
    
== निष्कर्ष॥ Discussion ==
 
== निष्कर्ष॥ Discussion ==
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