यह पर्व भादो शुक्ल पक्ष की साते को आता है। इस दिन दुबड़ी की पूजा करनी चाहिए। एक पट्टे पर (दुवड़ी कुछ बच्चों की मूर्ति सॉं की मूर्ति, एक मटका एवं एक औरत का चित्र) मिट्टी से बना लें। उनको चावल, जल, रोली, आटा, घी, चीनी मिलाकर लोई बनाकर उनसे पूजें। दक्षिणा चढ़ायें तथा बाजरा चढ़ायें। मोठ-बाजरे का बायना निकालकर सासूजी को पांव छूकर दे दें। फिर दुबड़ी साते की कहानी सुने। इस दिन ठण्डा खाना नहीं खाना चाहिए। यदि इसी वर्ष किसी लड़की का | यह पर्व भादो शुक्ल पक्ष की साते को आता है। इस दिन दुबड़ी की पूजा करनी चाहिए। एक पट्टे पर (दुवड़ी कुछ बच्चों की मूर्ति सॉं की मूर्ति, एक मटका एवं एक औरत का चित्र) मिट्टी से बना लें। उनको चावल, जल, रोली, आटा, घी, चीनी मिलाकर लोई बनाकर उनसे पूजें। दक्षिणा चढ़ायें तथा बाजरा चढ़ायें। मोठ-बाजरे का बायना निकालकर सासूजी को पांव छूकर दे दें। फिर दुबड़ी साते की कहानी सुने। इस दिन ठण्डा खाना नहीं खाना चाहिए। यदि इसी वर्ष किसी लड़की का |