Line 16: |
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| Eg: मुहूर्तं सुखं => मुहूर्तसुखम् | | Eg: मुहूर्तं सुखं => मुहूर्तसुखम् |
| | | |
− | सर्वरात्रं कल्याणी, सर्वरात्रं शोभना | + | सर्वरात्रं कल्याणी, सर्वरात्रं शोभना<ref name=":0">Sridhar Subbanna, Samasa, Samskritadhyayana Karyashala, Vidyasvam.</ref> |
| | | |
| == तृतीया-तत्पुरुषः == | | == तृतीया-तत्पुरुषः == |
Line 29: |
Line 29: |
| The तृतीया-विभक्ति-सुबन्त in the meaning of कर्तृ and करण can have समास with any समर्थ-सुबन्त which is a कृदन्त. | | The तृतीया-विभक्ति-सुबन्त in the meaning of कर्तृ and करण can have समास with any समर्थ-सुबन्त which is a कृदन्त. |
| | | |
− | Eg: अहिना हतः => अहिहतः | + | Eg: अहिना हतः => अहिहतः<ref name=":0" /> |
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| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
Line 140: |
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| Eg: कुण्डलाय हिरण्यम् => कुण्डलहिरण्यम् | | Eg: कुण्डलाय हिरण्यम् => कुण्डलहिरण्यम् |
| | | |
− | बालकाय पयः => बालकार्थं पयः | + | बालकाय पयः => बालकार्थं पयः<ref name=":0" /> |
| | | |
| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
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Line 200: |
| Eg: चोरात् भयम् => चोरभयम् | | Eg: चोरात् भयम् => चोरभयम् |
| | | |
− | सुखात् अपेतः => सुखापेतः | + | सुखात् अपेतः => सुखापेतः<ref name=":0" /> |
| | | |
| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
Line 243: |
Line 243: |
| Eg: राज्ञः पुरुषः => राजपुरुषः | | Eg: राज्ञः पुरुषः => राजपुरुषः |
| | | |
− | छात्रस्य पुस्तकम् => छात्रपुस्तकम् | + | छात्रस्य पुस्तकम् => छात्रपुस्तकम्<ref name=":0" /> |
| | | |
| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
Line 299: |
Line 299: |
| मम अध्यापकः - ? | | मम अध्यापकः - ? |
| | | |
− | ( अन्येन निवर्तितस्य पुनः प्रवृत्त्यभ्यनुज्ञानम् = प्रतिप्रसवः) | + | ( अन्येन निवर्तितस्य पुनः प्रवृत्त्यभ्यनुज्ञानम् = प्रतिप्रसवः)<ref name=":0" /> |
| | | |
| === षष्ठी-समास-निषेधः === | | === षष्ठी-समास-निषेधः === |
Line 360: |
Line 360: |
| Or any षष्ठी-विभक्ति-सुबन्त cannot get into समास, with the तृच/अक which is in the meaning of कर्तृकारक. | | Or any षष्ठी-विभक्ति-सुबन्त cannot get into समास, with the तृच/अक which is in the meaning of कर्तृकारक. |
| | | |
− | Eg: ओदनस्य पाचकः, पुरां भेत्ता, वज्रस्य भर्ता , सक्तूनां पायकः, ओदनस्य | + | Eg: ओदनस्य पाचकः, पुरां भेत्ता, वज्रस्य भर्ता , सक्तूनां पायकः, ओदनस्य<ref name=":0" /> |
| | | |
| == सप्तमी-तत्पुरुषः == | | == सप्तमी-तत्पुरुषः == |
Line 371: |
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| अक्षेषु शौण्डः => अक्षशौण्डः | | अक्षेषु शौण्डः => अक्षशौण्डः |
| | | |
− | शास्त्रेषु निपुणः => शास्त्रनिपुणः | + | शास्त्रेषु निपुणः => शास्त्रनिपुणः<ref name=":0" /> |
| | | |
| === अभ्यास I === | | === अभ्यास I === |
Line 406: |
Line 406: |
| | | |
| 4. चक्रे बन्धः 4. वेदे पण्डितः | | 4. चक्रे बन्धः 4. वेदे पण्डितः |
| + | |
| + | == सङ्क्षेपरामायणतः उदाहरणानि ॥ Examples from Sankshepa Ramayana == |
| + | |
| + | === Example 1. === |
| + | आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् । |
| + | |
| + | लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।। |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | आपदाम्, अपहर्तारम्, दातारम्, सर्वसम्पदाम्, |
| + | |
| + | लोकाभिरामम् , श्रीरामम्, भूयः भूयः, नमामि, अहम् । |
| + | |
| + | => तत्पुरुषसमासाः |
| + | |
| + | '''लोकाभिरामम्''' |
| + | |
| + | - विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकारः कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 1. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''लोकाभिरामं'''(पुं. २,१) [=श्रीरामम्]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिके = लोक, अभिराम। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = लोकानाम् अभिरामः लोकाभिरामः ('''षष्ठीतत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | तं '''लोकाभिरामम्'''। |
| + | |
| + | === Example 2. === |
| + | तपस्स्वाध्यायनिरतं तपस्वी वाग्विदां वरम्। |
| + | |
| + | नारदं परिपप्रच्छ वाल्मिकिर्मुनिपुङ्गवम् ||१|| |
| + | |
| + | => पदच्छेद: |
| + | |
| + | तपस्स्वाध्यायनिरतम्, तपस्वी, वाग्विदाम्, वरम्, |
| + | |
| + | नारदम्, परिपप्रच्छ, वाल्मिकिः, मुनिपुङ्गवम्। |
| + | |
| + | => तत्पुरुषसमासाः |
| + | |
| + | '''तपस्स्वाध्यायनिरतम''' |
| + | |
| + | – विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकार कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 2. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''तपस्स्वाध्यायनिरतं'''(पुं. २, १) [=नारदम्]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिके = तपस्स्वाध्याय, निरत। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = तपस्स्वाध्याययोः निरतः तपस्स्वाध्यायनिरतः ('''सप्तमीतत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | तं '''तपस्स्वाध्यायनिरतम्'''। |
| + | |
| + | === Example 3. === |
| + | इक्ष्वाकुवंशप्रभवो रामो नाम जनैः श्रुतः | |
| + | |
| + | नियतात्मा महावीर्यो द्युतिमान्धृतिमान्वशी ॥ ८॥ |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | इक्ष्वाकुवंशप्रभवः, रामः, नाम, जनैः, श्रुतः, |
| + | |
| + | नियतात्मा, महावीर्यः, द्युतिमान्, धृतिमान्, वशी। |
| + | |
| + | => तत्पुरुषसमासाः |
| + | |
| + | इक्ष्वाकुवंशः – विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकारः कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 3. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''इक्ष्वाकुवंशः'''(पुं. १,१) [=प्रभवः]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिके = इक्ष्वाकु, वंश। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = इक्ष्वाकोः वंशः '''इक्ष्वाकुवंशः (षष्ठीतत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | === Example 4. === |
| + | रक्षिता जीवलोकस्य धर्मस्य परिरक्षिता। |
| + | |
| + | रक्षिता स्वस्य धर्मस्य स्वजनस्य च रक्षिता ।।१३।। |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | रक्षिता, जीवलोकस्य, धर्मस्य, परिरक्षिता, |
| + | |
| + | रक्षिता, स्वस्य, धर्मस्य, स्वजनस्य, च, रक्षिता। |
| + | |
| + | => तत्पुरुषसमासाः |
| + | |
| + | '''जीवलोकस्य, स्वजनस्य''' |
| + | |
| + | - विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकारः कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 4. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''जीवलोकस्य'''(पुं. ६, १) [रक्षिता]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिके = जीव, लोक। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = जीवानां लोकः जीवलोकः ('''षष्ठीतत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | तस्य '''जीवलोकस्य'''। |
| + | |
| + | समस्तपदम् = '''स्वजनस्य''' (पुं. ६, १) [रक्षिता]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिके = स्व, जन। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = स्वस्य जनः स्वजनः ('''षष्ठीतत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | तस्य '''स्वजनस्य'''। |
| + | |
| + | === Example 4. === |
| + | आर्यः सर्वसमश्चैव सदैकप्रियदर्शनः। |
| + | |
| + | स च सर्वगुणोपेतः कौसल्यानन्दवर्धनः ।।१६।। |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | आर्यः, सर्वसमः, च, एव, सदा, एकप्रियदर्शनः, |
| + | |
| + | स, च, सर्वगुणोपेतः, कौसल्यानन्दवर्धनः | |
| + | |
| + | => तत्पुरुषसमासाः |
| + | |
| + | सर्वगुणोपेतः, कौसल्यानन्दवर्धनः |
| + | |
| + | - विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकारः कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 4. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''सर्वगुणोपेतः''' (पुं. १, १) [=रामः]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिके = सर्वगुण, उपेत। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = सर्वगुणैः उपेतः '''सर्वगुणोपेतः''' ('''तृतीयातत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | समस्तपदम् = '''कौसल्यानन्दवर्धनः ('''पुं. १, १) [=रामः]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिकानि = कौसल्या, आनन्द, वर्धन। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = कौसल्यायाः आनन्दः कौसल्यानन्दः ('''षष्ठीतत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | कौसल्यानन्दस्य वर्धनः कौसल्यानन्दवर्धनः ('''षष्ठीतत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | === Example 5. === |
| + | प्रहृष्टमुदितो लोकस्तुष्टः पुष्टः सुधार्मिकः । |
| + | |
| + | निरामयो ह्यरोगश्च दुर्भिक्षभयवर्जितः ।।८८।। |
| + | |
| + | => पदच्छेदः |
| + | |
| + | प्रहृष्टमुदितः, लोकः, तुष्टः, पुष्टः, सुधार्मिकः, |
| + | |
| + | निरामयः, हि, अरोगः, च, दुर्भिक्षभयवर्जितः। |
| + | |
| + | => तत्पुरुषसमासाः |
| + | |
| + | दुर्भिक्षभयवर्जितः |
| + | |
| + | – विग्रहवाक्यम् किम्? प्रकारः कः? (Expansion/type?) |
| + | |
| + | ==== Solution 5. ==== |
| + | समस्तपदम् = '''दुर्भिक्षभयवर्जितः''' (पुं. १, १) [=लोकः]। |
| + | |
| + | प्रातिपदिकानि = दुर्भिक्ष, भय, वर्जित। |
| + | |
| + | विग्रहवाक्यम् = दुर्भिक्षात् भयं दुर्भिक्षभयम् ('''पञ्चमीतत्पुरुषः''')। |
| + | |
| + | दुर्भिक्षभयेन वर्जितः दुर्भिक्षभयवर्जितः ('''तृतीयातत्पुरुषः)'''।<ref>Amit Rao, Tatpurusha Samasa Review, Vidyasvam.</ref> |
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| + | == References == |
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