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== सूर्यनमस्कार ==
 
== सूर्यनमस्कार ==
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सूर्य की पूजा एवं वन्दना भी नित्यकर्म में आती है। यह व्यायाम प्रातः सूर्य-वन्दना पूर्वक प्रारंभ होता है। आधा घण्टा तक इस अभ्यास के करने से शरीर श्रान्त हो जाता है तव इसे छोड देना चाहिये और वायु में इधर-उधर टहलना चाहिये। गुरुकुलों में आज के समान हाकी फुटबाल आदि का प्रचार नहीं था व्यायाम की यही पद्धति वहां से निकलने वाले ब्रह्मचारियों को सुदृढ बनाति थी, इसकी सहायता से वे समय पडने पर लव और कुश की भाति चक्रवर्ति से भी युद्ध करने में पीछे न हटते थे।
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== परिचय ==
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सूर्यके बारह नामों के द्वारा बारह नमस्कार किये जाते हैं। प्रणामों में साष्टाङ्ग प्रणामका अधिक महत्त्व माना गया है। यह अधिक उपयोगी है। इससे शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है। शास्त्रमें इसका बहुत महत्त्व बतलाया गया है।<blockquote>प्रातः संध्यावसाने तु नित्यं सूर्यं समर्चयेत् ॥(पारिजात) </blockquote>दूध देनेवाली एक लाख गायोंके दानका जो फल होता है, उससे भी बढ़कर फल एक दिनकी सूर्य पूजासे होता है।<blockquote>प्रदद्याद वै गवां लक्षं दोग्ध्रीणां वेदपारगे । एकाहमर्चयेद् भानुं तस्य पुण्यं ततोऽधिकम् ॥(भविष्यपुराण) </blockquote>पूजाकी तरह ही सूर्यके नमस्कारोंका भी महत्त्व है। <blockquote>यः सूर्य पूजयेन्नित्यं प्रणमेद् वापि भक्तितः । तस्य योगं च मोक्षं च ब्रध्नस्तुष्टः प्रयच्छति॥ (भविष्यपुराण)</blockquote>
    
== उद्धरण ==
 
== उद्धरण ==
 
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