उक्त ऋचा में कहा गया हे सर्वशक्तिमान परमात्मा हजारों सिर वाला, हजारों नयन वाला तथा हजारों पादयुक््त है, वो पूरे ब्रहाण्ड में व्याप्त है। परमात्मा जो कि जगत का निर्माता है, ने संपूर्ण प्रकृति को चारों तरफ से अपने स्वरुप से घेर रखा है। सम्पूर्ण प्रकृति को सब तरफ से घेर लेने के बाद भी वह इससे दश अंगुल पर शोभायमान होकर स्थित है। यहाँ पर सर्वशक्तिमान की कार्यरत शक्तियों के माध्यम से सृष्टि की रचना बताई गई है। | उक्त ऋचा में कहा गया हे सर्वशक्तिमान परमात्मा हजारों सिर वाला, हजारों नयन वाला तथा हजारों पादयुक््त है, वो पूरे ब्रहाण्ड में व्याप्त है। परमात्मा जो कि जगत का निर्माता है, ने संपूर्ण प्रकृति को चारों तरफ से अपने स्वरुप से घेर रखा है। सम्पूर्ण प्रकृति को सब तरफ से घेर लेने के बाद भी वह इससे दश अंगुल पर शोभायमान होकर स्थित है। यहाँ पर सर्वशक्तिमान की कार्यरत शक्तियों के माध्यम से सृष्टि की रचना बताई गई है। |